प्रेस विज्ञप्ति : *70-प्रगतिशील किसानों पहुंचे 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म', देखी 'वर्टिकल-फार्मिंग' और 'प्राकृतिक-ग्रीनहाउस' की सफलता,* विशेष :- *देश के “सर्वश्रेष्ठ-निर्यातक" का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला देश का इकलौता फॉर्म है 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म',* *1996 में स्थापित देश का सर्वप्रथम सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म है मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म,* आज प्रदेश के महासमुंद और बागबाहरा क्षेत्र के लगभग 70 प्रगतिशील किसानों का एक दल, जिला कृषि अधिकारियों के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव स्थित देश के पहले प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सेंटर" पहुंचा। यह फार्म 1996 से दुर्लभ वन औषधियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित जैविक खेती, संरक्षण और प्रवर्धन के लिए प्रसिद्ध है। किसानों ने सबसे पहले चिखलपुटी स्थित 'इथनो हर्बल गार्डन' का दौरा किया, जहां 343 प्रकार की दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियां संरक्षित हैं। इसके बाद, उन्होंने फार्म में ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर उगाई जा रही काली मिर्च की खड़ी फसल का निरीक्षण किया। प्लांटेशन के बीच की खाली जगह में हल्दी, सफेद मूसली, स्टीविया, इंसुलिन प्लांट, और तुलसी जैसी औषधीय फसलों की खेती को भी देखा और समझा। फार्म भ्रमण के उपरांत बईठका सभागार में 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' की टीम – अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम, कृष्णा नेताम, शंकर नाग ने किसानों को औषधीय खेती की विस्तृत जानकारी दी। किसानों ने फार्म में उपयोग किए जा रहे वर्टिकल फार्मिंग के अनोखे मॉडल को देखा, जिससे मात्र एक एकड़ में 50 एकड़ तक की उत्पादन क्षमता प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही, केवल ₹2 लाख की लागत से 40 लाख रुपए के पालीहाउस से भी बेहतर, टिकाऊ तथा बहुपयोगी 'नेचुरल ग्रीनहाउस' के सफल मॉडल ने किसानों को बेहद प्रभावित किया। इस मॉडल ने अपनी सरलता और प्रभावशीलता से किसानों के बीच नई ऊर्जा और विश्वास का संचार किया। सभी किसानों ने इस उन्नत तकनीक को अपनाने और अपनी खेती में सुधार करने का संकल्प लिया। इस मॉडर्न हिस्ट्री हर्बल समूह की स्थापना आज से लगभग 3 दशक पूर्व डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा की गई। लिखनी है कि फिर देश के सबसे पहले सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म होने का दर्जा मिला है साथ ही देश के सर्वश्रेष्ठ निर्यातक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला या देश का इकलौता फॉर्म भी है। डॉ त्रिपाठी को पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों जनजाति समाज के उत्थान के लिए उनकी सतत तपस्या एवं उनके द्वारा किए गएनए-नए कृषि प्रयोगों एवं नवाचारों के लिए उन्हें अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि र डॉ. त्रिपाठी ने अपने सारे अवार्ड्स तथा पुरस्कारों को बस्तर के आदिवासी समाज को तथा 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' को समर्पित कर दिया या है। शंकर नाग मां दंतेश्वरी हर्बल समूह कोंडागांव बस्तरछत्तीसगढ़
प्रेस विज्ञप्ति : *70-प्रगतिशील किसानों पहुंचे 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म', देखी 'वर्टिकल-फार्मिंग' और 'प्राकृतिक-ग्रीनहाउस' की सफलता,* विशेष :- *देश के “सर्वश्रेष्ठ-निर्यातक" का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला देश का इकलौता फॉर्म है 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म',* *1996 में स्थापित देश का सर्वप्रथम सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म है मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म,* आज प्रदेश के महासमुंद और बागबाहरा क्षेत्र के लगभग 70 प्रगतिशील किसानों का एक दल, जिला कृषि अधिकारियों के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव स्थित देश के पहले प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सेंटर" पहुंचा। यह फार्म 1996 से दुर्लभ वन औषधियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित जैविक खेती, संरक्षण और प्रवर्धन के लिए प्रसिद्ध है। किसानों ने सबसे पहले चिखलपुटी स्थित 'इथनो हर्बल गार्डन' का दौरा किया, जहां 343 प्रकार की दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियां संरक्षित हैं। इसके बाद, उन्होंने फार्म में ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर उगाई जा रही काली मिर्च की खड़ी फसल का निरीक्षण किया। प्लांटेशन के बीच की खाली जगह में हल्दी, सफेद मूसली, स्टीविया, इंसुलिन प्लांट, और तुलसी जैसी औषधीय फसलों की खेती को भी देखा और समझा। फार्म भ्रमण के उपरांत बईठका सभागार में 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' की टीम – अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम, कृष्णा नेताम, शंकर नाग ने किसानों को औषधीय खेती की विस्तृत जानकारी दी। किसानों ने फार्म में उपयोग किए जा रहे वर्टिकल फार्मिंग के अनोखे मॉडल को देखा, जिससे मात्र एक एकड़ में 50 एकड़ तक की उत्पादन क्षमता प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही, केवल ₹2 लाख की लागत से 40 लाख रुपए के पालीहाउस से भी बेहतर, टिकाऊ तथा बहुपयोगी 'नेचुरल ग्रीनहाउस' के सफल मॉडल ने किसानों को बेहद प्रभावित किया। इस मॉडल ने अपनी सरलता और प्रभावशीलता से किसानों के बीच नई ऊर्जा और विश्वास का संचार किया। सभी किसानों ने इस उन्नत तकनीक को अपनाने और अपनी खेती में सुधार करने का संकल्प लिया। इस मॉडर्न हिस्ट्री हर्बल समूह की स्थापना आज से लगभग 3 दशक पूर्व डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा की गई। लिखनी है कि फिर देश के सबसे पहले सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म होने का दर्जा मिला है साथ ही देश के सर्वश्रेष्ठ निर्यातक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला या देश का इकलौता फॉर्म भी है। डॉ त्रिपाठी को पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों जनजाति समाज के उत्थान के लिए उनकी सतत तपस्या एवं उनके द्वारा किए गएनए-नए कृषि प्रयोगों एवं नवाचारों के लिए उन्हें अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि र डॉ. त्रिपाठी ने अपने सारे अवार्ड्स तथा पुरस्कारों को बस्तर के आदिवासी समाज को तथा 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' को समर्पित कर दिया या है। शंकर नाग मां दंतेश्वरी हर्बल समूह कोंडागांव बस्तरछत्तीसगढ़
- प्रेस विज्ञप्ति : *70-प्रगतिशील किसानों पहुंचे 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म', देखी 'वर्टिकल-फार्मिंग' और 'प्राकृतिक-ग्रीनहाउस' की सफलता,* विशेष :- *देश के “सर्वश्रेष्ठ-निर्यातक" का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला देश का इकलौता फॉर्म है 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म',* *1996 में स्थापित देश का सर्वप्रथम सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म है मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म,* आज प्रदेश के महासमुंद और बागबाहरा क्षेत्र के लगभग 70 प्रगतिशील किसानों का एक दल, जिला कृषि अधिकारियों के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव स्थित देश के पहले प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सेंटर" पहुंचा। यह फार्म 1996 से दुर्लभ वन औषधियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित जैविक खेती, संरक्षण और प्रवर्धन के लिए प्रसिद्ध है। किसानों ने सबसे पहले चिखलपुटी स्थित 'इथनो हर्बल गार्डन' का दौरा किया, जहां 343 प्रकार की दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियां संरक्षित हैं। इसके बाद, उन्होंने फार्म में ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों पर उगाई जा रही काली मिर्च की खड़ी फसल का निरीक्षण किया। प्लांटेशन के बीच की खाली जगह में हल्दी, सफेद मूसली, स्टीविया, इंसुलिन प्लांट, और तुलसी जैसी औषधीय फसलों की खेती को भी देखा और समझा। फार्म भ्रमण के उपरांत बईठका सभागार में 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' की टीम – अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम, कृष्णा नेताम, शंकर नाग ने किसानों को औषधीय खेती की विस्तृत जानकारी दी। किसानों ने फार्म में उपयोग किए जा रहे वर्टिकल फार्मिंग के अनोखे मॉडल को देखा, जिससे मात्र एक एकड़ में 50 एकड़ तक की उत्पादन क्षमता प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही, केवल ₹2 लाख की लागत से 40 लाख रुपए के पालीहाउस से भी बेहतर, टिकाऊ तथा बहुपयोगी 'नेचुरल ग्रीनहाउस' के सफल मॉडल ने किसानों को बेहद प्रभावित किया। इस मॉडल ने अपनी सरलता और प्रभावशीलता से किसानों के बीच नई ऊर्जा और विश्वास का संचार किया। सभी किसानों ने इस उन्नत तकनीक को अपनाने और अपनी खेती में सुधार करने का संकल्प लिया। इस मॉडर्न हिस्ट्री हर्बल समूह की स्थापना आज से लगभग 3 दशक पूर्व डॉ राजाराम त्रिपाठी के द्वारा की गई। लिखनी है कि फिर देश के सबसे पहले सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म होने का दर्जा मिला है साथ ही देश के सर्वश्रेष्ठ निर्यातक का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाला या देश का इकलौता फॉर्म भी है। डॉ त्रिपाठी को पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों जनजाति समाज के उत्थान के लिए उनकी सतत तपस्या एवं उनके द्वारा किए गएनए-नए कृषि प्रयोगों एवं नवाचारों के लिए उन्हें अब तक 100 से ज्यादा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है, तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि र डॉ. त्रिपाठी ने अपने सारे अवार्ड्स तथा पुरस्कारों को बस्तर के आदिवासी समाज को तथा 'मां दंतेश्वरी हर्बल समूह' को समर्पित कर दिया या है। शंकर नाग मां दंतेश्वरी हर्बल समूह कोंडागांव बस्तरछत्तीसगढ़1
- कोन कोन ल अगोरा हे वीर मेला के1
- Bastariya halbi geet1
- माननीय लता उसेंडी जी M.L.A. कोंडागांव विधानसभा1
- Kondagaon Crime News-नाबालिक पीड़िता को शादी का झांसा देकर किया बलात्कार1
- इस अवसर पर अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद रहे मौजूद ।कोंडागांव ।छत्तीसगढ़।bharat_nation1
- कलेक्टर ने अभियान को सफल बनाने के लिए दिए आवश्यक निर्देश।कोंडागांव ।छत्तीसगढ़bharat_nation ।1
- फरसगांव - केशकाल घाट दिनांक 09.11.2024 के द्वारा केशकाल घाट उन्नयन अंतर्गत कांक्रीटिंग एवं डामरीकरण कार्य के दौरान वाहनों के आवागमन हेतु दिनांक 25.11.2024 तक की अवधि के लिए मार्ग परिवर्तन आदेश जारी किया गया था। उक्त कार्य में लगने वाले समयावधि को दृष्टिगत रखते हुए वाहनों का आवागमन मार्ग दिनांक 26.11.2024 से दिनांक 10.12.2024 तक परिवर्तित करते हुए निम्नानुसार पूर्ववत मार्ग निर्धारित किया जाता है।1