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रंका थाना परिसर मे थाना दिवस का आयोजन भुमी विवाद का हुआ समाधान
Sunil singh
रंका थाना परिसर मे थाना दिवस का आयोजन भुमी विवाद का हुआ समाधान
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- सोनभद्र विकास खण्ड चतरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरईल में काफी दिनों से आर आर सी प्लांट बना हुआ है जो काफी दिनों से अधूरा पड़ा हुआ है जिसे लेकर ग्रामीण परेशान है अमृतसरोवर के तालाब पर बना हुआ है जहां कूड़ा का ढेर लगा है इस मामले को लेकर जिला प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी मौन है1
- हमारा बिहार इन लोगों के बेस से बदनाम है अश्लीलता में कार्रवाई होनी चाहिए पूरी तरह से 🙏🙏1
- भारतीय पंच संघ प्रमुख लालजी बहुत द्वारा ग्राम पंचायत के सरपंच उपसरपंच एवं पंच के मानदेय बढ़ाने एवं पेंशन लागू कराने की मांग के संबंध में1
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- *नामकुम अंचल में जमीन माफियाओं का खुला खेल, भू-रैयतों की जमीन पर रातों-रात म्यूटेशन का आरोप* रांची। रांची जिला के नामकुम अंचल में जमीन से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं और हेराफेरी के आरोप सामने आ रहे हैं। स्थानीय भू-रैयतों का कहना है कि अंचल क्षेत्र में जमीन दलालों का नेटवर्क सक्रिय है, जो अंचल कार्यालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से गरीब व असहाय रैयतों की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर रहा है। ताजा मामला तेली महतो की जमीन से जुड़ा बताया जा रहा है। आरोप है कि जमीन दलालों ने बिना किसी वैध बंटवारे के, गोतिया लोगों के नाम पर फर्जी वंशावली तैयार कर ली और अंचल कार्यालय में रिकॉर्ड में हेरफेर कर रातों-रात म्यूटेशन करवा लिया। रैयतों का कहना है कि जब तक उन्हें इसकी जानकारी होती है, तब तक जमीन का दाखिल-खारिज पूरा कर दिया जाता है। *फर्जी वंशावली बनाकर जमीन हड़पने का आरोप* भू-रैयतों के अनुसार, जमीन का पारिवारिक बंटवारा नहीं होने के बावजूद कुछ लोग स्वयं को उत्तराधिकारी बताकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। इन दस्तावेजों को अंचल कार्यालय में स्वीकार कर लिया जा रहा है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि बिना समुचित जांच-पड़ताल के म्यूटेशन कैसे संभव हो पा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अंचल कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है और बिना “सेटिंग” के इस तरह की कार्रवाई संभव नहीं है। *थाना स्तर पर भी नहीं मिल रही सुनवाई* पीड़ित भू-रैयतों का कहना है कि जब वे न्याय की उम्मीद लेकर स्थानीय थाना पहुंचते हैं, तो वहां भी उनकी बात नहीं सुनी जाती। आरोप है कि थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे रैयतों के साथ गाली-गलौज की जाती है और उन्हें डराया-धमकाया जाता है। कई पीड़ितों का कहना है कि पुलिस उन्हें यह कहकर लौटा देती है कि यह “जमीन का मामला” है और वे इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। *प्रशासन की चुप्पी पर सवाल* नामकुम अंचल में लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि समय रहते इन मामलों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो जमीन माफियाओं का हौसला और बढ़ेगा तथा आम भू-रैयत अपनी ही जमीन से बेदखल हो जाएंगे। जांच और कार्रवाई की मांग पीड़ित परिवारों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि नामकुम अंचल में हुए सभी संदिग्ध म्यूटेशन मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही फर्जी वंशावली तैयार करने वाले जमीन दलालों, इसमें शामिल अंचल कर्मियों और लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जमीन उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और यदि प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इन गंभीर आरोपों पर क्या रुख अपनाता है और भू-रैयतों को न्याय कब तक मिल पाता है।1
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