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More news from Jalaun and nearby areas
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- जालौन में सनसनी: मलंग नाले में युवक के बह जाने की आशंका, मोटरसाइकिल मिली नाली में, तलाश जारी जालौन जनपद के सिरसा कलार थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम हटना बुजुर्ग के पास उस समय हड़कंप मच गया, जब मलंग नाले के पास एक युवक की मोटरसाइकिल लावारिस हालत में नाली में पड़ी हुई मिली। मोटरसाइकिल मिलने के बाद से युवक के नाले में बह जाने की आशंका जताई जा रही है, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है।1
- ब्रेकिंग जालौन जालौन में इंसाफ की आस में पीड़िता दर-दर भटकने को मजबूर, एसडीएम के आदेश पर महिला पुलिस और पीएससी लेकर पहुँची थी ससुराल, ससुर और सास ने पुलिस और पीड़ित महिला पर पानी और पत्थर बरसाए, कड़कड़ाती ठंड में पीड़िता और पुलिस लौटी बैरंग, पानी और पत्थर बरसाने का वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल, पीड़िता ने उच्च अधिकारियों से लगाई न्याय की गुहार, जालौन के उरई कोतवाली क्षेत्र के नया पटेल नगर का मामला।1
- जिला संयुक्त चिकित्सालय 50 सैया औरैया गर्भवती महिलाओं के साथ होता है खिलवाड़ अगर अच्छे से इलाज हो अच्छी सुविधा मिले जैसी सरकार दे रही है तो क्यों फिर गर्भवती महिलाओं को भटकना पड़े डिलीवरी का समय बहुत ही एक गंभीर समय होता है हर महिला के लिए हर परिवार के लिए जिसका फिर निजी अस्पताल के लोग लाभ उठाते हैं और यह सब मिली भगत से होता है #मेराऔरैया #myभारत #MYogiAdityanath #KeshavPrasadMaurya #BrajeshPathak #NarendraModi #DMauraiya #nppauraiya #auraiya1
- बडी खबर औरैया से1
- धर्मेंद्र जी को श्रद्धांजलि सदा अमर रहे#🥀💔🥀#जो आया है इस दुनिया में उसे तो जाना पड़ेगा1
- बुन्देलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल की पुण्यतिथि पर किये श्रद्धासुमन अर्पित हमीरपुर। देशभक्तों की देश के प्रति भूमिका के मद्देनजर वर्णिता संस्था के तत्वावधान में विमर्श विविधा के अन्तर्गत सुमेरपुर कस्बे में जिनका देश ऋणी है के तहत संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने बुन्देलखण्ड केसरी महाराज छत्रसाल की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि छत्रसाल सही अर्थों में बुन्देलखण्ड के महान योद्धा और शासक थे। देश के प्रति इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इनका जन्म 4 मई 1649 को विन्ध्वासिनी क्षेत्र में चम्पतराय और सारन्ध्रा के घर हुआ था। ये प्रारम्भ से ही देशसेवी सोच के थे। इन्हें महाराजा की पदवी मिली थी। छत्रसाल ने बुन्देलखण्ड में मुगलों और औरंगजेब से मुकाबला किया था। इन्होंने औरंगजेब को पराजित किया था। इनका घोड़ा भाले भाई था, जो इनके प्रति बहुत वफादार था। इनकी समाधि टीकमगढ़ के पास बनी हैः इनके घोड़े की समाधि भी इन्हीं की समाधि के पास है। कालांतर में 20 दिसम्बर 1731 को इनका निधन हो गया था। इस कार्यक्रम में सिद्धा, महावीर प्रजापति इलेक्ट्रीशियन, रिचा, दयाराम सोनकर, रामनारायन सोनकर, सतेन्द्र, राहुल प्रजापति आदि शामिल रहे।1
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