*कैफी अली का लाइसेंस-मुक्त आतंक, जिमखाना से कर्बला तक, अब प्रेस को दबाने की शाही कोशिश!* *जिमखाना किंग का शाही, गुंडागर्दी, धमकी और प्रेस की स्वतंत्रता पर अवैध वार,* लखनऊ। शहर की शांति को कैफी अली जैसे स्वयंभू शासकों ने बंधक बना रखा है, जो तालकटोरा कर्बला जैसी धार्मिक भूमि को अपनी निजी अखाड़ा भूमि समझ बैठे हैं। यह कहानी अब महज़ गुंडागर्दी की नहीं रही, यह कहानी है दबंगई के उस खुले प्रदर्शन की, जिसे पुलिस की उपस्थिति भी रोक नहीं पाई, और अब यह कहानी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारों पर शाही दबाव बनाने की हताश कोशिश बन चुकी है। पूरा मामला मुतवल्ली शादाब आग के भाई को खुलेआम जान से मारने की धमकी और गालियाँ देने से शुरू हुआ। और इस वीरता का प्रदर्शन फैजी मिर्ज़ा के भाई कैफी मिर्जा ने पुलिस की मौजूदगी में गुंडागर्दी की जो वीडियो समाज के हर कोने में पहुँचा, जिसमें कैफी अली साफ़ तौर पर कानून को हथेली पर रखने का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे हमारे पुलिसकर्मी केवल मूकदर्शक बनने की ट्रेनिंग लेकर आए हैं, ताकि दबंगों के एक्शन सीन्स में कोई बाधा न आए। क्या यह लखनऊ की नई क़ानून-व्यवस्था है, जहाँ गुंडागर्दी को शाही संरक्षण प्राप्त है? अब बात करते हैं कैफी अली के व्यावसायिक साम्राज्य, नक्खास स्थित जिमखाना, जिमखाना कम और गुंडों की ट्रेनिंग अकादमी ज़्यादा लगता है। सूत्रों के मुताबिक, यह जिमखाना न सिर्फ़ लाइसेंस-विहीन होकर चल रहा है, बल्कि यह वह पावरहाउस है जहाँ से फैजी मिर्ज़ा अपनी दबंगई की ऊर्जा लेते हैं। यहाँ गुंडे केवल बॉडी-बिल्डिंग नहीं करते, बल्कि उन्हें अवैध कामों में इस्तेमाल होने की बारीकियाँ सिखाई जाती हैं। जब भी कर्बला में विवाद करना हो या किसी को धमकाना हो, फैजी मिर्ज़ा अपनी इस निजी सेना को लेकर निकल पड़ते हैं। यह साफ है कि कानून को ये लोग एक मज़ेदार मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जब ईमानदार पत्रकारों ने इस गुंडागर्दी को निष्पक्ष तरीक़े से सबके सामने रखा, तो फैजी मिर्ज़ा के भाई ने अपनी रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रकार की कोई पुरानी भ्रामक ख़बर उठाकर उसे फैलाना शुरू कर दिया, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके। कैफी अली यह नाकाम कोशिश बताती है कि आपकी दबंगई केवल गुंडों की फ़ौज पर ही चलती है, कलम की ताक़त पर नहीं। पूरा समाज, जिसने वह गुंडागर्दी का वीडियो देखा, अब इस प्रेस पर दबाव की कहानी भी देख रहा है। कैफी अली शायद यह भूल गए हैं कि इस डिजिटल युग में आप किसी को धमकी देकर चुप करा सकते हैं, लेकिन वीडियो और ख़बरें कभी मरते नहीं हैं वीडियो में साफ दिख रहा है की तालकटोरा शादाब आग सैयद फैजी को किनारे कर रहे हैं यानी बचा रहे हैं अल्फाजों से जनता सुन सकती है सैयद फैजी को बचा रहे हैं हाथ पकड़ कर बोला की आओ इधर आओ किनारे आ जाओ अगर कोई किसी से अगर बदतमीजी करता है तो डायरेक्ट मुझसे शिकायत कहें मैं उसे कर्बला से जो भी कर्मचारी होगा निकाल दूंगा पत्रकार रिंकू
*कैफी अली का लाइसेंस-मुक्त आतंक, जिमखाना से कर्बला तक, अब प्रेस को दबाने की शाही कोशिश!* *जिमखाना किंग का शाही, गुंडागर्दी, धमकी और प्रेस की स्वतंत्रता पर अवैध वार,* लखनऊ। शहर की शांति को कैफी अली जैसे स्वयंभू शासकों ने बंधक बना रखा है, जो तालकटोरा कर्बला जैसी धार्मिक भूमि को अपनी निजी अखाड़ा भूमि समझ बैठे हैं। यह कहानी अब महज़ गुंडागर्दी की नहीं रही, यह कहानी है दबंगई के उस खुले प्रदर्शन की, जिसे पुलिस की उपस्थिति भी रोक नहीं पाई, और अब यह कहानी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारों पर शाही दबाव बनाने की हताश कोशिश बन चुकी है। पूरा मामला मुतवल्ली शादाब आग के भाई को खुलेआम जान से मारने की धमकी और गालियाँ देने से शुरू हुआ। और इस वीरता का प्रदर्शन फैजी मिर्ज़ा के भाई कैफी मिर्जा ने पुलिस की मौजूदगी में गुंडागर्दी की जो वीडियो समाज के हर कोने में पहुँचा, जिसमें कैफी अली साफ़ तौर पर कानून को हथेली पर रखने का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे हमारे पुलिसकर्मी केवल मूकदर्शक बनने की ट्रेनिंग लेकर आए हैं, ताकि दबंगों के एक्शन सीन्स में कोई बाधा न आए। क्या यह लखनऊ की नई क़ानून-व्यवस्था है, जहाँ गुंडागर्दी को शाही संरक्षण प्राप्त है? अब बात करते हैं कैफी अली के व्यावसायिक साम्राज्य, नक्खास स्थित जिमखाना, जिमखाना कम और गुंडों की ट्रेनिंग अकादमी ज़्यादा लगता है। सूत्रों के मुताबिक, यह जिमखाना न सिर्फ़ लाइसेंस-विहीन होकर चल रहा है, बल्कि यह वह पावरहाउस है जहाँ से फैजी मिर्ज़ा अपनी दबंगई की ऊर्जा लेते हैं। यहाँ गुंडे केवल बॉडी-बिल्डिंग नहीं करते, बल्कि उन्हें अवैध कामों में इस्तेमाल होने की बारीकियाँ सिखाई जाती हैं। जब भी कर्बला में विवाद करना हो या किसी को धमकाना हो, फैजी मिर्ज़ा अपनी इस निजी सेना को लेकर निकल पड़ते हैं। यह साफ है कि कानून को ये लोग एक मज़ेदार मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जब ईमानदार पत्रकारों ने इस गुंडागर्दी को निष्पक्ष तरीक़े से सबके सामने रखा, तो फैजी मिर्ज़ा के भाई ने अपनी रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रकार की कोई पुरानी भ्रामक ख़बर उठाकर उसे फैलाना शुरू कर दिया, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके। कैफी अली यह नाकाम कोशिश बताती है कि आपकी दबंगई केवल गुंडों की फ़ौज पर ही चलती है, कलम की ताक़त पर नहीं। पूरा समाज, जिसने वह गुंडागर्दी का वीडियो देखा, अब इस प्रेस पर दबाव की कहानी भी देख रहा है। कैफी अली शायद यह भूल गए हैं कि इस डिजिटल युग में आप किसी को धमकी देकर चुप करा सकते हैं, लेकिन वीडियो और ख़बरें कभी मरते नहीं हैं वीडियो में साफ दिख रहा है की तालकटोरा शादाब आग सैयद फैजी को किनारे कर रहे हैं यानी बचा रहे हैं अल्फाजों से जनता सुन सकती है सैयद फैजी को बचा रहे हैं हाथ पकड़ कर बोला की आओ इधर आओ किनारे आ जाओ अगर कोई किसी से अगर बदतमीजी करता है तो डायरेक्ट मुझसे शिकायत कहें मैं उसे कर्बला से जो भी कर्मचारी होगा निकाल दूंगा पत्रकार रिंकू
- *लखनऊ में जमीनी विवाद में खून खराबा! जन्म से दृष्टिहीन की गोली मारकर हत्या* *टाडखेड़ा गांव में सनसनी—भाई और भतीजे पर हत्या का आरोप* *ननिहाल में घुसकर दृष्टिहीन को मारी गोली, मौके पर मौत* *लाइसेंसी बंदूक से चली गोली—गांव में दहशत फैल गई* *जमीनी विवाद बना जानलेवा! परिवार में खूनी संघर्ष* *दुबग्गा थाना क्षेत्र में broad daylight मर्डर से हड़कंप* *दृष्टिहीन की हत्या पर गांव में तनाव, पुलिस फोर्स तैनात* *हत्या में इस्तेमाल हुई लाइसेंसी बंदूक—पुलिस कर रही जांच* *वारदात के बाद आरोपी भाई-भतीजा फरार, तलाश जारी* *दृष्टिहीन युवक की हत्या से परिवार में मातम—स्थानीयों में गुस्सा* *मामा के घर पहुंचकर रिश्तेदारों ने बरसाईं गोलियां—सब हैरान* *लखनऊ पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा, जांच तेज* *जानकारी के बाद मौके पर पहुंचे डीपी पश्चिमी विश्वजीत श्रीवास्तव एवं एसीपी काकोरी शकील अहमद* *मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा* MAA ANANDI NEWS Reporter ANURAG DWIVEDI1
- वाराणसी। थाना क्षेत्र के हरहुआ पुलिस चौकी क्षेत्र के वाराणसी– बाबतपुर मार्ग पर काजीसराय बाज़ार के समीप गुरुवार अल सुबह एक सड़क हादसा हो गया। सुबह लगभग छह बजे कंटेनर और कार में जोरदार टक्कर होने से अफरातफरी मच गई। टक्कर के बाद कार सड़क से पटरी पार करते हुए सीधे नाले के समीप लगे 11000 वोल्ट के बिजली खंभे से जा टकराई और खंभा टूटकर गिर गया। खंभा और बाउंड्री वॉल से कार रुक गयी बड़ा हादसा होने से बच गया। ग्रामीणों के अनुसार हरहुआ ओवरब्रिज के नीचे से दोनों वाहन बाबतपुर की ओर जा रहे थे।1
- लखनऊ की मेयर सुषमा खरकवाल - "यहाँ की पूरी आबादी बांग्लादेशी है। पुरुष भाग गए हैं, और केवल महिलाएँ ही बची हैं। उन्हें अपने आधार कार्ड की जाँच कराने के लिए कहा गया है।" *कागज मांगते ही नौकरी छोड़ भागे 160 कर्मचारी, लखनऊ की महापौर बोलीं-चेक कर रहे एनआरसी* यूपी की राजधानी लखनऊ से हैरान कर देने वाली एक खबर सामने आई है। यहां नागरिकता को प्रमाणित करने वाले कागज (दस्तावेज) मांगते ही 160 सफाई कर्मचारी नौकरी छोड़कर भाग गए हैं। महापौर सुषमा खर्कवाल ने दावा किया है कि उनके द्वारा चलाए गए ऑपरेशन के दौरान 160 कर्मचारी भाग गए। शक है कि वे सब रोहिंग्या, बांग्लादेशी थे। जैसे ही जांच शुरू हुई ये भाग गए। हम आधार चेक कर रहे हैं। ये खुद को असम का बताते हैं तो हम एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) भी चेक कर रहे हैं। बता दें कि ये सभी कर्मचारी कूड़ा प्रबंधन का काम कर रही कंपनी से जुड़े थे। कंपनी ने जब उनसे अभिलेख मांगे तो वे भाग गए। महापौर सुषमा खर्कवाल ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि इनसे कागज मांगे गए थे लेकिन दिखाने से पहले ही जिस दिन इन्हें बुलाया गया था, ये भाग निकले। उन्होंने आशंका जताई कि ये संदिग्ध दिन में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करते हैं और रात में वारदात करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में एक वारदात हुई थी जिसमें छह लोग पकड़े गए थे। वे सभी रोहिंग्या थे। *सोचिए और कुछ पार्टी कह रहीं है SIR रोको , क्यों करवा रहे हो ।*1
- bithauli Bhawanipur Chauraha ke pass Lucknow2
- bijnesh में सफल न होने के बाद पिलान b 🫴🤫😂😂1
- *ब्रेकिंग न्यूज़* *लखनऊ काकोरी* *मुर्गा चोरी का वीडियो बड़ा ही लाजवाब मुर्गा चोरी करने वाला मुर्गा के पीछे बन गया वह भी मुर्गा !* *आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं रात के अंधेरे में किस प्रकार से मुर्गा और बकरी पालन बने मकान में किस प्रकार से चोरी की घटना को दे रहा था अंजाम जिसका वीडियो लगे कैमरे में कैद हो गया !* *यह पूरी घटना काकोरी के घुरघुरी तालाब चौकी क्षेत्र के ग्राम पलेन्हदा की है !* *प्रार्थी: पवन कुमार, रामप्रसाद* *पवन कुमार ने बताया कि इससे पहले मेरे 9 बकरा और 11 मुर्गी चोरी हो चुकी हैं !*1
- Post by Anoopshukla1
- *कैफी अली का लाइसेंस-मुक्त आतंक, जिमखाना से कर्बला तक, अब प्रेस को दबाने की शाही कोशिश!* *जिमखाना किंग का शाही, गुंडागर्दी, धमकी और प्रेस की स्वतंत्रता पर अवैध वार,* लखनऊ। शहर की शांति को कैफी अली जैसे स्वयंभू शासकों ने बंधक बना रखा है, जो तालकटोरा कर्बला जैसी धार्मिक भूमि को अपनी निजी अखाड़ा भूमि समझ बैठे हैं। यह कहानी अब महज़ गुंडागर्दी की नहीं रही, यह कहानी है दबंगई के उस खुले प्रदर्शन की, जिसे पुलिस की उपस्थिति भी रोक नहीं पाई, और अब यह कहानी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारों पर शाही दबाव बनाने की हताश कोशिश बन चुकी है। पूरा मामला मुतवल्ली शादाब आग के भाई को खुलेआम जान से मारने की धमकी और गालियाँ देने से शुरू हुआ। और इस वीरता का प्रदर्शन फैजी मिर्ज़ा के भाई कैफी मिर्जा ने पुलिस की मौजूदगी में गुंडागर्दी की जो वीडियो समाज के हर कोने में पहुँचा, जिसमें कैफी अली साफ़ तौर पर कानून को हथेली पर रखने का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे हमारे पुलिसकर्मी केवल मूकदर्शक बनने की ट्रेनिंग लेकर आए हैं, ताकि दबंगों के एक्शन सीन्स में कोई बाधा न आए। क्या यह लखनऊ की नई क़ानून-व्यवस्था है, जहाँ गुंडागर्दी को शाही संरक्षण प्राप्त है? अब बात करते हैं कैफी अली के व्यावसायिक साम्राज्य, नक्खास स्थित जिमखाना, जिमखाना कम और गुंडों की ट्रेनिंग अकादमी ज़्यादा लगता है। सूत्रों के मुताबिक, यह जिमखाना न सिर्फ़ लाइसेंस-विहीन होकर चल रहा है, बल्कि यह वह पावरहाउस है जहाँ से फैजी मिर्ज़ा अपनी दबंगई की ऊर्जा लेते हैं। यहाँ गुंडे केवल बॉडी-बिल्डिंग नहीं करते, बल्कि उन्हें अवैध कामों में इस्तेमाल होने की बारीकियाँ सिखाई जाती हैं। जब भी कर्बला में विवाद करना हो या किसी को धमकाना हो, फैजी मिर्ज़ा अपनी इस निजी सेना को लेकर निकल पड़ते हैं। यह साफ है कि कानून को ये लोग एक मज़ेदार मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जब ईमानदार पत्रकारों ने इस गुंडागर्दी को निष्पक्ष तरीक़े से सबके सामने रखा, तो फैजी मिर्ज़ा के भाई ने अपनी रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रकार की कोई पुरानी भ्रामक ख़बर उठाकर उसे फैलाना शुरू कर दिया, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके। कैफी अली यह नाकाम कोशिश बताती है कि आपकी दबंगई केवल गुंडों की फ़ौज पर ही चलती है, कलम की ताक़त पर नहीं। पूरा समाज, जिसने वह गुंडागर्दी का वीडियो देखा, अब इस प्रेस पर दबाव की कहानी भी देख रहा है। कैफी अली शायद यह भूल गए हैं कि इस डिजिटल युग में आप किसी को धमकी देकर चुप करा सकते हैं, लेकिन वीडियो और ख़बरें कभी मरते नहीं हैं वीडियो में साफ दिख रहा है की तालकटोरा शादाब आग सैयद फैजी को किनारे कर रहे हैं यानी बचा रहे हैं अल्फाजों से जनता सुन सकती है सैयद फैजी को बचा रहे हैं हाथ पकड़ कर बोला की आओ इधर आओ किनारे आ जाओ अगर कोई किसी से अगर बदतमीजी करता है तो डायरेक्ट मुझसे शिकायत कहें मैं उसे कर्बला से जो भी कर्मचारी होगा निकाल दूंगा पत्रकार रिंकू1