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- श्रद्धांजलि सभा: 'ओ डेथ' के लेखक और साहित्यकार रामचंद्र प्रसाद सिंह 'राकेश' की याद में आयोजित विशेष कार्यक्रम हाजीपुर , चर्चित अंग्रेजी किताब 'ओ डेथ 'के लेखक, कवि और साहित्यकार सह सेवानिवृत प्रधानाध्यापक स्मृतिशेष रामचंद्र प्रसाद सिंह 'राकेश' की याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन स्टेशन रोड स्थित लाढो होटल, हाजीपुर के सभागार में किया गया। इस अवसर पर चार चरणों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रथम चरण में शोक श्रद्धांजलि के साथ रामचंद्र बाबू के' व्यक्तित्व व कृतित्व 'विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, वहीं द्वितीय चरण में विचार गोष्ठी विषय: जीवन के रंगमंच पर मृत्यु की कविताएं, तृतीय चरण में काव्य पाठ एवं चतुर्थ चरण में सांस्कृतिक कार्यक्रम सह श्रद्धांजलि भोज का आयोजन किया गया । सर्वप्रथम आगत अतिथियों का स्वागत स्मृति शेष रामचंद्र बाबू के बड़े पुत्र शिक्षक, कवि, लेखक व साहित्यकार सुधांशु कुमार चक्रवर्ती ने किया। चारों सत्रों के मंच का संचालन शिक्षक व रंगकर्मी उमेश कुमार निराला ने किया। प्रथम चरण में आयोजित शोक श्रद्धांजलि सभा एवं विचार गोष्ठी रामचंद्र बाबू के'व्यक्तित्व व कृतित्व' विषय पर आयोजित की गई ,जिसकी अध्यक्षता राजेश्वर प्रसाद ने किया। सर्वप्रथम उपस्थित लोगों ने रामचंद्र बाबू के तैलीय चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर डॉक्टर आनंद मोहन झा, डॉक्टर अमर आलोक, रविंद्र प्रसाद सिंहा,मुकेश कुमार, उपेंद्र कुमार अधिवक्ता, नंदू दास, डॉक्टर राणा रामेश्वर सिंह ,सीताराम सिंह, रविंद्र कुमार रतन , डॉ आनंद कुमार,डॉ महेश प्रसाद सिंह, डॉक्टर शिव बालक राय प्रभाकर, डॉक्टर नंदेश्वर प्रसाद सिंह, मनोज भूषण सिंह , अमित कुमार सोलंकी, बैद्यनाथ प्रसाद, राम प्रसाद सिंह अधिवक्ता ,डॉ प्रमोद कुमार सिंह ,शिक्षक गणेश पंडित एवं बिंदा सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रामचंद्र बाबू एक शिक्षक के साथ-साथ कुशल समाजसेवी भी थे। इन्होंने अंग्रेजी में 'ओ डेथ' नमक किताबें लिखी जो हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है।आज भी इनकी दो किताबें तैयार है जिन्हें प्रकाशित किया जाना है । हमलोगों की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब इनकी किताबें प्रकाशित होकर हमारे बीच आ जायें। वक्ताओं ने कहा कि वे सहज और सरल स्वभाव के थे। उन्होंने समाज और लेखक के रूप में अपने आप को स्थापित किया है। वे अपने पीछे भरा पड़ा परिवार छोड़ गये है। इनके दो पुत्र डॉ.सुधांशु कुमार चक्रवर्ती और सुधाकर कांत चक्रवर्ती दोनों शिक्षक हैं और उनकी चारों पुत्रियां अरुण चक्रवर्ती ,अर्चना चक्रवर्ती ,सुहासिनी चक्रवर्ती, उद्यम चक्रवर्ती एवं उनके दामाद डॉक्टर आनंद कुमार, रंजीत कुमार, राघवेंद्र प्रसाद शरण,शिक्षक ,चिकित्सक और समाजसेवी हैं। क्रांतिकारियों की जन्म भूमि महनार अनुमंडल, सहदेई बुजुर्ग प्रखंड के मुरौवतपुर, जिंदाबाद चौक स्थित एक प्रतिष्ठित किसान परिवार में एक व्यक्तित्व छवि रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश का जन्म 13 अप्रैल 1942 को हुआ था। इनको प्यार से लोग 'लाल' नाम से पुकारते थे। माता का नाम पलटी देवी एवं पिता का नाम रामचरित्र सिंह था। उनकी मां गृहणी थी ,जबकि पिता राम चरित्र सिंह स्वतंत्रता सेनानी ,कबीरपंथी एवं लोक कला कीर्तनियां शैली के प्रणेता थे ।रामचंद्र प्रसाद सिंह राकेश का बचपन ग्रामीण क्षेत्र में बीता । वे आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। द्वितीय सत्र में 'जीवन के रंगमंच पर मृत्यु की कविताएं' विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई । हिन्दी साहित्य सम्मेलन वैशाली के अध्यक्ष डॉ शशिभूषण कुमार ने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि साहित्यकार और शिक्षाविद् स्मृतिशेष रामचंद्र प्रसाद सिंह 'राकेश' हमारे लिए प्रेरणा स्रोत।इस विषय पर शिक्षक विश्वजीत कुमार ,डॉक्टर नंदेश्वर प्रसाद सिंह , सीताराम सिंह ,एवं अनिल चंद्र कुशवाहा ने भी अपने विचार रखें। वक्ताओं ने कहा कि वास्तव में जीवन एक रंगमंच अर्थात ड्रामा का स्टेज है। हम सभी इस रंगमंच के कलाकार हैं। सभी को अपना-अपना अभिनय करना है और अभिनय पूरा हो जाने के बाद इस पृथ्वी को छोड़कर नेपथ्य में चले जाना है । रामचंद्र बाबू द्वारा लिखी गई पुस्तक 'ओ डेथ' वास्तव में जीवन के रंगमंच पर मृत्यु की कविताएं हैं जो आज के सामाजिक परिवेश के लिए सार्थकता को साबित करता है। तीसरे सत्र में काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत प्रधानाध्यापक डॉक्टर शिव बालक राय 'प्रभाकर' ने किया जबकि संचालन शिक्षक व रंगकर्मी उमेश कुमार निराला ने किया । इस अवसर पर कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुनकर कार्यक्रम को यादगार बना दिया । वरिष्ठ कवि बेचू प्रसाद सिंह 'विनोद', दरभंगा से चलकर आए अभिताभ कुमार सिंह, रविंद्र कुमार रतन ,शंभू शरण मिश्र, डॉक्टर विजय विक्रम, उमेश प्रसाद 'अकंटक' डॉक्टर वीरमणि राय, विजय प्रसाद गुप्ता, मणि भूषण यादव, नंदू दास ,डॉक्टर नंदेश्वर प्रसाद सिंह ने अपनी कविताएं पढ़ी। कार्यक्रम के चौथे और अंतिम सत्र में कलाकार और चर्चित गायक कुंदन कृष्ण एवं लोक संगीत गायक अमरेंद्र कुमार के नेतृत्व एवं शिक्षक उमेश कुमार प्रसाद सिंह के संचालन में सांस्कृतिक कार्यक्रम अंतर्गत भजन संध्या के द्वारा गीतों से श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। लोक गायक अमरेन्द्र कुमार शर्मा ने एक से बढ़कर एक भजन सुनाया। इनके साथ संतोष चौरसिया, मिलन कुमार मिलन ,अरविंद कुमार सिंह मधुवन एवं संजीव कुमार शर्मा ने भी अपने गीत-संगीत से कार्यक्रम को यादगार बना दिया। इनके साथ वरिष्ठ तबला वादक बृज बिहारी मिश्र संगत कर रहे थे। इन्होंने अपने तबला वादन से दर्शकों को मंत्र मुक्त कर दिया। कार्यक्रम के अंत में सुधाकर कांत चक्रवर्ती ने धन्यवाद ज्ञापन किया।1
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