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नम्बर लाने क्या होता है 😅 #Comedyvideo #ravikumarvlogs #Instagram
Ravi Kumar
नम्बर लाने क्या होता है 😅 #Comedyvideo #ravikumarvlogs #Instagram
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- Post by Anoopshukla1
- बस 1 सेकंड की देरी और बड़ा हादसा हो सकता था। तेज रफ्तार से आ रहे बाइक सवार ने अचानक नियंत्रण खो दिया और सड़क किनारे खड़े एक अन्य बाइक सवार से जा टकराया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि मौके पर अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि आसपास मौजूद लोगों की मदद से घायल को तुरंत संभाल लिया गया, जिससे उसकी जान बच सकी। घटना ने एक बार फिर तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाने के खतरे को उजागर किया है।1
- उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेताओं के बीच में वाकई में तालमेल की कमी साफ नजर आ रही है तभी तो समाजवादी पार्टी पर विश्वास बढ़ते जा रहा है अखिलेश यादव एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे बोले समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता सर्वेश त्रिपाठी राजपथ न्यूज़ पर1
- ब्लॉक टोडरपुर की ग्राम पंचायत बजरिया में मनरेगा घोटाले का खुलासा,साढे 5 लाख की लागत से निजी खेतों में बने तालाब कागजों तक सीमित हरदोई। ब्लॉक टोडरपुर की ग्राम पंचायत बजरिया में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कराए गए कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। निजी खेतों में तालाब खुदाई के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया, लेकिन मौके पर तालाब की जगह आज भी धूल उड़ती नजर आ रही है। तीन तालाबों के निर्माण में करीब साढ़े पांच लाख रुपये खर्च दिखाए गए, जबकि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में ग्राम पंचायत बजरिया में पूर्व प्रधान द्वारा एक ही परिवार के तीन सगे भाइयों के खेतों में तालाब खुदाई का कार्य दिखाया गया। पहला तालाब कौशल किशोर पुत्र मगरे लाल के खेत में बनाया जाना दर्शाया गया,जिसकी लागत एक लाख 83 हजार 915 रुपये बताई गई। दूसरा तालाब प्रमोद कुमार पुत्र मगरे के खेत में दिखाया गया,जिस पर एक लाख 83 हजार 341 रुपये खर्च होने का उल्लेख है। तीसरा तालाब देशराज पुत्र मगरे के खेत में दर्शाया गया, जिसकी लागत एक लाख 74 हजार 870 रुपये दिखाई गई। इन तीनों कार्यों पर कुल मिलाकर लगभग साढ़े पांच लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। हैरानी की बात यह है कि जिन खेतों में तालाब निर्माण दर्शाया गया है, वहां आज भी किसी प्रकार का तालाब मौजूद नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार,न तो कभी खुदाई मशीनें आईं और न ही मजदूरों ने वहां काम किया। केवल कागजों में तालाब खुदाई दिखाकर सरकारी धन का गबन कर लिया गया। खेतों में जहां तालाब होना चाहिए, वहां समतल जमीन और उड़ती धूल इस कथित विकास कार्य की पोल खोल रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे घोटाले को अंजाम तत्कालीन ग्राम प्रधान और तत्कालीन ग्राम सचिव की मिलीभगत से दिया गया। मनरेगा के नाम पर मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगाई गई, मस्टर रोल तैयार किए गए और बिना काम कराए भुगतान करा लिया गया। जिन लाभार्थियों के नाम पर तालाब दिखाए गए, वे सभी आपस में सगे भाई हैं, जिससे पूरे प्रकरण पर सवाल और गहरे हो जाते हैं। मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना और जल संरक्षण जैसे कार्यों को बढ़ावा देना है, लेकिन बजरिया ग्राम पंचायत में इस योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। तालाब निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य,जो किसानों और गांव के लिए जीवनरेखा साबित हो सकते थे,केवल फाइलों तक सीमित रह गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई तो ऐसे घोटाले आगे भी होते रहेंगे। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और उच्चाधिकारियों से मांग की है कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और गबन की गई धनराशि की रिकवरी की जाए। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। यदि जांच हुई तो न केवल ग्राम पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठेंगे, बल्कि मनरेगा योजना के क्रियान्वयन की सच्चाई भी सामने आएगी। फिलहाल बजरिया ग्राम पंचायत में मनरेगा के नाम पर उड़ रही धूल सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार की गवाही दे रही है।1
- samohik Vivah sapan hogy1
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- कवियत्री सोनी शुक्ला क्रांति लखनऊ उत्तर प्रदेश लखनऊ #हाईलाइट1
- Post by Anoopshukla1