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#Bhojpuri singer, Aapka bhai Ankit Singh Apne hometown #Rafiganj बड़ी देवी दुर्गा अस्थान माता के चरणों में हाज़िरी लगाके मेरा जीवन धन्य हो गया #jai Mata Di
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Samrat singh
#Bhojpuri singer, Aapka bhai Ankit Singh Apne hometown #Rafiganj बड़ी देवी दुर्गा अस्थान माता के चरणों में हाज़िरी लगाके मेरा जीवन धन्य हो गया #jai Mata Di
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- #Bhojpuri singer, Aapka bhai Ankit Singh Apne hometown #Rafiganj बड़ी देवी दुर्गा अस्थान माता के चरणों में हाज़िरी लगाके मेरा जीवन धन्य हो गया #jai Mata Di1
- नवरात्रि के सप्तमी स्वरूप माँ #कालरात्रि के शुभ अवसर पर माता जी के साथ उत्तर प्रदेश एवं बिहार प्रदेश के सीमा पर स्थित जगत जननी माँ #मदनपुर वाली माता रानी की दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ1
- कोंच में बिजली विभाग द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।...1
- 8th October 2024 Ram Leela, Madanpur1
- वर्षों से मेरा तारतम्य रहा है कि सावन में श्री अयोध्या धाम और शारदीय नवरात्र में थावे या मदनपुर और विंध्यवासिनी देवी का दर्शन करता रहा हूं लेकिन यह सत्य है कि माता जिसे बुलाती है वहीं उनके चौखट पर सर पटक पाता है।अब देखिए न मां वैष्णो देवी जाने का हमारी इच्छा नहीं थी लेकिन माता ने बुलाया तो टिकट Puneet Mani ने व्यवस्थित कर दिया और हम लाख विध्न बांधा को पार करते हुए मां के चौखट पर सर पटक आयें। वहीं दूसरी तरफ वैष्णो देवी दर्शन से वापस आते ही मैंने अपनी और श्रीमती जी का टिकट विंध्यवासिनी मंदिर दर्शन के लिए आरक्षित करवा दिया लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि पंद्रह दिन में दो बार हरियाणा की यात्रा करना पड़ रहा है और मां के दर्शन की लालसा अधूरी रह गई। खैर मां की इच्छा नहीं थी तो नहीं जा पाये लेकिन कभी तो मां कि अनुकंपा होगी तभी दर्शन करेंगे।वैसे तो सोसल मीडिया पर कथा कहानी तो लिखते नहीं है लेकिन मां की अनुमति है तो एकाएक मन में विचार आया कि एक मां से ही संबंधित कथा के माध्यम से मां का गुणगान करु। शायद मां की कृपा मुझे नासमझ पर हों जाय। एक पंडित देवीदत्त नाम के माता के अनन्य भक्त थे। वर्षों बाद माता की सेवा का उन्हें प्रसाद मिला। नवरात्रि के अष्टमी के दिन उन्हें कन्या रत्न की प्राप्ति हुई। उन्होंने कन्या का नाम नंदिनी रखा। नंदिनी में माता पिता के प्राण बसते थे। उम्र के उत्तरार्ध में मिली संतान को देवीदत्त उतना ही प्रेम करते थे जितना दशरथ राम से करते होंगे। तनिक भी वह आंखों से ओझल होती पति पत्नी दोनों बेचैन हो उठते। नंदिनी जब साल भर की हुई तो पंडित देवीदत्त उसे लेकर विंध्यवासिनी धाम की यात्रा पर निकले। देवीदत्त हाथ में प्रसाद लिए हुए थे और पत्नी ने नंदिनी को गोद ले रखा था। अचानक एक जोर का धक्का लगा कन्या हाथ से छूट गयी। पीछे से लोगों का जत्था सामने गिरा और भगदड़ मच गई। जब देवीदत्त को होश आया तो वो किसी अस्पताल में थे उनकी पत्नी उनके बगल में थीं पर नंदिनी का कहीं अता पता न था। पंडित देवीदत्त और उनकी पत्नी उस दिन रोते चिल्लाते रहे माता को गुहार लगाते रहे। शाम को एक आदमी एक बालिका का हाथ पकड़ कर अस्पताल आया देवीदत्त रो रोकर थक चुके थे। अचानक उनकी पत्नी जोर से चिल्लाई बिटिया आ गयी। पंडित देवीदत्त ने देखा एक व्यक्ति नंदिनी को लेकर उनके पास खड़ा था। उन्होंने उस आदमी को धन्यवाद दिया और वह चला गया। देवीदत्त के परिवार की खुशी लौट आयी थी। बालिका चन्द्र कला की भांति दिन प्रतिदिन खिलती जा रही थी। शारदीय नवरात्रि का समय था नंदिनी पांच साल की हो गई थी। देवीदत्त नंदिनी को पास में बिठा कर मंदिर में माता के सामने विंध्यवासिनी स्त्रोत का पाठ कर रहे थे। जैसे जैसे पाठ आगे बढ़ता रहा नंदिनी की भाव भंगिमा बदलती जा रही थी। निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी। बने रणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ नंदिनी खड़ी हो गई और उसने देवी के हाथ में रखा त्रिशूल उठा लिया... त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी। गृहे गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ वह त्रिशूल लेकर नृत्य करने लगी देवीदत्त ने जब नंदिनी के मुख की ओर देखा तो उससे एक अद्भुत तेज निकल रहा था वह कभी माता की मूर्ति को देखते कभी नंदिनी को। वह पाठ पूरा ना कर सके और अर्ध विक्षिप्त होकर वहीं गिर गए। थोड़ी देर बाद होश आया तो नंदिनी वहीं पास में बैठी उन्हे बुला रही थी। वह उसे गोद में उठाए मंदिर से बाहर आए और पत्नी से सारी बात बताई। पत्नी ने सलाह दी एक बार माता विंध्यवासिनी के दर्शन करने फिर चलते हैं। वे लोग यात्रा पर निकले। विंध्यवासिनी मंदिर में भीड़ बहुत थी देवीदत्त ने नंदिनी का हाथ पकड़ रखा था अचानक एक रेला आया और नंदिनी का हाथ छूट गया। दोनो लोग रोते बिलखते नंदिनी को पुकारते मंदिर के पास खोया पाया विभाग में पहुंचे तो देखा नंदिनी वहां बैठी थी। वे दोनो जब उसे गोद में उठाने दौड़े तो वह अंदर भाग गई। अंदर से सिपाही आया और उसके पीछे कन्या खड़ी थी। देवीदत्त बार बार अपनी बिटिया को पुकारे जा रहे थे। सिपाही ने कहा कि यह यहां के एसपी साहब की बेटी है। देवीदत्त रोने चिल्लाने लगे। शोरगुल सुनकर एसपी साहब बाहर आए और देवीदत्त को अंदर ले गए। देवीदत्त रो रो कर बताने लगे कि एक बार पहले भी यह खो गई थी।आज फिर ऐसा हुआ वह माता से गुहार लगाने लगे। एसपी साहब थोड़ी देर चुप रहे और फिर नंदिनी के पहली बार को जाने का समय और स्थान पूछा, जब देवीदत्त ने बताया तो एसपी साहब ने अपना माथा पकड़ लिया। सिपाही के साथ खेल रही बच्ची वही थी जो चार साल पहले भगदड़ में एसपी साहब को मिली थी और उस अनाथ को उन्होंने अपनी बेटी समझ कर पाला। यह सुनते ही देवीदत्त माता के दरबार में भागे, पीछे एसपी साहब। सुरक्षा में लगे जवानों ने रोकने की कोशिश की तो एसपी साहब ने मना कर दिया। जब वे दोनो माता के सामने सामने पहुंचे तो वहां नंदिनी बैठी हुई थी। देवीदत्त लीला समझ गए और वहीं बैठ कर रोने लगे लेकिन एसपी साहब अभी भी नही समझ पाए और वहां से दौड़ते हुए शिविर में आए देखा नंदिनी सिपाही के साथ खेल रही थी। वह फिर दौड़ते हुए वापस आए और माता के दरबार में धड़ाम से गिर पड़े। हे मां मुझे अपनी शरण से दूर मत करो। मुझे कुछ अनहोनी का भय सता रहा है अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना1
- कल रात श्री महावीर रामलीला एवं दुर्गा पूजा समिति मदनपुर पारा स्वागताकांक्षी के रूप में शामिल होने का शौभाग्य प्राप्त हुआ,,कल रात में मेरे साथ चले मेरे बड़े भाई पिता समान जनता का मैं बहुत आभारी हूं जो मेरे साथ दो कदम चल कर मेरा सम्मान बढ़ाया, आपका पूर्व प्रधान #गनेश गुप्ता ग्राम सभा पारा,,(पिता जी)1
- Mumbai के मदनपुरा में भरभराकर गिरी बिल्डिंग, कोई हताहत नहीं1
- ग्राम पंचायत केतकी मांझौली के सोहर यादव का मन चला बोली जो अपना आप में घमंड जो राहुल कुमार को खंती से हमला किया है इसे deo police kuch nahi kar raha hai1