शेरकोट मे तबलीगी जमात का इज्तमा हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र संग दुआ में रोये लोग सकुशल सम्पन्न हुआ दो दिवसीय तब्लीगी इज्तमा शेरकोट कस्बे मे भनौटी रोड पर मैदान मे चल रहे दो दिवसीय तबलीगी जमात का इज्तमा शनिवार 11 बजे मुल्क में अमन-चैन व कौम की खुशहाली की दुआ के साथ संपन्न हो गया। आखिरी दिन हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र के बीच हजारों लोगों ने बारगाहे इलाही में गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहों से तौबा की और बाकी जिंदगी अल्लाह की राह में गुजारने का अहद करते हुए घरों की ओर रुख किया। इज्तमा से लगभग 50 जमातों की रवानगी के साथ करीब 100 जोड़ों का निकाह भी कराया गया। सुरक्षा को लेकर आयोजन स्थल पर कड़े इंतजाम रहे। इज्तमा संपन्न होने के बाद शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का संचालन कराने इज्तमा आयोजक द्वारा बनाये गये वॉलिंटियर्स व पुलिस ने यातायात व्यवस्था को संभाला। बता दे की पहले दौर में दिल्ली मरकज से तशरीफ़ लाये मौलाना शरीफ बराबंकी ने अपनी तकरीर में जिंदगी को दीन के मुताबिक गुजारने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बेहतर है वह लोगों तक पहुंचे और उसको भी इससे फैज हासिल हो, इससे बेहतर कोई दूसरी बात नहीं हो सकती, जमात का भी ये ही काम है। कहा कि मौजूदा दौर इस काम के लिए बेहद आसान हो चुका है,अब टेक्नोलॉजी से अपनी बात को बहुत जल्द दूसरे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है लेकिन इससे पहले नबियों को इस काम में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था,अच्छी बातों को दूसरे लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें मीलों का सफर पैदल करना पड़ता था। कहा कि जमातों, मुलाकातों और इज्तमा के जरिए इसी बात पर मेहनत की जा रही है। मौलाना शरीफ ने कहा कि आज कल के माहौल के लोगों में बच्चों को सिर्फ और सिर्फ दुनियावी तालीम दिलाने का माहौल सा बन गया है जबकि दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का हासिल करना बेहद जरूरी है। बिना दीनी तालीम के इंसान के अंदर इंसानियत नहीं दिखाई देती है। मौलाना ने शादियों में फिजूलखर्ची से बचते हुए निकाह को आसान बनाने पर जोर दिया। मौलना शरीफ ने निकाह पढ़ाए। इज्तमा के समापन पर मौलाना ने खुसूसी दुआ कराई तो पंडाल में मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई। वहीं, दुआ में शामिल होने को लेकर लोगों में सुबह से ही जज्बा देखने का मिला। दिन निकलते ही पंडाल भर गया। वहीं, दुआ के दौरान दोपहर तक बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहा, दुकाने बंद रहीं। उधर, इज्तमा में भारी भीड़ जुटने के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन भी सुबह से ही अलर्ट रहा। दोपहर में आयोजन शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने पर जिम्मेदार अफसरों ने राहत की सांस ली।
शेरकोट मे तबलीगी जमात का इज्तमा हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र संग दुआ में रोये लोग सकुशल सम्पन्न हुआ दो दिवसीय तब्लीगी इज्तमा शेरकोट कस्बे मे भनौटी रोड पर मैदान मे चल रहे दो दिवसीय तबलीगी जमात का इज्तमा शनिवार 11 बजे मुल्क में अमन-चैन व कौम की खुशहाली की दुआ के साथ संपन्न हो गया। आखिरी दिन हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र के बीच हजारों लोगों ने बारगाहे इलाही में गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहों से तौबा की और बाकी जिंदगी अल्लाह की राह में गुजारने का अहद करते हुए घरों की ओर रुख किया। इज्तमा से लगभग 50 जमातों की रवानगी के साथ करीब 100 जोड़ों का निकाह भी कराया गया। सुरक्षा को लेकर आयोजन स्थल पर कड़े इंतजाम रहे। इज्तमा संपन्न होने के बाद शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का संचालन कराने इज्तमा आयोजक द्वारा बनाये गये वॉलिंटियर्स व पुलिस ने यातायात व्यवस्था को संभाला। बता दे की पहले दौर में दिल्ली मरकज से तशरीफ़ लाये मौलाना शरीफ बराबंकी ने अपनी तकरीर में जिंदगी को दीन के मुताबिक गुजारने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बेहतर है वह लोगों तक पहुंचे और उसको भी इससे फैज हासिल हो, इससे बेहतर कोई दूसरी बात नहीं हो सकती, जमात का भी ये ही काम है। कहा कि मौजूदा दौर इस काम के लिए बेहद आसान हो चुका है,अब टेक्नोलॉजी से अपनी बात को बहुत जल्द दूसरे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है लेकिन इससे पहले नबियों को इस काम में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था,अच्छी बातों को दूसरे लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें मीलों का सफर पैदल करना पड़ता था। कहा कि जमातों, मुलाकातों और इज्तमा के जरिए इसी बात पर मेहनत की जा रही है। मौलाना शरीफ ने कहा कि आज कल के माहौल के लोगों में बच्चों को सिर्फ और सिर्फ दुनियावी तालीम दिलाने का माहौल सा बन गया है जबकि दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का हासिल करना बेहद जरूरी है। बिना दीनी तालीम के इंसान के अंदर इंसानियत नहीं दिखाई देती है। मौलाना ने शादियों में फिजूलखर्ची से बचते हुए निकाह को आसान बनाने पर जोर दिया। मौलना शरीफ ने निकाह पढ़ाए। इज्तमा के समापन पर मौलाना ने खुसूसी दुआ कराई तो पंडाल में मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई। वहीं, दुआ में शामिल होने को लेकर लोगों में सुबह से ही जज्बा देखने का मिला। दिन निकलते ही पंडाल भर गया। वहीं, दुआ के दौरान दोपहर तक बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहा, दुकाने बंद रहीं। उधर, इज्तमा में भारी भीड़ जुटने के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन भी सुबह से ही अलर्ट रहा। दोपहर में आयोजन शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने पर जिम्मेदार अफसरों ने राहत की सांस ली।
- शेरकोट मे तबलीगी जमात का इज्तमा हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र संग दुआ में रोये लोग सकुशल सम्पन्न हुआ दो दिवसीय तब्लीगी इज्तमा शेरकोट कस्बे मे भनौटी रोड पर मैदान मे चल रहे दो दिवसीय तबलीगी जमात का इज्तमा शनिवार 11 बजे मुल्क में अमन-चैन व कौम की खुशहाली की दुआ के साथ संपन्न हो गया। आखिरी दिन हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह के जिक्र के बीच हजारों लोगों ने बारगाहे इलाही में गिड़गिड़ाकर अपने गुनाहों से तौबा की और बाकी जिंदगी अल्लाह की राह में गुजारने का अहद करते हुए घरों की ओर रुख किया। इज्तमा से लगभग 50 जमातों की रवानगी के साथ करीब 100 जोड़ों का निकाह भी कराया गया। सुरक्षा को लेकर आयोजन स्थल पर कड़े इंतजाम रहे। इज्तमा संपन्न होने के बाद शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का संचालन कराने इज्तमा आयोजक द्वारा बनाये गये वॉलिंटियर्स व पुलिस ने यातायात व्यवस्था को संभाला। बता दे की पहले दौर में दिल्ली मरकज से तशरीफ़ लाये मौलाना शरीफ बराबंकी ने अपनी तकरीर में जिंदगी को दीन के मुताबिक गुजारने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बेहतर है वह लोगों तक पहुंचे और उसको भी इससे फैज हासिल हो, इससे बेहतर कोई दूसरी बात नहीं हो सकती, जमात का भी ये ही काम है। कहा कि मौजूदा दौर इस काम के लिए बेहद आसान हो चुका है,अब टेक्नोलॉजी से अपनी बात को बहुत जल्द दूसरे लोगों तक पहुंचाया जा सकता है लेकिन इससे पहले नबियों को इस काम में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था,अच्छी बातों को दूसरे लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हें मीलों का सफर पैदल करना पड़ता था। कहा कि जमातों, मुलाकातों और इज्तमा के जरिए इसी बात पर मेहनत की जा रही है। मौलाना शरीफ ने कहा कि आज कल के माहौल के लोगों में बच्चों को सिर्फ और सिर्फ दुनियावी तालीम दिलाने का माहौल सा बन गया है जबकि दुनियावी तालीम के साथ-साथ दीनी तालीम का हासिल करना बेहद जरूरी है। बिना दीनी तालीम के इंसान के अंदर इंसानियत नहीं दिखाई देती है। मौलाना ने शादियों में फिजूलखर्ची से बचते हुए निकाह को आसान बनाने पर जोर दिया। मौलना शरीफ ने निकाह पढ़ाए। इज्तमा के समापन पर मौलाना ने खुसूसी दुआ कराई तो पंडाल में मौजूद लोगों की आंखे नम हो गई। वहीं, दुआ में शामिल होने को लेकर लोगों में सुबह से ही जज्बा देखने का मिला। दिन निकलते ही पंडाल भर गया। वहीं, दुआ के दौरान दोपहर तक बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहा, दुकाने बंद रहीं। उधर, इज्तमा में भारी भीड़ जुटने के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन भी सुबह से ही अलर्ट रहा। दोपहर में आयोजन शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने पर जिम्मेदार अफसरों ने राहत की सांस ली।1
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