बंक्यारानी माताजी तीन दिवस तक रहती है विकराल रूप में 9 दिन में अलग-अलग स्वरूप में होता है दर्शन। अलर्ट नेशन न्यूज भीलवाड़ा आसींद से संवाददाता सांवरमल शर्मा की रिपोर्ट। माता बंक्यारानी का स्थान भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के माताजी खेड़ा में स्थित है। नवरात्र में यहां पर हजारों लोग आते हैं। यहां पर हनुमानजी, भगवान भैरव माता बंक्यारानी ज्वाला माता का प्रसिद्ध स्थान है। मंदिर के पास तालाब है। यहां शनिवार और रविवार को विशेष भीड़ रहती है जो भी माता के दर्शन करने आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं। बंक्यारानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 12 किमी दूर आसींद शाहपुरा मार्ग स्थित है प्रत्येक नवरात्र में मेले जैसा माहौल रहता है। शक्ति स्थल पर वर्तमान में सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया। हर साल शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। बंक्यारानी पर बनी फिल्म : शक्ति स्थल की प्रेत बाधा चिकित्सा की विशेषताओं को लेकर मिसेज बचानी ने ऑयज शॉप स्टोन, नाम से फिल्म बनाई थी, जो फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म मेले में स्वर्ण पदक से नवाजी गई। नवरात्र में शोधकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं, गायको और कलाकारों का आना-जाना लगा रहता है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व पूर्व विधायक लक्ष्मीलाल गुर्जर व मैनेजर गोपाल गुर्जर ने बताया कि नवरात्र में विभिन्न राज्यों से लोग यहां आते हैं। मंदिर परिसर में आते ही बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में परिवर्तन आ जाता है। नवरात्र के 9 दिन तक कई परिवार यहां पर रहते हैं। महिलाएं एक किलोमीटर दूर हनुमान मंदिर तक जाती है वहां कुंड में स्नान के बाद शान्ति मिलती है। राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई थी बंक्यारानी प्रचलित कथाओं के आधार पर मंदिर के पुजारी व ट्रस्टी देवीलाल ने बताया कि बंकिया माता बकेसुर राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई। वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी। प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेसर के जंगलों में बाल गोपाल पशु चरा रहे थे उन्हें वह दिखाई दी और वे चिल्ला उठे। पुकारने पर माता भवानी ने अपनी यात्रा स्थगित कर वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई उस जगह पाषाण का रूप धारण किया। बताया जाता है कि ईसरदास पंवार निसंतान था, उसको बच्चा दिया इसके बदले में महिषासुर भैंसे की बलि देनी थी लेकिन वह वादा भूल गया। उसका बच्चा 12 वर्ष का होने पर जन्मदिन पर बच्चे ने कहां कि मैं बंक्यारानी के समर्पित होने जा रहा हूं और अपना शीश मां के अर्पित कर दिया। परिवार जन वहा आए तो शीश कटा हुआ सोने की थाली में पड़ा था। मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए की मूर्ति लगी हुई है। यहां शिलालेख है, लेकिन अब कुछ नजर नहीं आता है। मंदिर के पास ही एक किलोमीटर दूर आमेसर रोड पर हनुमान मंदिर है। मंदिर आने वाले भक्त यहां बिना दर्शन के नहीं जाते। बाइट ट्रस्ट के सदस्य बाइट महिला बाइट दुकानदार ताराचंद व्यास
बंक्यारानी माताजी तीन दिवस तक रहती है विकराल रूप में 9 दिन में अलग-अलग स्वरूप में होता है दर्शन। अलर्ट नेशन न्यूज भीलवाड़ा आसींद से संवाददाता सांवरमल शर्मा की रिपोर्ट। माता बंक्यारानी का स्थान भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के माताजी खेड़ा में स्थित है। नवरात्र में यहां पर हजारों लोग आते हैं। यहां पर हनुमानजी, भगवान भैरव माता बंक्यारानी ज्वाला माता का प्रसिद्ध स्थान है। मंदिर के पास तालाब है। यहां शनिवार और रविवार को विशेष भीड़ रहती है जो भी माता के दर्शन करने आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं। बंक्यारानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 12 किमी दूर आसींद शाहपुरा मार्ग स्थित है प्रत्येक नवरात्र में मेले जैसा माहौल रहता है। शक्ति स्थल पर वर्तमान में सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया। हर साल शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। बंक्यारानी पर बनी फिल्म : शक्ति स्थल की प्रेत बाधा चिकित्सा की विशेषताओं को लेकर
मिसेज बचानी ने ऑयज शॉप स्टोन, नाम से फिल्म बनाई थी, जो फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म मेले में स्वर्ण पदक से नवाजी गई। नवरात्र में शोधकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं, गायको और कलाकारों का आना-जाना लगा रहता है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व पूर्व विधायक लक्ष्मीलाल गुर्जर व मैनेजर गोपाल गुर्जर ने बताया कि नवरात्र में विभिन्न राज्यों से लोग यहां आते हैं। मंदिर परिसर में आते ही बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में परिवर्तन आ जाता है। नवरात्र के 9 दिन तक कई परिवार यहां पर रहते हैं। महिलाएं एक किलोमीटर दूर हनुमान मंदिर तक जाती है वहां कुंड में स्नान के बाद शान्ति मिलती है। राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई थी बंक्यारानी प्रचलित कथाओं के आधार पर मंदिर के पुजारी व ट्रस्टी देवीलाल ने बताया कि बंकिया माता बकेसुर राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई। वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी। प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेसर के जंगलों में बाल गोपाल
पशु चरा रहे थे उन्हें वह दिखाई दी और वे चिल्ला उठे। पुकारने पर माता भवानी ने अपनी यात्रा स्थगित कर वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई उस जगह पाषाण का रूप धारण किया। बताया जाता है कि ईसरदास पंवार निसंतान था, उसको बच्चा दिया इसके बदले में महिषासुर भैंसे की बलि देनी थी लेकिन वह वादा भूल गया। उसका बच्चा 12 वर्ष का होने पर जन्मदिन पर बच्चे ने कहां कि मैं बंक्यारानी के समर्पित होने जा रहा हूं और अपना शीश मां के अर्पित कर दिया। परिवार जन वहा आए तो शीश कटा हुआ सोने की थाली में पड़ा था। मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए की मूर्ति लगी हुई है। यहां शिलालेख है, लेकिन अब कुछ नजर नहीं आता है। मंदिर के पास ही एक किलोमीटर दूर आमेसर रोड पर हनुमान मंदिर है। मंदिर आने वाले भक्त यहां बिना दर्शन के नहीं जाते। बाइट ट्रस्ट के सदस्य बाइट महिला बाइट दुकानदार ताराचंद व्यास
- बंक्यारानी माताजी तीन दिवस तक रहती है विकराल रूप में 9 दिन में अलग-अलग स्वरूप में होता है दर्शन। अलर्ट नेशन न्यूज भीलवाड़ा आसींद से संवाददाता सांवरमल शर्मा की रिपोर्ट। माता बंक्यारानी का स्थान भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के माताजी खेड़ा में स्थित है। नवरात्र में यहां पर हजारों लोग आते हैं। यहां पर हनुमानजी, भगवान भैरव माता बंक्यारानी ज्वाला माता का प्रसिद्ध स्थान है। मंदिर के पास तालाब है। यहां शनिवार और रविवार को विशेष भीड़ रहती है जो भी माता के दर्शन करने आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं। बंक्यारानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है बंक्यारानी माता मंदिर आसींद से 12 किमी दूर आसींद शाहपुरा मार्ग स्थित है प्रत्येक नवरात्र में मेले जैसा माहौल रहता है। शक्ति स्थल पर वर्तमान में सरकार ने ट्रस्ट का गठन किया। हर साल शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। बंक्यारानी पर बनी फिल्म : शक्ति स्थल की प्रेत बाधा चिकित्सा की विशेषताओं को लेकर मिसेज बचानी ने ऑयज शॉप स्टोन, नाम से फिल्म बनाई थी, जो फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म मेले में स्वर्ण पदक से नवाजी गई। नवरात्र में शोधकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं, गायको और कलाकारों का आना-जाना लगा रहता है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व पूर्व विधायक लक्ष्मीलाल गुर्जर व मैनेजर गोपाल गुर्जर ने बताया कि नवरात्र में विभिन्न राज्यों से लोग यहां आते हैं। मंदिर परिसर में आते ही बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में परिवर्तन आ जाता है। नवरात्र के 9 दिन तक कई परिवार यहां पर रहते हैं। महिलाएं एक किलोमीटर दूर हनुमान मंदिर तक जाती है वहां कुंड में स्नान के बाद शान्ति मिलती है। राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई थी बंक्यारानी प्रचलित कथाओं के आधार पर मंदिर के पुजारी व ट्रस्टी देवीलाल ने बताया कि बंकिया माता बकेसुर राक्षस का वध कर बांके गढ़ में प्रकट हुई। वहां से प्रस्थान कर आकाश मार्ग से जा रही थी। प्राचीन बदनोर प्रांत के आमेसर के जंगलों में बाल गोपाल पशु चरा रहे थे उन्हें वह दिखाई दी और वे चिल्ला उठे। पुकारने पर माता भवानी ने अपनी यात्रा स्थगित कर वर्तमान में स्थापित मूर्ति की जगह उतर आई उस जगह पाषाण का रूप धारण किया। बताया जाता है कि ईसरदास पंवार निसंतान था, उसको बच्चा दिया इसके बदले में महिषासुर भैंसे की बलि देनी थी लेकिन वह वादा भूल गया। उसका बच्चा 12 वर्ष का होने पर जन्मदिन पर बच्चे ने कहां कि मैं बंक्यारानी के समर्पित होने जा रहा हूं और अपना शीश मां के अर्पित कर दिया। परिवार जन वहा आए तो शीश कटा हुआ सोने की थाली में पड़ा था। मंदिर के बाहर कटे हुए धड़ पर सर रखे हुए की मूर्ति लगी हुई है। यहां शिलालेख है, लेकिन अब कुछ नजर नहीं आता है। मंदिर के पास ही एक किलोमीटर दूर आमेसर रोड पर हनुमान मंदिर है। मंदिर आने वाले भक्त यहां बिना दर्शन के नहीं जाते। बाइट ट्रस्ट के सदस्य बाइट महिला बाइट दुकानदार ताराचंद व्यास3
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