रवींद्रनाथ ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि – भाजपा नेता डॉ. मनीष पंकज मिश्रा का भावपूर्ण नमन भारत रत्न, विश्वकवि, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान साहित्यकार, दार्शनिक एवं राष्ट्रगान के रचयिता गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके चरणों में नमन किया। उन्होंने कहा कि गुरुदेव न केवल एक अद्वितीय साहित्यकार थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, शिक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रबल संवाहक भी थे।डॉ. मिश्रा ने कहा कि ठाकुर जी ने भारतीय आत्मा की गहराइयों को अपनी लेखनी से उजागर किया और विश्व को भारतीय चिंतन से परिचित कराया। उनकी काव्य रचनाएं, उपन्यास, नाटक और गीत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस कालखंड में थे। उनका लिखा "जन गण मन" आज भारतवर्ष की आत्मा को अभिव्यक्त करता है।गुरुदेव की शिक्षा संबंधी सोच, शांति निकेतन की स्थापना और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने का कार्य हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके विचारों में भारतीयता और वैश्विक दृष्टिकोण का अद्भुत समन्वय था।डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि आज की पीढ़ी को गुरुदेव की रचनाओं और विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है, ताकि हम एक सशक्त, संस्कारित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकें। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की कि रवींद्रनाथ ठाकुर जी के जीवन दर्शन को जन-जन तक पहुँचाएं और उनकी प्रेरणा से राष्ट्रसेवा में योगदान दें।, उन्होंने गुरुदेव के चरणों में कृतज्ञता प्रकट करते हुए उन्हें शत-शत नमन किया और उनके अमर विचारों को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।
रवींद्रनाथ ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि – भाजपा नेता डॉ. मनीष पंकज मिश्रा का भावपूर्ण नमन भारत रत्न, विश्वकवि, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान साहित्यकार, दार्शनिक एवं राष्ट्रगान के रचयिता गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर जी की पुण्यतिथि पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके चरणों में नमन किया। उन्होंने कहा कि गुरुदेव न केवल एक अद्वितीय साहित्यकार थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, शिक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रबल संवाहक भी थे।डॉ. मिश्रा ने कहा कि ठाकुर जी ने भारतीय आत्मा की गहराइयों को अपनी लेखनी से उजागर किया और विश्व को भारतीय चिंतन से परिचित कराया। उनकी काव्य रचनाएं, उपन्यास, नाटक और गीत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस कालखंड में थे। उनका लिखा "जन गण मन" आज भारतवर्ष की आत्मा को अभिव्यक्त करता है।गुरुदेव की शिक्षा संबंधी सोच, शांति निकेतन की स्थापना और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने का कार्य हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके विचारों में भारतीयता और वैश्विक दृष्टिकोण का अद्भुत समन्वय था।डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि आज की पीढ़ी को गुरुदेव की रचनाओं और विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है, ताकि हम एक सशक्त, संस्कारित और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकें। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की कि रवींद्रनाथ ठाकुर जी के जीवन दर्शन को जन-जन तक पहुँचाएं और उनकी प्रेरणा से राष्ट्रसेवा में योगदान दें।, उन्होंने गुरुदेव के चरणों में कृतज्ञता प्रकट करते हुए उन्हें शत-शत नमन किया और उनके अमर विचारों को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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