लखनऊ | दिनांक: 27 दिसंबर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचार, हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न के विरोध में आज लखनऊ में अशफ़ाक उल्ला खान के नेतृत्व में एक जोरदार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन भाजपा प्रदेश कार्यालय, गेट नंबर–2 के सामने स्थित प्रतिमा स्थल पर आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू भाइयों पर हो रहे कथित जुल्म और ज़्यादतियों के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मो. यूनुस का पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मानवाधिकारों की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में जिस प्रकार से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, वह मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। वक्ताओं ने यह भी मांग उठाई कि बांग्लादेश को दिया गया नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) वापस लिया जाए, क्योंकि किसी भी प्रकार का सम्मान उस स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता, जब किसी देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित न हों। कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत की जनता धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ एकजुट है। मुस्लिम समाज द्वारा हिंदू भाइयों के समर्थन में किया गया यह प्रदर्शन आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द की मिसाल के रूप में देखा गया। आयोजकों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति का संज्ञान लें और वहां की सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचार रोके जा सकें। यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुआ। प्रदर्शन के आयोजक: अशफ़ाक उल्ला खान मो. याकूब अंसारी जिला मेरठ
लखनऊ | दिनांक: 27 दिसंबर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचार, हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न के विरोध में आज लखनऊ में अशफ़ाक उल्ला खान के नेतृत्व में एक जोरदार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन भाजपा प्रदेश कार्यालय, गेट नंबर–2 के सामने स्थित प्रतिमा स्थल पर आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू भाइयों पर हो रहे
कथित जुल्म और ज़्यादतियों के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मो. यूनुस का पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मानवाधिकारों की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में जिस प्रकार से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, वह मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। वक्ताओं ने यह
भी मांग उठाई कि बांग्लादेश को दिया गया नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) वापस लिया जाए, क्योंकि किसी भी प्रकार का सम्मान उस स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता, जब किसी देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित न हों। कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत की जनता धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ एकजुट है। मुस्लिम समाज द्वारा हिंदू भाइयों के समर्थन में किया
गया यह प्रदर्शन आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द की मिसाल के रूप में देखा गया। आयोजकों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति का संज्ञान लें और वहां की सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचार रोके जा सकें। यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुआ। प्रदर्शन के आयोजक: अशफ़ाक उल्ला खान मो. याकूब अंसारी जिला मेरठ
- लखनऊ | दिनांक: 27 दिसंबर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचार, हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न के विरोध में आज लखनऊ में अशफ़ाक उल्ला खान के नेतृत्व में एक जोरदार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन भाजपा प्रदेश कार्यालय, गेट नंबर–2 के सामने स्थित प्रतिमा स्थल पर आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू भाइयों पर हो रहे कथित जुल्म और ज़्यादतियों के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मो. यूनुस का पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मानवाधिकारों की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में जिस प्रकार से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, वह मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। वक्ताओं ने यह भी मांग उठाई कि बांग्लादेश को दिया गया नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) वापस लिया जाए, क्योंकि किसी भी प्रकार का सम्मान उस स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता, जब किसी देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित न हों। कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत की जनता धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ एकजुट है। मुस्लिम समाज द्वारा हिंदू भाइयों के समर्थन में किया गया यह प्रदर्शन आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द की मिसाल के रूप में देखा गया। आयोजकों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति का संज्ञान लें और वहां की सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचार रोके जा सकें। यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुआ। प्रदर्शन के आयोजक: अशफ़ाक उल्ला खान मो. याकूब अंसारी जिला मेरठ4
- युवतियों का मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल - बताया जा रहा है बॉयफ्रेंड को मैसेज को लेकर आपस में हुआ था विवाद - वायरल वीडियो मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है1
- खबर सोना मंहगा हो गया1
- एसडीएम के आदेशों को ताक पर रखकर सड़कों पर सरपट दौड़ रहे गन्ने से भरे ओवरलोड ट्रक और टैक्टर ट्राली जानसठ क्षेत्र में ओवरलोड गन्ना वाहनों का सड़कों पर दौड़ना जारी है। एसडीएम राजकुमार भारती के निर्देशों के बावजूद गन्ना ठेकेदार और टिकोला शुगर मिल के कर्मचारी इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति तब सामने आई जब हाल ही में रामराज क्षेत्र के गांव पुट्टी इब्राहिमपुर के पास हाइवे पर गन्ने से भरा एक ओवरलोड ट्रक यात्रियों से भरी बस पर पलट गया था। इस घटना के बाद एसडीएम राजकुमार भारती ने मामले का संज्ञान लिया था। एसडीएम ने टिकोला शुगर मिल के कर्मचारियों और गन्ना ठेकेदारों के साथ एक बैठक की थी। इसमें उन्होंने टिकोला शुगर मिल में मानकों के अनुरूप गन्ना भरकर ले जाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने बताया था कि ओवरलोड और अत्यधिक ऊंचाई वाले वाहनों के कारण क्षेत्र में सड़क हादसों की संख्या बढ़ी है और इन पर अंकुश लगाने के लिए मानकों का पालन अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी। हालांकि, एसडीएम राजकुमार भारती की चेतावनी का मिल कर्मचारियों और गन्ना ठेकेदारों पर कोई असर नहीं दिख रहा है। गन्ने से भरे ओवरलोड ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉली चालक अभी भी बिना नंबर प्लेट के सड़कों पर बेधड़क दौड़ रहे हैं। ये वाहन नियमों की अनदेखी कर हादसों को न्योता दे रहे हैं। इस मामले में जानसठ एसडीएम राजकुमार भारती का कहना है कि स्थानीय पुलिस द्वारा इन वाहनों के चालान किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अब भी नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो उनके विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जाएगी।2
- मेरे प्यारे भाईयों आप सभी समस्त परिजनों को ग्राम क्षेत्रवासियों को और सभी नगर वासियों को नववर्ष की ढेर सभी शुभकामनाएं🙏 हैप्पी न्यू ईयर नया साल मुबारक हो आप सभी को 2026 हार्दिक बधाई फॉलो कीजिए सपोर्ट कीजिए शेयर कीजिए कॉमेंट कीजिए1
- गुप्त रोग शीघ्रपतन शुक्राणु स्वप्नदोष मर्दाना ताकत संपर्क करें डॉक्टर पंकज कुमार 9572291304, 70910778981
- ध्यान से सुन लो मेरे भाई @AakashValmiki99 Subscribe plz1
- लखनऊ | दिनांक: 27 दिसंबर बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचार, हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न के विरोध में आज लखनऊ में अशफ़ाक उल्ला खान के नेतृत्व में एक जोरदार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन भाजपा प्रदेश कार्यालय, गेट नंबर–2 के सामने स्थित प्रतिमा स्थल पर आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बांग्लादेश में हिंदू भाइयों पर हो रहे कथित जुल्म और ज़्यादतियों के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मो. यूनुस का पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया गया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मानवाधिकारों की रक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में जिस प्रकार से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, वह मानवता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। वक्ताओं ने यह भी मांग उठाई कि बांग्लादेश को दिया गया नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) वापस लिया जाए, क्योंकि किसी भी प्रकार का सम्मान उस स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता, जब किसी देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित न हों। कार्यक्रम के दौरान यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि भारत की जनता धर्म, जाति और समुदाय से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ एकजुट है। मुस्लिम समाज द्वारा हिंदू भाइयों के समर्थन में किया गया यह प्रदर्शन आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द की मिसाल के रूप में देखा गया। आयोजकों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति का संज्ञान लें और वहां की सरकार पर दबाव बनाएं, ताकि निर्दोष लोगों पर हो रहे अत्याचार रोके जा सकें। यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुआ। प्रदर्शन के आयोजक: अशफ़ाक उल्ला खान4