आरोपियों के रसूख के आगे बौनी साबित हो रही मप्र पुलिस खुलेआम घूम रहे धोखाधड़ी के फरार आरोपी, मुंबई की एक कोर्ट परिसर में घूमते दिखे.... सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी है अग्रिम जमानत पर फिर भी मप्र पुलिस नहीं कर पा रही गिरफ्तार स्टोरी.... धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रहे मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के तीन डायरेक्टर गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) परिसर में खुलेआम घूमते दिखाई दिए। उनकी मौजूदगी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल के खिलाफ कटनी के कोतवाली और माधवनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज है। खास बात यह है कि इन तीनों ही आरोपियों की जमानत अर्जियां सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी हैं। तीनों के खिलाफ कोलकाता में भी मामला दर्ज है और हाल ही में कोलकाता पुलिस ने अनूपपुर में उनको पकड़ने महेंद्र गोयनका के ठिकानों पर छापेमारी की थी, लेकिन तीनों आरोपी वहां से भागने में सफल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच सीआईडी से हटाकर कटनी पुलिस को सौंपी थी और आरोपियों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया था। इसके बावजूद अब तक पुलिस किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वायरल वीडियो में फरार आरोपी अदालत परिसर में मौजूद नजर आ रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जब शीर्ष अदालत स्पष्ट निर्देश दे चुकी है, तो पुलिस की ओर से ऐसी ढिलाई न केवल न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करती है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। वहीं, अब आम जनता और कानूनी हलकों में यह बहस तेज हो गई है कि जब फरार आरोपी न्यायालय में मौजूद थे और वीडियो तक सार्वजनिक हो गया, तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
आरोपियों के रसूख के आगे बौनी साबित हो रही मप्र पुलिस खुलेआम घूम रहे धोखाधड़ी के फरार आरोपी, मुंबई की एक कोर्ट परिसर में घूमते दिखे.... सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी है अग्रिम जमानत पर फिर भी मप्र पुलिस नहीं कर पा रही गिरफ्तार स्टोरी.... धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रहे मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के तीन डायरेक्टर गुरुवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) परिसर में खुलेआम घूमते दिखाई दिए। उनकी मौजूदगी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो
गया है, जिससे मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मुंबई की यूरो प्रतीक कंपनी के डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल के खिलाफ कटनी के कोतवाली और माधवनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज है। खास बात यह है कि इन तीनों ही आरोपियों की जमानत अर्जियां सुप्रीम कोर्ट तक से खारिज हो चुकी हैं। तीनों के खिलाफ कोलकाता में भी मामला दर्ज है और हाल ही में कोलकाता पुलिस ने अनूपपुर में उनको पकड़ने महेंद्र
गोयनका के ठिकानों पर छापेमारी की थी, लेकिन तीनों आरोपी वहां से भागने में सफल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच सीआईडी से हटाकर कटनी पुलिस को सौंपी थी और आरोपियों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ किया था। इसके बावजूद अब तक पुलिस किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वायरल वीडियो में फरार आरोपी अदालत परिसर में मौजूद नजर आ रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जब शीर्ष अदालत स्पष्ट निर्देश
दे चुकी है, तो पुलिस की ओर से ऐसी ढिलाई न केवल न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करती है, बल्कि जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करती है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसकी वजह से पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। वहीं, अब आम जनता और कानूनी हलकों में यह बहस तेज हो गई है कि जब फरार आरोपी न्यायालय में मौजूद थे और वीडियो तक सार्वजनिक हो गया, तो उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
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- 🔴 जबलपुर पवन हत्याकांड का खुलासा “मेरे सामने मां को थप्पड़ मारा था… तभी ठान लिया था हत्या करूंगा” — आरोपी रोहित पाल गिरफ्तार _ 📍 जबलपुर | ✍️ संवाददाता: दीपक विश्वकर्मा | 📰 Sach Tak Patrika News _ जबलपुर में बीच सड़क हुई पवन अहिरवार की निर्मम हत्या के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। क्राइम ब्रांच और माढ़ोताल थाना पुलिस ने आरोपी रोहित पाल को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में हत्या की वजह बताते हुए कहा कि— > “मेरे सामने ही उसने मेरी मां को थप्पड़ मारा था… तभी सोच लिया था कि आज नहीं तो कल इसे मार दूंगा।” --- 🔎 क्या है पूरा मामला? मृतक पवन अहिरवार (40) और आरोपी रोहित पाल दोनों ई-रिक्शा चालक थे और राजीव गांधी नगर में पड़ोसी थे। 👉 दोनों के बीच सितंबर महीने में एक मामूली विवाद हुआ था, जिसने आगे चलकर खौफनाक रूप ले लिया। --- ⚠️ सितंबर में शुरू हुआ था विवाद पुलिस के मुताबिक, सितंबर में पवन अहिरवार का ई-रिक्शा आरोपी रोहित के घर के दरवाजे से टकरा गया था। इसी बात पर विवाद हुआ। 👉 इस दौरान रोहित की मां शकुन बर्मन बाहर आईं और पवन को डांटा। 👉 आरोप है कि गुस्से में पवन ने महिला को थप्पड़ मार दिया और नुकीली चीज से वार भी किया, जिससे उनके चेहरे से खून निकल आया। यह पूरी घटना रोहित के सामने हुई थी। --- 🧠 उसी दिन बना लिया था बदले का प्लान अगले दिन फिर दोनों आमने-सामने आए। कहासुनी बढ़ी तो पवन ने कथित तौर पर कहा— > “तेरी मां को मारा, तूने क्या कर लिया?” पुलिस के अनुसार, यही बात रोहित के दिल में घर कर गई। 👉 उसने उसी दिन ठान लिया कि पवन या उसके भाई में से किसी एक की हत्या जरूर करेगा। --- 🔪 रविवार को मिला मौका, ISBT के पास की हत्या रविवार शाम पवन अहिरवार ई-रिक्शा लेकर दमोह नाका की ओर जा रहा था। 👉 आरोपी रोहित सफेद एक्सिस स्कूटी से उसका पीछा करता रहा। 👉 जैसे ही पवन ISBT बस स्टैंड के पास पहुंचा, रोहित ने जानबूझकर ई-रिक्शा में टक्कर मारी। बहस के दौरान रोहित ने चाकू निकाला और 🔪 पवन के गले पर ताबड़तोड़ 4 से 5 वार कर दिए। अत्यधिक खून बहने से पवन की मौके पर ही मौत हो गई। --- 🚨 हत्या के बाद फरार, गांव में छिपा था आरोपी हत्या के बाद आरोपी माढ़ोताल होते हुए 👉 जबलपुर–नागपुर हाईवे स्थित ग्राम बसा में छिप गया। वह शहर छोड़कर भागने की तैयारी में था। 🔎 पुलिस की 5 टीमें लगातार तलाश में लगी थीं। --- 👮♂️ ऐसे हुई गिरफ्तारी मंगलवार को पुलिस को सूचना मिली कि 👉 ग्राम बसा के पास बिना नंबर की सफेद एक्सिस खड़ी है। एसपी संपत उपाध्याय के निर्देश पर एएसपी जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने घेराबंदी कर 👉 आरोपी रोहित पाल को गिरफ्तार कर लिया। --- 🧾 आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड पुलिस के अनुसार— ⚠️ रोहित पाल के खिलाफ पहले से मारपीट जुआ आर्म्स एक्ट के 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं। --- 🚔 हत्या स्थल पर निकाला गया जुलूस गिरफ्तारी के बाद पुलिस आरोपी को 👉 ISBT के पास उसी जगह लेकर गई, जहां हत्या की गई थी। वहीं उसका पुलिस जुलूस निकाला गया। --- 🧑⚖️ कोर्ट में पेश, भेजा गया जेल आरोपी को कोर्ट में पेश कर 👉 न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। मामले में आगे की जांच जारी है। --- ❓ उठते सवाल इस वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं— ❓ क्या मामूली विवाद इतने बड़े अपराध में बदल रहे हैं? ❓ खुलेआम सड़कों पर चाकूबाजी क्यों बढ़ रही है? ❓ अपराधियों में कानून का डर क्यों खत्म हो रहा है? --- 📰 Sach Tak Patrika News 🎤 संवाददाता: दीपक विश्वकर्मा, जबलपुर 🗣️ “हमारी सबसे बड़ी ताकत — सच ही हमारी ताकत है।”1
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