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Chandauli news: मतगणना कल, देखें जिला प्रशासन की तैयारी।
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राम बहादुर यादव
Chandauli news: मतगणना कल, देखें जिला प्रशासन की तैयारी।
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- Post by Sivam Kashyap1
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- महत्वपूर्ण सामायिकी विषय - टूटता - बिखरतां - लोकतंत्र की पृष्ठभूमि ** दाम्पत्य कुटी ** यह कहना अतिशयोक्ति नहीं - वैश्विक धरा पर एक मात्र - भारत भूमि - मातृ सत्तात्मक पृष्ठ * पीठ * हैं - जहाँ शक्ति इठलाती है ब्रह्म को देखकर - ब्रह्म और शक्ति दोनों एक हैं -पृथ्वी-जल-अग्नि तक द्वैत हैं स्त्री - पुरुष भेद हैं - भवन - प्लाट - फैक्ट्री - धन - सम्पदा चरित्र के साथ-साथ चला करती हैं एक बात तो बिशेष है कलि के साम्राज्य में - कि आप सहित सारी सम्पदा कलि के खाते में जाना है - माध्यम के प्रकार चार हि होगे " जुआ ( किसी भी स्तर में लक्ष्मी को नचाना - और नाचने को मजबुर करना और कराना आदि ) शराब ( भौतिक व अभौतिक विषय रस में डूबा दे - शब्द-स्पर्श-रुप-रस-गंध माध्यम बनते हैं नशेड़ी बनने के लिए - नशा आपूर्ति में विविध हरकतें - ) भोग ( नशेड़ी का स्वत्व खोवां रहने के कारण खाद्द-अखाद्द, ऊच-नीच, छोटा - बडा सहित सभी आदर्श बिस्मृत हो जाते है - आत्म-प्रकाश बिहिन हो जाता हैं जिससे धर्म बिमुख हो जाना स्वाभाविक हो जाता है ) हिंसा ( प्रदुषित मन - हिंसा पर उतर आता है सभी इंद्रिय स्वत्व बिहिन हो जाया करती है ) इस तरह हम ठगे हि गये चारों तरफ - परिणाम लोकतंत्र की पृष्ठभूमि पर - पुत्र - जो दाम्पत्य कुटी का अस्तित्व - जिस पर आज प्रश्न खडा हों ऊठ रहा हैं - देश और राज्य के बीच मतभेद - कारण का मूल - योग्य जन द्वारा नेतृत्व का अभाव - योग्य जन हमें लोकतंत्र की कुटियां में मिलेगा * जहाँ कुम्हार की भांति - भारतीय नारी पिंड स्थापित गर्भ पिंड कों समुन्नत भाव में सवारंती थी - एक गंभीर रहस्य * नारी * के मुक्ति के द्वितीय चरण में पुत्र का महत्वपूर्ण स्थान । अधिकाधिक नारीयां पुत्र की कामना सर्वोपरि रखती हैं * इस इच्छा के श्रृंगार में पुत्र माध्यम बनता है - जिसके लिए हमें गर्भ पिंड जनन के काल तक गंभीर रह कर आध्यात्मिक वातावरण का अंदर और बाहर भाव रखने का प्रभाव * पिंड के भाग्य में वह सभी संग्रहित हो रहे है - जनन के बाद जीवन पथ पर वह सभी आलोकित हुआ करते है * दाम्पत्य कुटी - पुरुषार्थ के सृजन का हैं - जिसमें दूसरे पक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका है - देव-पितृ-ऋषि-कुल देवी-देवता को लेकर - यह तभी होगा जब हम दाम्पत्य कुटी के निर्माण में - अध्यात्म ज्योतिष के प्रकाश की नजरियें से देखेगे तभी भेद खुलेगा - आज के उफनातीं - उफनती दाम्पत्य कुटिया।।।। अधिकाधिक परिवार भ्रमित है * स्वयं पड जाते है या पडा दिये जाते हैं । 45 वर्ष से इस विषय पर - प्रामाणिक श्लोक के अनुसार - विवाह में - नाम राशि का महत्वपूर्ण स्थान है - पुकारने वाले नाम के द्वारा हि तो बाहरी जीवन का विस्तार है - राशि प्रधान - आपके नाम की राशि हुई। एक उदाहरण आज के समाचार पत्र में " पुष्कर + मंजु = दाम्पत्य कुटी। रहस्यमय होते हुए सुलझां है ज्योतिष फलित में - सिंह राशि का सप्तम * शनि ** कन्या राशि का सप्तम * गुरु ** सप्तम भाव जातक के मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है - बिडम्बना इसी प्रकार का आज देखने - सुनने - और पढने को मिल रहा है। निशुल्क परामर्श - 7317069908 ।।1
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