जो व्यवहार हमें अच्छा नहीं लगता वह व्यवहार दूसरे के साथ नहीं करें, शास्त्र - जिनवाणी आत्मा को परमात्मा बनाने का काम करती है - मुनिश्री सानंद सागर फोटो आष्टा। सम्यकदृष्टि, व्रती की ही समाधि होती है, मिथ्यादृष्टि अव्रती की समाधि नहीं होती है।जो व्यवहार हमें अच्छा नहीं लगता वह व्यवहार दूसरे से नहीं करें।जीव की रक्षा करें, भगवान की वाणी अन्यथा नहीं होती है।आगम के विरुद्ध नहीं है वह शास्त्र है। शास्त्र, जिनवाणी आत्मा को परमात्मा बनाने का काम करती है।जो आगम के विरुद्ध है वह शास्त्र नहीं शस्त्र है।जो सहज,सरल और धर्मात्मा है वह आत्मा का कल्याण करते हैं। बनिया बनकर ही आत्म कल्याण होगा।सम्यकदर्शन की शरण लेने वाले जीव अजर जरा सहित अरुज रोग रहित अक्षय अविनाशी ,अव्याबाध बाधा रहित ,शोक,भय और शंका से रहित, चरम सीमा को प्राप्त सुख और ज्ञान के वैभव वाले ऐसे निर्मल शिव परम निःश्रेयस रुप मोक्ष को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार जिनेन्द्र देव की भक्ति करने वाला सम्यकदृष्टि भव्य जीव अपरिमित प्रमाणवाली देवेंद्र समूह की महिमा को पाकर, मुकुटबद्ध राजाओं के सीरो से अर्चनीय राजेन्द्र चक्र चक्रवर्ती के पद को पाकर और सर्व लोक अपना उपासक बनाने वाले धर्मेन्द्र चक्र रुप तीर्थंकर पद को पाकर अंत में शिवपद को प्राप्त होता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने रत्नकरण्डक श्रावका --चार ग्रंथ का स्वाध्याय कराते हुए कही। आपने कहां जो वस्तु स्वरुप को न्यूनता से रहित,अधिकता से रहित,संदेह से रहित और विपरीतता से रहित यथार्थ जानता है उसे आगम के ज्ञाता पुरुष सम्यकज्ञान कहते हैं।एक पुरुष के कथानक को चरित्र कहते हैं ।अनेक पुरुषों के कथानकों के वर्णन करने को पुराण कहते हैं। जो आज तक नहीं प्राप्त हुए ऐसे सम्यकदर्शनादि गुणों की प्राप्ति को बोधी कहते हैं और प्राप्त हुए रत्नात्रय को भलीभांति रक्षा करते हुए उनकी उत्तरोत्तर वृद्धि करने को समाधि कहते हैं।धर्म- ध्यान और शुक्ल ध्यान भी समाधि कहलाती है। इस प्रकार पुण्य वर्धक चरित और पुराणों को तथा धर्म - वर्धक बौधि समाधि के वर्णन करने वाले शास्त्र को प्रथमानुयोग कहते हैं। मुनिश्री ने कहा जिनके पास कोई परिग्रह नहीं उसे कोई टेंशन नहीं रहता है। जिनके पास परिग्रह है वह टेंशन और रोगों से पीड़ित रहते हैं।जितने अधिक प्रमादी उतना अधिक रोगी बन रहें हैं। आर्युवेद में लोगों का भला ही होना हैं। चतुर्थ काल में मिथ्यात्व होता है। आचार्य समंतभद्र स्वामी की विशेषता है।मूलाचार श्रावकों को नहीं पढ़ना चाहिए।आगम में जो बताया है उसे अपनी शक्ति अनुसार पालन करें। ग्रहस्थ अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। आचार्य श्री ने 108 बार समयसार का अध्ययन किया। व्यक्ति आदि आज मायाचारी अधिक कर रहा है। उन्होंने कहा मैंने 15 मिनट समयसार सुना और कपड़े छोड़ कर मुनि बन गया। अनेकांत मोक्ष का कारण है। आत्मा को अच्छे काम से रोकती है, पापों की ओर ले जाने को पापात्मा कहते हैं। जहां झूठ,छल कपट, मायाचारी है वहां धर्म नहीं है।यह रत्नकरण्डक श्रावकाचार ग्रंथ ऐसी निधि है एक बार अध्ययन कर लोगे तो व्रती बन जाओगे
जो व्यवहार हमें अच्छा नहीं लगता वह व्यवहार दूसरे के साथ नहीं करें, शास्त्र - जिनवाणी आत्मा को परमात्मा बनाने का काम करती है - मुनिश्री सानंद सागर फोटो आष्टा। सम्यकदृष्टि, व्रती की ही समाधि होती है, मिथ्यादृष्टि अव्रती की समाधि नहीं होती है।जो व्यवहार हमें अच्छा नहीं लगता वह व्यवहार दूसरे से नहीं करें।जीव की रक्षा करें, भगवान की वाणी अन्यथा नहीं होती है।आगम के विरुद्ध नहीं है वह शास्त्र है। शास्त्र, जिनवाणी आत्मा को परमात्मा बनाने का काम करती है।जो आगम के विरुद्ध है वह शास्त्र नहीं शस्त्र है।जो सहज,सरल और धर्मात्मा है वह आत्मा का कल्याण करते हैं। बनिया बनकर ही आत्म कल्याण होगा।सम्यकदर्शन की शरण लेने वाले जीव अजर जरा सहित अरुज रोग रहित अक्षय अविनाशी ,अव्याबाध बाधा रहित ,शोक,भय और शंका से रहित, चरम सीमा को प्राप्त सुख और ज्ञान के वैभव वाले ऐसे निर्मल शिव परम निःश्रेयस रुप मोक्ष को प्राप्त होते हैं। इस प्रकार जिनेन्द्र देव की भक्ति करने वाला सम्यकदृष्टि भव्य जीव अपरिमित प्रमाणवाली देवेंद्र समूह की महिमा को पाकर, मुकुटबद्ध राजाओं के सीरो से अर्चनीय राजेन्द्र चक्र चक्रवर्ती के पद को पाकर और सर्व लोक अपना उपासक बनाने वाले धर्मेन्द्र चक्र रुप तीर्थंकर पद को पाकर अंत में शिवपद को प्राप्त होता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजमान आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने रत्नकरण्डक श्रावका --चार ग्रंथ का स्वाध्याय कराते हुए कही। आपने कहां जो वस्तु स्वरुप को न्यूनता से रहित,अधिकता से रहित,संदेह से रहित और विपरीतता से रहित यथार्थ जानता है उसे आगम के ज्ञाता पुरुष सम्यकज्ञान कहते हैं।एक पुरुष के कथानक को चरित्र कहते हैं ।अनेक पुरुषों के कथानकों के वर्णन करने को पुराण कहते हैं। जो आज तक नहीं प्राप्त हुए ऐसे सम्यकदर्शनादि गुणों की प्राप्ति को बोधी कहते हैं और प्राप्त हुए रत्नात्रय को भलीभांति रक्षा करते हुए उनकी उत्तरोत्तर वृद्धि करने को समाधि कहते हैं।धर्म- ध्यान और शुक्ल ध्यान भी समाधि कहलाती है। इस प्रकार पुण्य वर्धक चरित और पुराणों को तथा धर्म - वर्धक बौधि समाधि के वर्णन करने वाले शास्त्र को प्रथमानुयोग कहते हैं। मुनिश्री ने कहा जिनके पास कोई परिग्रह नहीं उसे कोई टेंशन नहीं रहता है। जिनके पास परिग्रह है वह टेंशन और रोगों से पीड़ित रहते हैं।जितने अधिक प्रमादी उतना अधिक रोगी बन रहें हैं। आर्युवेद में लोगों का भला ही होना हैं। चतुर्थ काल में मिथ्यात्व होता है। आचार्य समंतभद्र स्वामी की विशेषता है।मूलाचार श्रावकों को नहीं पढ़ना चाहिए।आगम में जो बताया है उसे अपनी शक्ति अनुसार पालन करें। ग्रहस्थ अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। आचार्य श्री ने 108 बार समयसार का अध्ययन किया। व्यक्ति आदि आज मायाचारी अधिक कर रहा है। उन्होंने कहा मैंने 15 मिनट समयसार सुना और कपड़े छोड़ कर मुनि बन गया। अनेकांत मोक्ष का कारण है। आत्मा को अच्छे काम से रोकती है, पापों की ओर ले जाने को पापात्मा कहते हैं। जहां झूठ,छल कपट, मायाचारी है वहां धर्म नहीं है।यह रत्नकरण्डक श्रावकाचार ग्रंथ ऐसी निधि है एक बार अध्ययन कर लोगे तो व्रती बन जाओगे
- 21 दिसंबर को आष्टा-पार्वती थाना क्षेत्र में कर्णी सैनिक हरदा से अपना आंदोलन करके निकल रहें थे l इसी दौरान किसी बात को लेकर दो पक्षों में कहा-सुनी होकर विवाद हुआ। तत्पश्चात. आष्टा, पार्वती, इछावर,, सिद्दीकगंज, कोतवाली थाना प्रभारी सहित वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीहोर और अन्य थानों के पुलिस बल ने समय पर पहुंच कर और स्थिति संभाली। वर्तमान में स्थिति सामान्य है। संवेदनशील स्थानों पर बल तैनात है। थाना पार्वती ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कर्णी सैनिकों पर हमला करने वालों पर थाना प्रभारी ने थाना पार्वती में अपराध क्रमांक 422/25 धारा 190(2), 191(3) , 190 और 324 (4) बलवा, तोड़फोड़ अन्य सुसंगत धाराओ पर असामाजिक तत्वों पर अपराध पंजीबद्ध किया है, तथा सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की पहचान की जा रही है, उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। करणी सैनिकों ने अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत को भोपाल नाका महाराणा प्रताप चौराहे पर ज्ञापन दिया।2
- आष्टा महाराणा प्रताप चौराहे पर हिंदू संगठन के लोग एवं करणी सेवा के लोग एकत्रित होकर नारेबाजी शुरू1
- पिता की मौत के बाद बेटियों को बिजली विभाग ने भेजा 63774 का चालान बिना किसी प्रमाण के कैसे लगा मीटर कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला पीड़िता को लेकर पहुंचे ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बंगले जांच के निर्देश जारी1
- कुत्ता राग अलाप नहीं सुना तो सुन ले 🤪🙏#shorts #viralhighnews1
- 3 साल की मासूम के साथ हुआ कुछ ऐसा। सुनकर उड़ जाएंगे होश। देखिए यह खबर और कमेंट में अपनी राय बताइए ऐसे लोगों के साथ क्या करना चाहिए??1
- प्रशिक्षण से डोलरिया में सोलर वेंडर बनने की राह हुई आसान निःशुल्क दिया प्रशिक्षण डोलरिया। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत कॉलेज शासकीय महाविद्याय में सोलर वेंडरों को तैयार करने के लिए 9 दिवसीय नि.शुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभकिया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन निसबड संस्था (राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान) नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम में संस्था की मध्यप्रदेश ,डोलरिया शासकीय महाविद्यालय मण्ड्ल अध्यक्ष श्री दीपेन्द्र भदौरिया, मण्डल उपाध्यक्ष महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. मोहरसिंह हिण्डोलिया, रिचा सिखारवार आशीष भदोरिया, शिवा राय और सत्यनारायण सिंह परिहार रितेश परिहार मुकेश चौहान विनोद राय मुख्य रूप से उपस्थित रहे। उद्घाटन अवसर पर अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। निसबड संस्था की मध्यप्रदेश प्रमुख दिव्या अग्रवाल ने जानकारी दी कि यह प्रशिक्षण पीएम सूर्य ग्रह रूफटॉप योजना के तहत आयोजित किया जा रहा है। यह योजना मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी और कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय के अंतर्गत संचालित हो रही है। निसबड संस्था दोनों मंत्रालयों के सहयोग से यह ट्रेनिंग चला रही है। इस ट्रेनिंग द्वारा संचालित किया जा रहा है।समस्त महाविद्यालय स्टाफ और विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।2
- इंदौर में 'चिश्ती फाउंडेशन' के नि:शुल्क चिकित्सा शिविर में उमड़ी भीड़, सैकड़ों मरीजों ने उठाया स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ1
- म,प्र के सतना में भ्रष्ट सड़क का काम उजागर मंत्री प्रतिमा बागरी के पैर लगाते ही PWD की सड़क उखड़ी फटकार लगाते हुए ठेका निरस्त1