एन डी कादरी: समाजसेवी, आरटीआई कार्यकर्ता और गौसेवा के पक्षधर आईरा इकबाल खान बीकानेर एन डी कादरी एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई सक्रिय हैं, जिनकी पहचान सामाजिक न्याय, पारंपरिक संस्कृति और समुदायों के बीच समरसता की वकालत करने वाले नेताओं में होती है। वे मौजूदा मुस्लिम महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं और गौसेवा एवं गंगाजमनी तहजीब में गहरा विश्वास रखते हैं। उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता का केन्द्र क्षेत्र धार्मिक सहिष्णुता, पशु संरक्षण और सामाजिक कल्याण है। एन डी कादरी का सामाजिक कार्य बहुआयामी रहा है। वे आरटीआई (सूचना के अधिकार) के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही की जमीन पर काम करते हैं। सार्वजनिक प्रशासन और स्थानीय सरकारी तंत्र में जवाबदेही लाने के लिए उनके आरटीआई प्रयास अक्सर नीतिगत मुद्दों और जनहित से जुड़े मामलों की तह तक पहुँचने में सहायक रहे हैं। इससे नागरिकों को जानकारी मिलने और सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार की मांग करने में मदद मिलती है। इतना ही राज्य सूचना आयोग में अपने मुकदमों की पैरवी स्वयं करते हुए शिक्षा विभाग जैसे महकमे पर दो मामलों में जुर्माना भी करवाया है। गौसेवा के क्षेत्र में एन डी कादरी ने सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने गायों के संरक्षण, देखभाल और उनके कल्याण के महत्व को समाज के समक्ष रखते हुए अनेक पहल की हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र के जरिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग संभागायुक्त बीकानेर के माध्यम से प्रस्तुत की। यह कदम न केवल धार्मिक भावनाओं की पूर्ति का प्रयास है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पारंपरिक कृषि और पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखता है। एन डी कादरी का मानना है कि गाय का संरक्षण सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का एक माध्यम है। एन डी कादरी का सामाजिक संवाद और सामुदायिक जुड़ाव प्रशंसनीय है। वे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक वर्गों के साथ मिलकर काम करते हैं और सामुदायिक समरसता के लिए पहल करते हैं। उनकी यह कार्यप्रणाली गंगाजमनी तहजीब की भावना को ज़मीनी स्तर पर लागू करने का उदाहरण है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोग मिलजुल कर सामाजिक हितों के लिए काम करते हैं। उनकी उपलब्धियों में स्थानीय हितों के लिए आरटीआई के उपयोग से मिली जानकारी के आधार पर किए गए कदम और गाय संरक्षण सम्बन्धी जागरूकता अभियान शामिल हैं। हालांकि उनकी पहलों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं — जैसे कि नीति निर्माताओं तक अपने प्रस्ताव पहुंचाने, संसाधन जुटाने और विभिन्न समुदायों की संवेदनाओं का संतुलन बनाये रखना। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एन डी कादरी स्थानीय संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों के साथ समन्वय बढ़ा रहे हैं। एन डी कादरी एक सक्रिय और प्रतिबद्ध समाजसेवी हैं जो पारदर्शिता, सांस्कृतिक संरक्षण और सामुदायिक कल्याण पर ध्यान देते हैं। उनका काम दर्शाता है कि सामाजिक परिवर्तन के लिए संवेदनशील नेतृत्व, पारदर्शिता और समुदाय की भागीदारी कितना महत्वपूर्ण है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की उनकी मांग भारतीय सांस्कृतिक और ग्रामीण हितों को मजबूत करने की दिशा में एक विचारणीय प्रस्ताव है, बशर्ते उसे संतुलित नीति और व्यापक जनसमर्थन के साथ लागू किया जाए।
एन डी कादरी: समाजसेवी, आरटीआई कार्यकर्ता और गौसेवा के पक्षधर आईरा इकबाल खान बीकानेर एन डी कादरी एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई सक्रिय हैं, जिनकी पहचान सामाजिक न्याय, पारंपरिक संस्कृति और समुदायों के बीच समरसता की वकालत करने वाले नेताओं में होती है। वे मौजूदा मुस्लिम महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं और गौसेवा एवं गंगाजमनी तहजीब में गहरा विश्वास रखते हैं। उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता का केन्द्र क्षेत्र धार्मिक सहिष्णुता, पशु संरक्षण और सामाजिक कल्याण है। एन डी कादरी का सामाजिक कार्य बहुआयामी रहा है। वे आरटीआई (सूचना के अधिकार) के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही की जमीन पर काम करते हैं। सार्वजनिक प्रशासन और स्थानीय सरकारी तंत्र में जवाबदेही लाने के लिए उनके आरटीआई प्रयास अक्सर नीतिगत मुद्दों और जनहित से जुड़े मामलों की तह तक पहुँचने में सहायक रहे हैं। इससे नागरिकों को जानकारी मिलने और सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार की मांग करने में मदद मिलती है। इतना ही राज्य सूचना आयोग में अपने मुकदमों की पैरवी स्वयं करते हुए शिक्षा विभाग जैसे महकमे पर दो मामलों में जुर्माना भी करवाया है। गौसेवा के क्षेत्र में एन डी कादरी ने सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने गायों के संरक्षण, देखभाल और उनके कल्याण के महत्व को समाज के समक्ष रखते हुए अनेक पहल की हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र के जरिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग संभागायुक्त बीकानेर के माध्यम से प्रस्तुत की। यह कदम न केवल धार्मिक भावनाओं की पूर्ति का प्रयास है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पारंपरिक कृषि और पर्यावरण संरक्षण को भी ध्यान में रखता है। एन डी कादरी का मानना है कि गाय का संरक्षण सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा का एक माध्यम है। एन डी कादरी का सामाजिक संवाद और सामुदायिक जुड़ाव प्रशंसनीय है। वे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक वर्गों के साथ मिलकर काम करते हैं और सामुदायिक समरसता के लिए पहल करते हैं। उनकी यह कार्यप्रणाली गंगाजमनी तहजीब की भावना को ज़मीनी स्तर पर लागू करने का उदाहरण है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोग मिलजुल कर सामाजिक हितों के लिए काम करते हैं। उनकी उपलब्धियों में स्थानीय हितों के लिए आरटीआई के उपयोग से मिली जानकारी के आधार पर किए गए कदम और गाय संरक्षण सम्बन्धी जागरूकता अभियान शामिल हैं। हालांकि उनकी पहलों के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं — जैसे कि नीति निर्माताओं तक अपने प्रस्ताव पहुंचाने, संसाधन जुटाने और विभिन्न समुदायों की संवेदनाओं का संतुलन बनाये रखना। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एन डी कादरी स्थानीय संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और सरकारी अधिकारियों के साथ समन्वय बढ़ा रहे हैं। एन डी कादरी एक सक्रिय और प्रतिबद्ध समाजसेवी हैं जो पारदर्शिता, सांस्कृतिक संरक्षण और सामुदायिक कल्याण पर ध्यान देते हैं। उनका काम दर्शाता है कि सामाजिक परिवर्तन के लिए संवेदनशील नेतृत्व, पारदर्शिता और समुदाय की भागीदारी कितना महत्वपूर्ण है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की उनकी मांग भारतीय सांस्कृतिक और ग्रामीण हितों को मजबूत करने की दिशा में एक विचारणीय प्रस्ताव है, बशर्ते उसे संतुलित नीति और व्यापक जनसमर्थन के साथ लागू किया जाए।
- महान पार्श्वगायक स्वर्गीय मोहम्मद रफी साहब की 101वीं जयंती पर ये शाम मस्तानी म्यूजिकल फाउण्डेशन रजि जयपुर बीकानेर शाखा द्वारा तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे गीत संगीत संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसके बैनर का विमोचन बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास ने किया।4
- Post by Manoj Kumar janagal1
- Post by Farsaram Farsaram Jat4
- #महाजन की धरती से गूंजा #भारत–#मलेशिया रक्षा साझेदारी का संदेश, ‘#हरिमाउ शक्ति–2025’ का #ऐतिहासिक समापन1
- झझु की रोही में किसान के खेत-मकान में चोरी व आगजनी, लाखों का नुकसान कोलायत थाना क्षेत्र के झझु गांव की रोही में एक किसान के साथ बड़ी आपराधिक वारदात सामने आई है। अज्ञात बदमाशों ने खेत में बने मकान को निशाना बनाते हुए पहले कीमती कृषि उपज व घरेलू सामान चोरी किया, उसके बाद मकान में आग लगाकर सबूत मिटाने की कोशिश की। इस घटना में किसान को लाखों रुपये का नुकसान बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मान्याणा निवासी किसान मांगीलाल जाट शनिवार को अपने खेत में फेरा देने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने देखा कि खेत में बने मकान में आग लगी हुई है और मकान आग से क्षतिग्रस्त हो चुका है। जब आग बुझने के बाद मकान के अंदर जांच की गई तो पता चला कि एक कमरे में रखा 4 क्विंटल ग्वार, 5 क्विंटल मोठ, 50 किलो मूंग, 20 किलो तिल, 20 किलो मतीरे के बीज, साथ ही 10 माचे, 10 रजाई और 10 पथने अज्ञात चोर चोरी कर ले गए। पीड़ित किसान का आरोप है कि चोरी के बाद जानबूझकर मकान में आग लगाई गई, ताकि घटना से जुड़े कोई सबूत मौके पर न बचें। सूचना मिलने पर कोलायत पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल का मुआयना किया। किसान मांगीलाल जाट की रिपोर्ट पर पुलिस ने आगजनी व चोरी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। घटना के बाद क्षेत्र के किसानों में डर और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने पुलिस से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी और खेतों में रात्रि गश्त बढ़ाने की मांग की है।1
- Post by रमेश सिंह1
- सुकून के लिए चेन खोना पड़ता है साहेब तब जाके मिट्टी से सोना उपजता है 🚜🌾"#खेतीबाड़ी #किसान #गांवकीजिंदगी #खेती #ग्रामीणजीवन #किसानकीमेहनत #खेतीकिसानी #खेतीव्लॉग #गांवव्लॉग #IndianFarmer #FarmerLife #VillageLife #DesiLifestyle #FarmingIndia #किसानी #धरतीपुत्र #खेती_प्रेम1
- Instagram अब कोर्ट बन चुका है, पहले घर से जाकर शादी करो लो, फिर विडियो बनाकर Instagram पर डाल दो, घर वाले का इतना ज़लील होना कम है, जो विडियो डालकर और जलील किया जाता है, महीनों तक लोगों से नज़र नहीं मिला पाते, हर सवाल से पहले उनका दिल कांपता है, और हर रात यही सोचकर सोते हैं कि क्या हमारी परवरिश में कमी रह गई? अपनी ख़ुशी ज़रूरी है, पर एक बार ठहरकर सोचिए… आपके एक कदम से उनके दिल पर क्या बीतती है।1