जैसलमेर के मखमली रेत के धोरे न केवल राजस्थान की शान हैं, बल्कि हजारों स्थानीय परिवारों की रोजी-रोटी का आधार भी हैं। प्रशासन का स्पष्ट नियम है कि इन धोरों की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ केवल रजिस्टर्ड और प्रमाणित सफारी गाड़ियाँ ही जा सकती हैं। इन गाड़ियों को चलाने वाले स्थानीय चालक रेगिस्तान की रग-रग से वाकिफ होते हैं, जो पर्यटकों को सुरक्षित रोमांच का अनुभव कराते हैं। आजकल यह देखा जा रहा है कि कई पर्यटक अपने 'रौब और रुतबे' का प्रदर्शन करने के लिए अपनी निजी गाड़ियाँ लेकर धोरों के बीच पहुँच जाते हैं। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक अत्यंत खतरनाक कदम भी है। पिछले दिनों हुए टोयोटा हाइलक्स जैसे भीषण हादसे इस बात का प्रमाण हैं कि रेगिस्तान की रेत को कम आंकना जानलेवा हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन अक्सर मौन रहता है। धोरों के इको-सिस्टम और स्थानीय लोगों के हक की रक्षा के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है। पर्यटकों से गुजारिस है कि जैसलमेर की खूबसूरती का आनंद लें, लेकिन यहाँ की परंपरा और नियमों का सम्मान करें। स्थानीय रजिस्टर्ड सफारी का ही उपयोग करें— यह सुरक्षित भी है और इससे यहाँ के युवाओं को संबल भी मिलता है।
जैसलमेर के मखमली रेत के धोरे न केवल राजस्थान की शान हैं, बल्कि हजारों स्थानीय परिवारों की रोजी-रोटी का आधार भी हैं। प्रशासन का स्पष्ट नियम है कि इन धोरों की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ केवल रजिस्टर्ड और प्रमाणित सफारी गाड़ियाँ ही जा सकती हैं। इन गाड़ियों को चलाने वाले स्थानीय चालक रेगिस्तान की रग-रग से वाकिफ होते हैं, जो पर्यटकों को सुरक्षित रोमांच का अनुभव कराते हैं। आजकल यह देखा जा रहा है कि कई पर्यटक अपने 'रौब और रुतबे' का प्रदर्शन करने के लिए अपनी निजी गाड़ियाँ लेकर धोरों के बीच पहुँच जाते हैं। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक अत्यंत खतरनाक कदम भी है। पिछले दिनों हुए टोयोटा हाइलक्स जैसे भीषण हादसे इस बात का प्रमाण हैं कि रेगिस्तान की रेत को कम आंकना जानलेवा हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन अक्सर मौन रहता है। धोरों के इको-सिस्टम और स्थानीय लोगों के हक की रक्षा के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है। पर्यटकों से गुजारिस है कि जैसलमेर की खूबसूरती का आनंद लें, लेकिन यहाँ की परंपरा और नियमों का सम्मान करें। स्थानीय रजिस्टर्ड सफारी का ही उपयोग करें— यह सुरक्षित भी है और इससे यहाँ के युवाओं को संबल भी मिलता है।
- जयपुर के बड़ पीपली बालाजी मन्दिर के महंत श्रीमत परमिंद्र महाराज जी का झाडा, लोगों के कस्ट निवारण के साथ साथ कई मामलों में वरदान साबित हो रहा है, शनिवार, और मंगलवार को यहाँ बड़ी संख्या में लोगों आते हैं, यहाँ पर सामाजिक बुराइयों को छोड़कर लोग, भजन कीर्तन में ध्यान लगाते है,1
- जैसलमेर के मखमली रेत के धोरे न केवल राजस्थान की शान हैं, बल्कि हजारों स्थानीय परिवारों की रोजी-रोटी का आधार भी हैं। प्रशासन का स्पष्ट नियम है कि इन धोरों की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ केवल रजिस्टर्ड और प्रमाणित सफारी गाड़ियाँ ही जा सकती हैं। इन गाड़ियों को चलाने वाले स्थानीय चालक रेगिस्तान की रग-रग से वाकिफ होते हैं, जो पर्यटकों को सुरक्षित रोमांच का अनुभव कराते हैं। आजकल यह देखा जा रहा है कि कई पर्यटक अपने 'रौब और रुतबे' का प्रदर्शन करने के लिए अपनी निजी गाड़ियाँ लेकर धोरों के बीच पहुँच जाते हैं। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक अत्यंत खतरनाक कदम भी है। पिछले दिनों हुए टोयोटा हाइलक्स जैसे भीषण हादसे इस बात का प्रमाण हैं कि रेगिस्तान की रेत को कम आंकना जानलेवा हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन अक्सर मौन रहता है। धोरों के इको-सिस्टम और स्थानीय लोगों के हक की रक्षा के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है। पर्यटकों से गुजारिस है कि जैसलमेर की खूबसूरती का आनंद लें, लेकिन यहाँ की परंपरा और नियमों का सम्मान करें। स्थानीय रजिस्टर्ड सफारी का ही उपयोग करें— यह सुरक्षित भी है और इससे यहाँ के युवाओं को संबल भी मिलता है।1
- PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना Update: 300 यूनिट तक बिजली अब मिलेगी मुफ्त। जानिए आवेदन प्रक्रिया और ₹78,000 तक की सब्सिडी का लाभ कैसे लें।1
- अमरसर में नवीन पंचायत समिति1
- विराटनगर विधानसभा क्षेत्र के खातोलाई, गुर्जरपुरा, जवानपुरा, बागावास चौरासी ,चतरपुरा पंचायत समिति# विराटनगर एकता#1
- Post by हेमराज ठेकेदार1
- #गंगापुरसिटी वजीरपुर हमारे संघर्ष की हुई जीत बड़ौदा बडोली रोड का डामरीकरण कार्य चालू और आज मौके पर पहुंच कर समस्त युवा टीम के कार्यकर्ताओं के साथ रोड का डंबर कार्य का किया निरक्षण,जो हमारे दोनों गावों की महत्वपूर्ण समस्या थी, इस रोड के लिए लगातार मेरे द्वारा रात दिन SDM कार्यालय वज़ीरपुर पर धरना दिया था ज़ब प्रसासन न 10 जनवरी तक का समय माँगा था, ज़ब जाकर हमने प्रसासन से ये बोला की 10जनवरी तक रोड नहीं बना तो मजबूरन हमें आंदोलन करना पड़ेगा ज़ब प्रसासन न जनता की ताकत को देखते हुए 10 जनवरी से पहले ही रोड का कार्य चालू कर दिया इस आंदोलन मै मेरा साथ देने बाली समस्त क्षेत्र की जनता व युवा टीम के सभी कार्यकर्ताओं का बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे द्वारा क्षेत्र की जनता की लड़ाई पहले भी लड़ी गई थी और आग1
- शोरूम के बाहर अपना ही ई-रिक्शा फूंका... जोधपुर में बजाज शोरूम के बाहर एक युवक मोहन सोलंकी ने खुद के ई-रिक्शा को पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। इस दौरान मोहन की पत्नी दहाड़ें मार मार कर रोती रही। भाई वीडियो बनाता रहा। मोहन का आरोप है कि ई-रिक्शा की बैटरी खराब थी और कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। एवरेज घट गया था। कुछ दिन पहले वह गधे से खिंचवाकर भी ई-रिक्शा को सर्विस सेंटर ले गया था। दूसरी ओर बजाज शोरूम के संचालक हरीश भंडारी ने कहा कि मोहन बेवजह ई-रिक्शा बदलने का दबाव बना रहा था जबकि जांच में सब कुछ ठीक था।1