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U.P Special Art of Making Aloo Bhajiya in Tundla
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Ankur Singh Rathor
U.P Special Art of Making Aloo Bhajiya in Tundla
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- काश...💔 काश वक़्त को थामने की कोई मशीन होती, तो करोड़ों भारतीय उस वक़्त को थाम लेना चाहते जब विनेश ने पेरिस ओलंपिक के फ़ाइनल में जगह बनाई थी. सपने टूटने की कोई आवाज़ नहीं होती, काश, इसे सुनने का कोई यंत्र होता तो अभी विनेश के सीने से सबसे तेज़ आवाज़ सुनाई दे रही होती. दुख को मापने का कोई पैमाना नहीं होता, अगर ये तय होता तो विनेश के दुख के आगे वो भी छोटा पड़ जाता. कोई चंद घंटों में कैसे सड़क के संघर्ष से सितारा बनता है और फिर रातभर में वही सितारा कैसे गर्दिश में चला जाता है, इसे समझने के लिए विनेश के साथ गुज़रे कुछ घंटे ही काफी हैं. अपने हर एक विरोधी को पछाड़ते हुए, वो जैसे-जैसे मुस्कुराते हुए आगे बढ़ रहीं थी, तो लग रहा था कि कोई ज़ख़्म है जिसे वो एक-एक कर जीत के मलहम से भरती जा रही हैं. लेकिन किसे पता था कि अंतिम पड़ाव से पहले उन्हें एक ऐसा ज़ख्म मिलेगा जो टीस बनकर शायद हमेशा सालता रहे. कई भारी भरकम पहलवानों को अपनी पीठ पर लादकर पटकने वाली विनेश को क्या पता था कि उनके शरीर का 100 ग्राम वज़न उनकी ज़िंदगी का सबसे भारी वज़न साबित होगा. अपने किट बैग को समेटते हुए विनेश को उस एक अदद मेडल का वज़न सबसे ज़्यादा खालीपन देगा, जो उनके हाथों में आकर भी निकल गया नियम अक्सर क्रूर होते हैं, वो इंसानी संवेदना, संघर्ष और भावनाओं को नहीं समझ पाते, काश कि ये नियम तमाम भारतीयों के जज़्बातों को समझ पाते, जो इस वक़्त विनेश के साथ ग़मगीन हैं. कहने को तो, काश ये कमबख्त वज़न नापने की मशीन ही ना होती, लेकिन कितनी ही चीज़ें सिर्फ़ काश बनकर रह जाती हैं. लेकिन एक चीज़ तो बीती शाम से आज की सुबह की बीच पुख़्ता हुई है, वो ये कि जो विनेश एक साल पहले तक सिस्टम से संघर्ष करते हुए सड़क पर थीं, वो आज देश में एक मुकाम हासिल कर चुकी हैं. वो जब वतन लौटेंगी तो भले ही उनके हाथों में वो मेडल ना होगा, लेकिन करोड़ों नई विनेश बनने की उम्मीदें ज़रूर होंगी1
- सिविल एंक्लेव आगरा की निर्माण कार्य शुरू हो गया है किंतु प्रोजेक्ट को लेकर नागरिकों में अनिश्चय की स्थिति यथावत बनी हुई है सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा का कहना है कि आगरा के लोक जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और पहली प्राथमिकता वाले इस प्रोजेक्ट के बारे में सटीक जानकारी आधिकारिक रूप से जन सुलभ भी करवाई जाए इसके लिए धनौली बल्हेरा स्थित साइट पर हिंदी व हिंदू भाषा मेंधारभूत सूचना पट लगवाया जाना आवश्यक है जिसमें की प्रोजेक्ट की शुरू होने पूरा होने लागत सुप्रीम कोर्ट से क्लीयरेंस संबंधित केस नंबर और दिनांक अधिक मानक सूचनाओं शामिल है और जानते हैं प्रेस वक्त में क्या बात हुई आप खुद सिविल सोसाइटी का आगरा से जाने1