भैसोदा का शासकीय उच्च माध्यमिक विधालय मे बरसाती मौसम में बच्चो के लिए डेंजर जॉन बना हुआ है। मानो ऐसा जैसे बरसाती झाड़ियों ने स्कूल को पूरी तरह से घेर लिया हो। साफ सफाई और देखरेख के अभाव में स्कूल की सुंदरता को तो जैसे मकड़ी के जाले लग ही रहें थे साथ ही विद्यार्थियों के कक्षा- कक्ष से सटी झाड़ियां और खिड़कियों की टूटी जालियां बरसाती मौसम में स्कूली बच्चो की सुरक्षा में सेंध लगा रही है। वही जंगली झाड़ियों की कटाई छटाई नही होने से जहरिले जंतूओ का भी खतरा बना हुवा है। वही चुनाव के दौरान जिस कक्ष की खिड़की को स्ट्रांग रूम बनाने के चलते बन्द किया गया था वह आज तक ज्यों की त्यों है। वही आपको बता दे कि एक समय था जब इसी स्कूल की बाउंड्री में उगने वाली घास को बेचकर स्कूल को आर्थिक सम्बल प्रदान किया जाता था। ऐसे में खतरे के साये में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, अब देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक जिमेमदार सुध लेते है और अव्यवस्थाओं को सुधार कर पाते है।
भैसोदा का शासकीय उच्च माध्यमिक विधालय मे बरसाती मौसम में बच्चो के लिए डेंजर जॉन बना हुआ है। मानो ऐसा जैसे बरसाती झाड़ियों ने स्कूल को पूरी तरह से घेर लिया हो। साफ सफाई और देखरेख के अभाव में स्कूल की सुंदरता को तो जैसे
मकड़ी के जाले लग ही रहें थे साथ ही विद्यार्थियों के कक्षा- कक्ष से सटी झाड़ियां और खिड़कियों की टूटी जालियां बरसाती मौसम में स्कूली बच्चो की सुरक्षा में सेंध लगा रही है। वही जंगली झाड़ियों की कटाई छटाई नही होने से जहरिले जंतूओ का
भी खतरा बना हुवा है। वही चुनाव के दौरान जिस कक्ष की खिड़की को स्ट्रांग रूम बनाने के चलते बन्द किया गया था वह आज तक ज्यों की त्यों है। वही आपको बता दे कि एक समय था जब इसी स्कूल की बाउंड्री में उगने
वाली घास को बेचकर स्कूल को आर्थिक सम्बल प्रदान किया जाता था। ऐसे में खतरे के साये में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, अब देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक जिमेमदार सुध लेते है और अव्यवस्थाओं को सुधार कर पाते है।
- नगर परिषद गरोठ के बोलिया रोड पर स्थित ट्रेन्चिंग ग्राउंड पर सूखा-गीला कचरा 100 प्रतिशत अलग-अलग किया जा रहा है।1
- भैसोदा का शासकीय उच्च माध्यमिक विधालय मे बरसाती मौसम में बच्चो के लिए डेंजर जॉन बना हुआ है। मानो ऐसा जैसे बरसाती झाड़ियों ने स्कूल को पूरी तरह से घेर लिया हो। साफ सफाई और देखरेख के अभाव में स्कूल की सुंदरता को तो जैसे मकड़ी के जाले लग ही रहें थे साथ ही विद्यार्थियों के कक्षा- कक्ष से सटी झाड़ियां और खिड़कियों की टूटी जालियां बरसाती मौसम में स्कूली बच्चो की सुरक्षा में सेंध लगा रही है। वही जंगली झाड़ियों की कटाई छटाई नही होने से जहरिले जंतूओ का भी खतरा बना हुवा है। वही चुनाव के दौरान जिस कक्ष की खिड़की को स्ट्रांग रूम बनाने के चलते बन्द किया गया था वह आज तक ज्यों की त्यों है। वही आपको बता दे कि एक समय था जब इसी स्कूल की बाउंड्री में उगने वाली घास को बेचकर स्कूल को आर्थिक सम्बल प्रदान किया जाता था। ऐसे में खतरे के साये में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, अब देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक जिमेमदार सुध लेते है और अव्यवस्थाओं को सुधार कर पाते है।4
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- Post by Jagdish Chauhan Jagdish Chauhan3
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