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मंदसौर - दो बच्चों की माँ प्रेमी संग कोर्ट मैरिज करने पहुंची, ससुराल वालो ने किया हंगामा। 24वर्षीय युवक के साथ शादीशुदा महिला जो दो बच्चों की माँ है, जिला कोर्ट पहुंची। आरोप है की दोनों प्रेमी कोर्ट मैरिज करने वाले थे जिसकी सुचना परिजनों को लगने पर कोर्ट पहुंचे। दोनों पक्षो के बीच विवाद होने पर खूब हंगामा हुआ। शांतिभंग में जेल भेजा।
Rahul Mehar Patrkar
मंदसौर - दो बच्चों की माँ प्रेमी संग कोर्ट मैरिज करने पहुंची, ससुराल वालो ने किया हंगामा। 24वर्षीय युवक के साथ शादीशुदा महिला जो दो बच्चों की माँ है, जिला कोर्ट पहुंची। आरोप है की दोनों प्रेमी कोर्ट मैरिज करने वाले थे जिसकी सुचना परिजनों को लगने पर कोर्ट पहुंचे। दोनों पक्षो के बीच विवाद होने पर खूब हंगामा हुआ। शांतिभंग में जेल भेजा।
- User8557Mansurchak, Begusarai😂1 hr ago
- User8956Hoshangabad Nagar, Narmadapuram💣2 hrs ago
- User10208Biaora, Rajgarh👏2 hrs ago
- User3238Badoda, Sheopur🤝4 hrs ago
- User7906Chhindwara, Madhya Pradesh🙏5 hrs ago
- User2161Araria, Bihar😤6 hrs ago
- Rahul Mehar Patrkarमंदसौर नगर, मंदसौर, मध्य प्रदेश🙏7 hrs ago
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- श्री लक्ष्मी नाथ भगवान शिव शंकर जी वासक राज महाराज गोविन्द सांवरिया सेठ जी आपकी जय हो जय हो आप ही आप हो दया करो क्षमा करो कृपा करो रक्षा करो सद बुद्धि देवो हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ ॐ नमो भगवते वासुयदेवाय हरि ॐ1
- प्रतिदिन सांवरिया सेठ के लाइव दर्शन के लिए हमारे चैनल को फॉलो करो1
- संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है। अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा। ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।1
- वाइल्डलाइफ सफारी के दौरान कैमरे में कैद हुआ एक बेहद अनोखा नज़ारा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक वॉर्थॉग की पीठ पर बैठा मीरकैट दिखाई दे रहा है, जिसे लोग मज़ाकिया अंदाज़ में रियल-लाइफ “पुम्बा और टिमोन” कह रहे हैं। यह प्यारा और दुर्लभ पल जंगल की दोस्ती को दर्शाता है, जिसने इंटरनेट यूज़र्स का दिल जीत लिया है। #ViralVideo #WildlifeSafari #PumbaaAndTimon #NatureLovers #CuteAnimals #InternetBreaking #WildlifeMoments1
- अरावली पर फैसला सुप्रीम कोर्ट का नहीं भाजपा की सोची-समझी साजिश, फैसला नहीं बदला गया तो सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस - विधायक गणेश घोघरा संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। अरावली पर्वतमाला से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को लेकर कांग्रेस जिला अध्यक्ष एवं विधायक गणेश घोघरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट का नहीं बल्कि भाजपा की सोची-समझी साजिश बताया है और आरोप लगाया है कि यह निर्णय अडानी–अंबानी जैसे बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है। कांग्रेस का कहना है कि न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बनाकर पर्यावरण विरोधी फैसला सुनाया गया है, जो देश और प्रदेश के भविष्य के लिए घातक है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष व विधायक गणेश घोघरा ने कहा कि अरावली पर्वतमाला केवल पहाड़ों की श्रृंखला नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की जीवनरेखा है। अरावली से खनिज, ईंधन और बहुमूल्य औषधीय जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं तथा यही पर्वतमाला पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब ऑक्सीजन की भारी कमी थी, तब अरावली क्षेत्र के पेड़-पौधों ने जीवन रक्षक भूमिका निभाई, लेकिन आज उसी अरावली को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। घोघरा ने आरोप लगाया कि चिरवा घाटे से नाथद्वारा रोड तक पहाड़ काटकर बनाए गए होटल और फार्म हाउस का मामला वह पहले भी विधानसभा में उठा चुके हैं, लेकिन पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशासन और भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने जानबूझकर आंखें मूंद रखी हैं। डूंगरपुर जिले में भी भूमाफियाओं और बड़े उद्योगपतियों को संरक्षण दिया जा रहा है, जबकि प्रशासनिक अधिकारी और भाजपा नेता मौन हैं। घोघरा ने साफ शब्दों में कहा कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस बड़ा जन आंदोलन करेगी। सड़कों पर उतरकर विरोध किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब देश की आज़ादी के लिए कांग्रेस ने अंग्रेजों से डरना नहीं सीखा, तो पर्यावरण और जनता की रक्षा के लिए किसी से भी डरने का सवाल ही नहीं उठता। कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि अरावली को नष्ट किया गया तो यह पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा। अरावली के माध्यम से ही भू-जल रिचार्ज होता है, नदियों और नालों में पानी आता है और मौसम संतुलित रहता है—चाहे गर्मी हो, सर्दी हो या बारिश। उन्होंने कहा कि अरावली का खत्म होना आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि अडानी–अंबानी को फायदा पहुंचाने वाले किसी भी फैसले का पुरजोर विरोध किया जाएगा और अरावली को बचाने की लड़ाई हर स्तर पर लड़ी जाएगी।1
- #protest #agitation कोटा में मंगलवार को सीटू की तरफ से रैली निकाल कर कलेक्ट्रेट के बाहर रावतभाटा के परमाणु बिजली घर और अरावली पर्वतमाला को निजि हाथों में सौंपने की सरकार की साजिश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया...1
- कोटा का सबसे पुराना यातायात पार्क… आज बदहाली का शिकार है। मेंटेनेंस के नाम पर ज़ीरो काम, लेकिन काग़ज़ों में सब कुछ ठीक दिखाया जा रहा है। शहर के गणमान्य नागरिकों का गुस्सा अब खुलकर सामने आ रहा है। सवाल साफ है— जब बजट आता है, तो काम क्यों नहीं दिखता? यह सिर्फ एक पार्क की कहानी नहीं, यह सिस्टम की सच्चाई है। क्या प्रशासन जागेगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा? देखते रहिए… और अपनी आवाज़ हमारे साथ उठाइए।”1