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जिंदगी में अगर हंसना मुस्कुराना नहीं सीखे तो फिर क्या सीखे#🤣🥰🤪🤣 खुद हंसो दूसरों को हंसाओ

2 days ago
user_Kshatr Pal shivhare
Kshatr Pal shivhare
Actor Moth, Jhansi•
2 days ago

जिंदगी में अगर हंसना मुस्कुराना नहीं सीखे तो फिर क्या सीखे#🤣🥰🤪🤣 खुद हंसो दूसरों को हंसाओ

  • U
    User1595
    Garautha, Jhansi
    💣
    23 hrs ago
More news from Jalaun and nearby areas
  • सरकारी प्रचार बैनरों से ढके ट्रैफिक पोल, नियमों पर सवाल उरई (जालौन)। शहर में इन दिनों सरकारी प्रचार बैनरों की भरमार इस कदर दिखाई दे रही है कि यातायात व्यवस्था से जुड़े ट्रैफिक पोल और संकेतक तक ढक गए हैं। कालपी रोड सहित प्रमुख मार्गों पर लगे ट्रैफिक संकेत कई स्थानों पर स्पष्ट नहीं रह गए हैं, जिससे सड़क सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इसी प्रकार कोई मीडिया हाउस या विपक्षी दल बिना अनुमति के होर्डिंग लगाए, तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करता है, लेकिन सरकारी प्रचार सामग्री के मामले में नियमों की अनदेखी की जा रही है। नागरिकों का यह भी आरोप है कि एक ओर यातायात नियमों के उल्लंघन पर दोपहिया वाहनों के चालान किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर नियमों के विरुद्ध लगाए गए बैनर–पोस्टरों पर प्रशासन की नजर नहीं जाती। इससे दोहरे मापदंड का संदेश जनता के बीच जा रहा है। जनता का कहना है कि शहर की जनता सब देख रही है और यह भी समझ रही है कि केवल पोस्टर-बैनरों से जनसमर्थन नहीं मिलता। सड़क सुरक्षा से जुड़े संकेतों को ढकना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि आमजन के लिए जोखिम भी पैदा करता है।
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    सरकारी प्रचार बैनरों से ढके ट्रैफिक पोल, नियमों पर सवाल
उरई (जालौन)।
शहर में इन दिनों सरकारी प्रचार बैनरों की भरमार इस कदर दिखाई दे रही है कि यातायात व्यवस्था से जुड़े ट्रैफिक पोल और संकेतक तक ढक गए हैं। कालपी रोड सहित प्रमुख मार्गों पर लगे ट्रैफिक संकेत कई स्थानों पर स्पष्ट नहीं रह गए हैं, जिससे सड़क सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इसी प्रकार कोई मीडिया हाउस या विपक्षी दल बिना अनुमति के होर्डिंग लगाए, तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करता है, लेकिन सरकारी प्रचार सामग्री के मामले में नियमों की अनदेखी की जा रही है।
नागरिकों का यह भी आरोप है कि एक ओर यातायात नियमों के उल्लंघन पर दोपहिया वाहनों के चालान किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर नियमों के विरुद्ध लगाए गए बैनर–पोस्टरों पर प्रशासन की नजर नहीं जाती। इससे दोहरे मापदंड का संदेश जनता के बीच जा रहा है।
जनता का कहना है कि शहर की जनता सब देख रही है और यह भी समझ रही है कि केवल पोस्टर-बैनरों से जनसमर्थन नहीं मिलता। सड़क सुरक्षा से जुड़े संकेतों को ढकना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि आमजन के लिए जोखिम भी पैदा करता है।
    user_SHIVPAL SINGH
    SHIVPAL SINGH
    Newspaper publisher Orai, Jalaun•
    8 hrs ago
  • जालौन: रात के अंधेरे में चल रहे अवैध खनन पर प्रशासन का शिकंजा जालौन जिले में अवैध मिट्टी खनन के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी और सख्त कार्रवाई करते हुए खनन माफियाओं की कमर तोड़ दी। उरई कोतवाली क्षेत्र के फैक्ट्री एरिया चौकी अंतर्गत पुलिस व प्रशासन की संयुक्त टीम ने देर रात अचानक छापेमारी कर अवैध खनन का भंडाफोड़ किया। कार्रवाई के दौरान मौके से एक जेसीबी मशीन और छह ट्रैक्टरों को जब्त किया गया, जिससे इलाके में खनन माफियाओं में हड़कंप मच गया। प्रशासन को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि इस क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है। जांच में सामने आया कि अटल नामक व्यक्ति सरकारी कार्य का हवाला देकर रात के समय खुलेआम खनन करा रहा था, जिससे न केवल राजस्व को नुकसान हो रहा था बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। अचानक हुई इस कार्रवाई से साफ संदेश गया है कि अवैध खनन करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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    जालौन: रात के अंधेरे में चल रहे अवैध खनन पर प्रशासन का शिकंजा
जालौन जिले में अवैध मिट्टी खनन के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी और सख्त कार्रवाई करते हुए खनन माफियाओं की कमर तोड़ दी। उरई कोतवाली क्षेत्र के फैक्ट्री एरिया चौकी अंतर्गत पुलिस व प्रशासन की संयुक्त टीम ने देर रात अचानक छापेमारी कर अवैध खनन का भंडाफोड़ किया।
कार्रवाई के दौरान मौके से एक जेसीबी मशीन और छह ट्रैक्टरों को जब्त किया गया, जिससे इलाके में खनन माफियाओं में हड़कंप मच गया।
प्रशासन को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि इस क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है। जांच में सामने आया कि अटल नामक व्यक्ति सरकारी कार्य का हवाला देकर रात के समय खुलेआम खनन करा रहा था, जिससे न केवल राजस्व को नुकसान हो रहा था बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे थे।
अचानक हुई इस कार्रवाई से साफ संदेश गया है कि अवैध खनन करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। प्रशासन का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
    user_Bheem rajawat 9628800458
    Bheem rajawat 9628800458
    Journalist Jalaun, Uttar Pradesh•
    19 hrs ago
  • फूलबाग–नौगजा रोड पर अवैध फुटपाथ कब्जों का तांडव गोपाचल जैन तीर्थ के द्वार पर ही जाम, श्रद्धालु और आमजन त्रस्त ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 32, फूलबाग–नौगजा रोड पर स्थित गोपाचल पर्वत जैन तीर्थ क्षेत्र के मुख्य द्वार के सामने की सड़क आज अव्यवस्था की भेंट चढ़ चुकी है। सड़क किनारे कुकुरमुत्तों की तरह उग आई अवैध फुटपाथ दुकानें न सिर्फ यातायात को बाधित कर रही हैं, बल्कि श्रद्धा, व्यवस्था और कानून—तीनों का मज़ाक बना रही हैं। क़ीमती और व्यस्त सड़क पर ग्वालियर के बाहरी लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है, जिससे दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। हालात ऐसे हैं कि पैदल चलना दूभर, दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवाजाही भी खतरे में पड़ गई है। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि धर्म प्रेमियों, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को जैन तीर्थ क्षेत्र तक पहुँचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार आपात स्थिति में भी वाहन फँस जाते हैं, जिससे बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह सब प्रशासनिक उदासीनता और नगर निगम की ढिलाई का नतीजा है। बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो अतिक्रमण हटाया जा रहा है और न ही स्थायी समाधान किया जा रहा है। अब सवाल यह है— क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है? या फिर गोपाचल जैसे पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र की गरिमा यूँ ही सड़क पर रौंदी जाती रहेगी? आमजन और धर्मावलंबियों ने तत्काल अतिक्रमण हटाने, यातायात सुचारु करने और दोषियों पर कार्रवाई की माँग की है।
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    फूलबाग–नौगजा रोड पर अवैध फुटपाथ कब्जों का तांडव
गोपाचल जैन तीर्थ के द्वार पर ही जाम, श्रद्धालु और आमजन त्रस्त
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 32, फूलबाग–नौगजा रोड पर स्थित गोपाचल पर्वत जैन तीर्थ क्षेत्र के मुख्य द्वार के सामने की सड़क आज अव्यवस्था की भेंट चढ़ चुकी है।
सड़क किनारे कुकुरमुत्तों की तरह उग आई अवैध फुटपाथ दुकानें न सिर्फ यातायात को बाधित कर रही हैं, बल्कि श्रद्धा, व्यवस्था और कानून—तीनों का मज़ाक बना रही हैं।
क़ीमती और व्यस्त सड़क पर ग्वालियर के बाहरी लोगों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है, जिससे दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। हालात ऐसे हैं कि पैदल चलना दूभर, दोपहिया और चारपहिया वाहनों की आवाजाही भी खतरे में पड़ गई है।
सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि धर्म प्रेमियों, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को जैन तीर्थ क्षेत्र तक पहुँचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार आपात स्थिति में भी वाहन फँस जाते हैं, जिससे बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह सब प्रशासनिक उदासीनता और नगर निगम की ढिलाई का नतीजा है। बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो अतिक्रमण हटाया जा रहा है और न ही स्थायी समाधान किया जा रहा है।
अब सवाल यह है—
क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है?
या फिर गोपाचल जैसे पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र की गरिमा यूँ ही सड़क पर रौंदी जाती रहेगी?
आमजन और धर्मावलंबियों ने तत्काल अतिक्रमण हटाने, यातायात सुचारु करने और दोषियों पर कार्रवाई की माँग की है।
    user_GWALIOR PRAVAH NEWS
    GWALIOR PRAVAH NEWS
    Voice of people Gird, Gwalior•
    14 hrs ago
  • फूप थाना पुलिस ने सोशल मीडिया स्ट्राग्राम पर फर्जी आईडी बनाकर लड़की को परेशान करने वाले युवक को तकनीकी सहायता से पकड़ा भेजा जेल*
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    फूप थाना पुलिस ने सोशल मीडिया स्ट्राग्राम पर फर्जी आईडी बनाकर लड़की को परेशान करने वाले युवक को तकनीकी सहायता से पकड़ा भेजा जेल*
    user_Dinesh soni
    Dinesh soni
    Journalist Bhind Nagar, Madhya Pradesh•
    15 hrs ago
  • किसी की जान बचना सबसे बड़ा धर्म है
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    किसी की जान बचना सबसे बड़ा धर्म है
    SU
    सच वॉयरल न्यूज
    Journalist Bhind, Madhya Pradesh•
    16 hrs ago
  • नगर पालिका परिषद औरैया की एक और लापरवाही महिलाएं जा रही है खुले में शौच महिला पिंक शौचालय बंद किए हुए हैं #SwachhSurvekshan2025 #swachhBharat #NarendraModi #nppAuraiya 14/12/2025
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    नगर पालिका परिषद औरैया की एक और लापरवाही महिलाएं जा रही है खुले में शौच महिला पिंक शौचालय बंद किए हुए हैं
#SwachhSurvekshan2025
#swachhBharat
#NarendraModi
#nppAuraiya 14/12/2025
    user_मेरा औरैया
    मेरा औरैया
    Social worker Auraiya, Uttar Pradesh•
    17 hrs ago
  • अयोध्या धाम श्रीकनक भवन मंदिर के दर्शन 14-12-2025।
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    अयोध्या धाम श्रीकनक भवन मंदिर के दर्शन 14-12-2025।
    user_विकास वर्मा
    विकास वर्मा
    Journalist Datia, Madhya Pradesh•
    16 hrs ago
  • दबंगों ने घर में घुसकर महिला व दामाद से की मारपीट दे डाली जान से मारने की धमकी मौदहा कोतवाली क्षेत्र के सिचौली पूर्व में दबंगों द्वारा घर में घुसकर महिला और उसके दामाद के साथ बेरहमी से मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है मामूली विवाद के बाद आरोपियों ने लाठी डंडों से हमला कर दोनों को घायल कर दिया और जान से मारने की धमकी देकर मौके से फरार हो गए पुलिस ने घायलों को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजते हुए तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है कोतवाली प्रभारी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी
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    दबंगों ने घर में घुसकर महिला व दामाद से की मारपीट दे डाली जान से मारने की धमकी 
मौदहा कोतवाली क्षेत्र के सिचौली पूर्व में दबंगों द्वारा घर में घुसकर महिला और उसके दामाद के साथ बेरहमी से मारपीट किए जाने का मामला सामने आया है
मामूली विवाद के बाद आरोपियों ने लाठी डंडों से हमला कर दोनों को घायल कर दिया और जान से मारने की धमकी देकर मौके से फरार हो गए
पुलिस ने घायलों को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजते हुए तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है 
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी 
और जल्द ही उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी
    user_ISLAM
    ISLAM
    Journalist Maudaha, Hamirpur•
    5 hrs ago
  • पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे योगी..? आज का सवाल सीधा है… पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे सीएम योगी? गिरफ्तारी या सियासी संदेश! क्या उत्तर प्रदेश में सच बोलना अपराध बनता जा रहा है? क्या योगी सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति पर निगरानी है? क्योंकि जिस तरह से पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार किया गया, उसने सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे योगी..? पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे सीएम योगी, पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी को लेकर कई सारे सवाल लोगों जहन में गूँज रहे हैं क्या अमिताभ ठाकुर अंडर सर्विलांस थे? उन्होंने तो पुलिस को नहीं बताया था कि मैं फलानी ट्रेन से दिल्ली के रास्ते में हूं। फिर पुलिस को किसने बताया.पुलिस को गिरफ्तार करना था तो घर आ सकती थी। वे शुभम जायसवाल की तरह दुबई तो नहीं बैठे थे। न ही कुछ ‘विशेष’बाहुबलियों की तरह दिखाई देते हुए भी अदृश्य थे.आखिर रात के 2 बजे शाहजहांपुर में ट्रेन से उतारकर गिरफ्तारी का क्या प्रयोजन था जो व्यक्ति न वांछित है, न भगौड़ा। लोगों के दिलों दिमांग में इस तरह के तमाम सवाल है. क्या जो भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोल रहा है वो अंडर सर्विलांस है? अमिताभ ठाकुर की गिरफ़्तारी के सिलसिले में लखनऊ पुलिस ने जो प्रेस नोट जारी किया है,वो खुद ही सवालों में है। इस प्रेस नोट में ये तो बताया गया कि ये साल 1999 का है। मगर आश्चर्यजनक तौर पर इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया कि इसकी शिकायत कब की गई? पुलिस को इस प्रेस नोट में ये भी लिखना चाहिए कि साल 1999 के मामले की शिकायत सितंबर 2025 में जाकर की गई,और तत्काल एफआईआर दर्ज हो गई!पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि शिकायत करने वाला व्यक्ति कौन है? उसका इस मामले से क्या ताल्लुक़ है? पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि सिविल प्रकृति के इस मामले में इतनी गंभीर धाराएँ कैसे जोड़ दी गईं? पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि अमिताभ ठाकुर जाँच में सहयोग कैसे नहीं कर रहे थे? IO ने उन्हें कब बुलाया और वे कब पेश नहीं हुए? इस प्रेस नोट में एक उँगली अमिताभ ठाकुर की ओर उठती है और शेष चार उंगलियां ख़ुद पुलिस की ओर.फिलहाल अमिताभ ठाकुर जेल में हैं। जिस जेल का निरीक्षण किया… आज वहीं कैदी हैं पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर यह विडंबना नहीं तो क्या है— जो अमिताभ ठाकुर 1998 से 2000 तक देवरिया के SP रहते हुए जिस जेल का निरीक्षण करते थे आज उसी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में कैदी हैं।कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं, सामान्य कैदियों जैसा खाना, सामान्य व्यवस्था। 26 साल पुराना केस – लेकिन FIR अब! अमिताभ ठाकुर को 1999 के एक मामले में 2025 में FIR दर्ज कर तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया आरोप है कि उनकी पत्नी ने देवरिया में औद्योगिक क्षेत्र का प्लॉट फर्जी दस्तावेज़ों से लिया और बाद में बेच दिया। लेकिन सवाल फिर वही— 26 साल तक पुलिस क्या कर रही थी? शिकायत किसने की? शिकायतकर्ता का इस मामले से क्या लेना-देना? सिविल केस में इतनी गंभीर धाराएं कैसे जोड़ दी गईं? इस मामले में 3 महीने पहले लखनऊ में अमिताभ के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। जांच के लिए लखनऊ पुलिस ने SIT बनाई। पुलिस के मुताबिक,SIT ने देवरिया और बिहार में रिकॉर्ड की जांच की। गवाहों से पूछताछ और दस्तावेजों की पुष्टि की। पर्याप्त सबूत मिलने के बाद अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. .. यहाँ एक सवाल यह भी है कि 26 साल तक पुलिस क्या कर रही थी क्या उ.प्र। इतनी लापरवाह है। जेल में भी सरकार के लिए खतरा? अमिताभ ठाकुर अब जेल में हैं, लेकिन खबर ये है कि— वे 50–60 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं पेन और सादे कागज मांगकर लगातार लिख रहे हैं और यही बात जेल प्रशासन की नींद उड़ा रही है,,,सूत्रों के मुताबिक—जेल अधिकारी डरे हुए हैं कि अमिताभ ठाकुर जेल की सुरक्षा खामियां अव्यवस्थाएं अंदरूनी सिस्टम पर कोई हाई लेवल रिपोर्ट न भेज दें। जेल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ हैं। यूपी के पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की जेल में पहली रात बेचैनी से गुजरी। उनके साथ आम कैदियों जैसा व्यवहार हुआ। कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं मिला। पूर्व IPS को दूसरे कैदियों की तरह ही जेल में रहना पड़ा । हालांकि, जेल सूत्रों की मानें तो वह रातभर ठिठुरते रहे। उधर, पूर्व पुलिस अधिकारी के जेल में होने और उनकी लिखा-पढ़ी की आदत से जेल अधिकारी डरे हुए हैं।दरसअल, जेल में उनकी मांग पर सादे पन्ने और पेन उपलब्ध कराए गए हैं। कागज-कलम मिलने के बाद अमिताभ ठाकुर लगातार कुछ न कुछ लिखते देखे गए। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों को डर सता रहा कि वह जेल की खामियां और आंतरिक व्यवस्था को लेकर हाई लेवल पर कोई शिकायत न करें। अधिकारियों का मानना है कि वह सिस्टम को अच्छी तरह से समझते हैं और यही समझ दूसरे के लिए परेशानी की सबब बन सकती है। जेल की संरचना, गेट, सुरक्षा व्यवस्था, वार्ड और बैरक सिस्टम की गहरी जानकारी उन्हें है। इसी वजह से उनकी गतिविधियों पर जेल प्रशासन की विशेष नजर है।पूर्व आईपीएस, देवरिया में औद्योगिक प्लॉट की खरीद-बिक्री से जुड़े जालसाजी प्रकरण में अरेस्ट किए गए हैं। बुधवार को कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें पुलिस अभिरक्षा में भेजा गया था। पहली रात तो उन्हें जेल के अस्पताल में रखा गया। पर दूसरे दिन गुरुवार को हाई सिक्योरिटी बैरक में ट्रांसफर कर दिया गया।खास बात ये है कि अमिताभ ठाकुर कभी जिस जेल का निरीक्षण करते थे, आज उसी में सजा काट रहे हैं। वे 1998 से वर्ष 2000 तक देवरिया के एसपी रह चुके हैं। इस दौरान वे इसी कारागार का कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। पूरा मामला विस्तार से जानें पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को लखनऊ पुलिस ने शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। देवरिया के 26 साल पुराने मामले में यह कार्रवाई की थी। उन्हें लखनऊ एसी सुपरफास्ट ट्रेन से यात्रा करते समय शाहजहांपुर में ट्रेन से उतारा गया। देवरिया और लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए शाहजहांपुर पुलिस से संपर्क किया था। सूचना मिलने पर पुलिस सादी वर्दी में शाहजहांपुर स्टेशन पहुंची और घेराबंदी की। जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर एक पर रुकी, पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को ट्रेन से उतार लिया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। रात में वे जेल के अस्पताल में ही रुके। पर गुरुवार दोपहर उन्हें देवरिया जिला जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया।जेल सूत्रों के अनुसार, गुरुवार रात में पूर्व आईपीएस थोड़े बेचैन दिखे। रात में उनको दो रोटी, दाल और हरी सब्जी दी गई। लेकिन उन्होंने एक रोटी ही खाया। अगली सुबह शुक्रवार को उनको चाय और चना दिया गया। घंटों-घंटों कुछ लिख रहे, जेल प्रशासन परेशान जेल के सूत्रों के अनुसार, बैरक में शिफ्ट होने के बाद अमिताभ ठाकुर ने पेन और ए4 साइज के 50-60 सादे पन्ने मांगे। जेल प्रशासन ने उनकी डिमांड पूरी कर दी। अब वह लगातार कुछ न कुछ लिख रहे हैं। इधर, उनके लिखने से जेल प्रशासन के अधिकारियों की बेचैनी बढ़ रहीबताया जा रहा कि रात का खाना खाने के बाद भी वह कई घंटे तक कुछ लिखते रहते हैं । नाश्ता करने के बाद वे फिर से लिखने में जुट गए। उनके लिखने को लेकर जेल प्रशासन सकते में है। जेल प्रशासन को आशंका है कि वे जेल की व्यवस्थाओं, सुरक्षा खामियों, सुविधाओं की कमी जैसे बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को या कहीं किसी अन्य हायर अथॉरिटी को न भेज दें। जेल अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि उनका प्रशासनिक अनुभव, उनकी लेखनी, और उनकी पूर्व छवि परेशानी का सबब बन सकती है। जेल मैनुअल के हिसाब से ही मिलेगा ट्रीटमेंट उधर, जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया- अमिताभठाकुर को वही सुविधाएं दी जा रही हैं, जो सामान्य बंदियों को मिलती हैं। उन्हें नियमों से बाहर कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा। बाहर से कोई भी सामान लेने की अनुमति नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ गिरफ्तारी है? या फिर एक संदेश? कि—जो भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलेगा, उसका अंजाम यही होगा? आज अमिताभ ठाकुर हैं, कल कौन....#ipsamitabhthakur
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    पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे योगी..?
आज का सवाल सीधा है… पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे सीएम योगी? गिरफ्तारी या सियासी संदेश! क्या उत्तर प्रदेश में सच बोलना अपराध बनता जा रहा है? क्या योगी सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति पर निगरानी है? क्योंकि जिस तरह से पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार किया गया, उसने सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे योगी..?
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर से क्यों डरे सीएम योगी, पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की गिरफ्तारी को लेकर कई सारे सवाल लोगों जहन में गूँज रहे हैं क्या अमिताभ ठाकुर अंडर सर्विलांस थे? उन्होंने तो पुलिस को नहीं बताया था कि मैं फलानी ट्रेन से दिल्ली के रास्ते में हूं। फिर पुलिस को किसने बताया.पुलिस को गिरफ्तार करना था तो घर आ सकती थी। वे शुभम जायसवाल की तरह दुबई तो नहीं बैठे थे। न ही कुछ ‘विशेष’बाहुबलियों की तरह दिखाई देते हुए भी अदृश्य थे.आखिर रात के 2 बजे शाहजहांपुर में ट्रेन से उतारकर गिरफ्तारी का क्या प्रयोजन था जो व्यक्ति न वांछित है, न भगौड़ा। लोगों के दिलों दिमांग में इस तरह के तमाम सवाल है.
क्या जो भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोल रहा है वो अंडर सर्विलांस है? अमिताभ ठाकुर की गिरफ़्तारी के सिलसिले में लखनऊ पुलिस ने जो प्रेस नोट जारी किया है,वो खुद ही सवालों में है। इस प्रेस नोट में ये तो बताया गया कि ये साल 1999 का है। मगर आश्चर्यजनक तौर पर इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया कि इसकी शिकायत कब की गई? पुलिस को इस प्रेस नोट में ये भी लिखना चाहिए कि साल 1999 के मामले की शिकायत सितंबर 2025 में जाकर की गई,और तत्काल एफआईआर दर्ज हो गई!पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि शिकायत करने वाला व्यक्ति कौन है? उसका इस मामले से क्या ताल्लुक़ है?
पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि सिविल प्रकृति के इस मामले में इतनी गंभीर धाराएँ कैसे जोड़ दी गईं? पुलिस को ये भी लिखना चाहिए कि अमिताभ ठाकुर जाँच में सहयोग कैसे नहीं कर रहे थे? IO ने उन्हें कब बुलाया और वे कब पेश नहीं हुए? इस प्रेस नोट में एक उँगली अमिताभ ठाकुर की ओर उठती है और शेष चार उंगलियां ख़ुद पुलिस की ओर.फिलहाल अमिताभ ठाकुर जेल में हैं।
जिस जेल का निरीक्षण किया… आज वहीं कैदी हैं पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर
यह विडंबना नहीं तो क्या है— जो अमिताभ ठाकुर 1998 से 2000 तक देवरिया के SP रहते हुए जिस जेल का निरीक्षण करते थे आज उसी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में कैदी हैं।कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं, सामान्य कैदियों जैसा खाना, सामान्य व्यवस्था। 26 साल पुराना केस – लेकिन FIR अब! अमिताभ ठाकुर को 1999 के एक मामले में 2025 में FIR दर्ज कर तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया आरोप है कि उनकी पत्नी ने देवरिया में औद्योगिक क्षेत्र का प्लॉट फर्जी दस्तावेज़ों से लिया और बाद में बेच दिया। लेकिन सवाल फिर वही— 26 साल तक पुलिस क्या कर रही थी? शिकायत किसने की? शिकायतकर्ता का इस मामले से क्या लेना-देना? सिविल केस में इतनी गंभीर धाराएं कैसे जोड़ दी गईं? इस मामले में 3 महीने पहले लखनऊ में अमिताभ के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। जांच के लिए लखनऊ पुलिस ने SIT बनाई। पुलिस के मुताबिक,SIT ने देवरिया और बिहार में रिकॉर्ड की जांच की। गवाहों से पूछताछ और दस्तावेजों की पुष्टि की। पर्याप्त सबूत मिलने के बाद अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. .. यहाँ एक सवाल यह भी है कि 26 साल तक पुलिस क्या कर रही थी क्या उ.प्र। इतनी लापरवाह है।
जेल में भी सरकार के लिए खतरा? अमिताभ ठाकुर अब जेल में हैं, लेकिन खबर ये है कि— वे 50–60 पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं पेन और सादे कागज मांगकर लगातार लिख रहे हैं और यही बात जेल प्रशासन की नींद उड़ा रही है,,,सूत्रों के मुताबिक—जेल अधिकारी डरे हुए हैं कि अमिताभ ठाकुर जेल की सुरक्षा खामियां अव्यवस्थाएं अंदरूनी सिस्टम पर कोई हाई लेवल रिपोर्ट न भेज दें। जेल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ हैं।
यूपी के पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की जेल में पहली रात बेचैनी से गुजरी। उनके साथ आम कैदियों जैसा व्यवहार हुआ। कोई VIP ट्रीटमेंट नहीं मिला। पूर्व IPS को दूसरे कैदियों की तरह ही जेल में रहना पड़ा । हालांकि, जेल सूत्रों की मानें तो वह रातभर ठिठुरते रहे। उधर, पूर्व पुलिस अधिकारी के जेल में होने और उनकी लिखा-पढ़ी की आदत से जेल अधिकारी डरे हुए हैं।दरसअल, जेल में उनकी मांग पर सादे पन्ने और पेन उपलब्ध कराए गए हैं। कागज-कलम मिलने के बाद अमिताभ ठाकुर लगातार कुछ न कुछ लिखते देखे गए। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों को डर सता रहा कि वह जेल की खामियां और आंतरिक व्यवस्था को लेकर हाई लेवल पर कोई शिकायत न करें।
अधिकारियों का मानना है कि वह सिस्टम को अच्छी तरह से समझते हैं और यही समझ दूसरे के लिए परेशानी की सबब बन सकती है। जेल की संरचना, गेट, सुरक्षा व्यवस्था, वार्ड और बैरक सिस्टम की गहरी जानकारी उन्हें है। इसी वजह से उनकी गतिविधियों पर जेल प्रशासन की विशेष नजर है।पूर्व आईपीएस, देवरिया में औद्योगिक प्लॉट की खरीद-बिक्री से जुड़े जालसाजी प्रकरण में अरेस्ट किए गए हैं। बुधवार को कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें पुलिस अभिरक्षा में भेजा गया था। पहली रात तो उन्हें जेल के अस्पताल में रखा गया। पर दूसरे दिन गुरुवार को हाई सिक्योरिटी बैरक में ट्रांसफर कर दिया गया।खास बात ये है कि अमिताभ ठाकुर कभी जिस जेल का निरीक्षण करते थे, आज उसी में सजा काट रहे हैं। वे 1998 से वर्ष 2000 तक देवरिया के एसपी रह चुके हैं। इस दौरान वे इसी कारागार का कई बार निरीक्षण कर चुके हैं।
पूरा मामला विस्तार से जानें
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को लखनऊ पुलिस ने शाहजहांपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। देवरिया के 26 साल पुराने मामले में यह कार्रवाई की थी। उन्हें लखनऊ एसी सुपरफास्ट ट्रेन से यात्रा करते समय शाहजहांपुर में ट्रेन से उतारा गया। देवरिया और लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए शाहजहांपुर पुलिस से संपर्क किया था। सूचना मिलने पर पुलिस सादी वर्दी में शाहजहांपुर स्टेशन पहुंची और घेराबंदी की। जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर एक पर रुकी, पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को ट्रेन से उतार लिया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। रात में वे जेल के अस्पताल में ही रुके। पर गुरुवार दोपहर उन्हें देवरिया जिला जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया।जेल सूत्रों के अनुसार, गुरुवार रात में पूर्व आईपीएस थोड़े बेचैन दिखे। रात में उनको दो रोटी, दाल और हरी सब्जी दी गई। लेकिन उन्होंने एक रोटी ही खाया। अगली सुबह शुक्रवार को उनको चाय और चना दिया गया।
घंटों-घंटों कुछ लिख रहे, जेल प्रशासन परेशान
जेल के सूत्रों के अनुसार, बैरक में शिफ्ट होने के बाद अमिताभ ठाकुर ने पेन और ए4 साइज के 50-60 सादे पन्ने मांगे। जेल प्रशासन ने उनकी डिमांड पूरी कर दी। अब वह लगातार कुछ न कुछ लिख रहे हैं। इधर, उनके लिखने से जेल प्रशासन के अधिकारियों की बेचैनी बढ़ रहीबताया जा रहा कि रात का खाना खाने के बाद भी वह कई घंटे तक कुछ लिखते रहते हैं । नाश्ता करने के बाद वे फिर से लिखने में जुट गए। उनके लिखने को लेकर जेल प्रशासन सकते में है।
जेल प्रशासन को आशंका है कि वे जेल की व्यवस्थाओं, सुरक्षा खामियों, सुविधाओं की कमी जैसे बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शासन को या कहीं किसी अन्य हायर अथॉरिटी को न भेज दें। जेल अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि उनका प्रशासनिक अनुभव, उनकी लेखनी, और उनकी पूर्व छवि परेशानी का सबब बन सकती है। जेल मैनुअल के हिसाब से ही मिलेगा ट्रीटमेंट उधर, जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया- अमिताभठाकुर को वही सुविधाएं दी जा रही हैं, जो सामान्य बंदियों को मिलती हैं। उन्हें नियमों से बाहर कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा। बाहर से कोई भी सामान लेने की अनुमति नहीं है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ गिरफ्तारी है? या फिर एक संदेश? कि—जो भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलेगा, उसका अंजाम यही होगा? आज अमिताभ ठाकुर हैं, कल कौन....#ipsamitabhthakur
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    Misty Helping Foundation
    Etawah, Uttar Pradesh•
    7 hrs ago
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