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Anoopshukla
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- Post by Anoopshukla1
- Post by Dayaram,maurya4
- *कैफी अली का लाइसेंस-मुक्त आतंक, जिमखाना से कर्बला तक, अब प्रेस को दबाने की शाही कोशिश!* *जिमखाना किंग का शाही, गुंडागर्दी, धमकी और प्रेस की स्वतंत्रता पर अवैध वार,* लखनऊ। शहर की शांति को कैफी अली जैसे स्वयंभू शासकों ने बंधक बना रखा है, जो तालकटोरा कर्बला जैसी धार्मिक भूमि को अपनी निजी अखाड़ा भूमि समझ बैठे हैं। यह कहानी अब महज़ गुंडागर्दी की नहीं रही, यह कहानी है दबंगई के उस खुले प्रदर्शन की, जिसे पुलिस की उपस्थिति भी रोक नहीं पाई, और अब यह कहानी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी पत्रकारों पर शाही दबाव बनाने की हताश कोशिश बन चुकी है। पूरा मामला मुतवल्ली शादाब आग के भाई को खुलेआम जान से मारने की धमकी और गालियाँ देने से शुरू हुआ। और इस वीरता का प्रदर्शन फैजी मिर्ज़ा के भाई कैफी मिर्जा ने पुलिस की मौजूदगी में गुंडागर्दी की जो वीडियो समाज के हर कोने में पहुँचा, जिसमें कैफी अली साफ़ तौर पर कानून को हथेली पर रखने का प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे हमारे पुलिसकर्मी केवल मूकदर्शक बनने की ट्रेनिंग लेकर आए हैं, ताकि दबंगों के एक्शन सीन्स में कोई बाधा न आए। क्या यह लखनऊ की नई क़ानून-व्यवस्था है, जहाँ गुंडागर्दी को शाही संरक्षण प्राप्त है? अब बात करते हैं कैफी अली के व्यावसायिक साम्राज्य, नक्खास स्थित जिमखाना, जिमखाना कम और गुंडों की ट्रेनिंग अकादमी ज़्यादा लगता है। सूत्रों के मुताबिक, यह जिमखाना न सिर्फ़ लाइसेंस-विहीन होकर चल रहा है, बल्कि यह वह पावरहाउस है जहाँ से फैजी मिर्ज़ा अपनी दबंगई की ऊर्जा लेते हैं। यहाँ गुंडे केवल बॉडी-बिल्डिंग नहीं करते, बल्कि उन्हें अवैध कामों में इस्तेमाल होने की बारीकियाँ सिखाई जाती हैं। जब भी कर्बला में विवाद करना हो या किसी को धमकाना हो, फैजी मिर्ज़ा अपनी इस निजी सेना को लेकर निकल पड़ते हैं। यह साफ है कि कानून को ये लोग एक मज़ेदार मज़ाक से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जब ईमानदार पत्रकारों ने इस गुंडागर्दी को निष्पक्ष तरीक़े से सबके सामने रखा, तो फैजी मिर्ज़ा के भाई ने अपनी रणनीतिक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने पत्रकार की कोई पुरानी भ्रामक ख़बर उठाकर उसे फैलाना शुरू कर दिया, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके। कैफी अली यह नाकाम कोशिश बताती है कि आपकी दबंगई केवल गुंडों की फ़ौज पर ही चलती है, कलम की ताक़त पर नहीं। पूरा समाज, जिसने वह गुंडागर्दी का वीडियो देखा, अब इस प्रेस पर दबाव की कहानी भी देख रहा है। कैफी अली शायद यह भूल गए हैं कि इस डिजिटल युग में आप किसी को धमकी देकर चुप करा सकते हैं, लेकिन वीडियो और ख़बरें कभी मरते नहीं हैं वीडियो में साफ दिख रहा है की तालकटोरा शादाब आग सैयद फैजी को किनारे कर रहे हैं यानी बचा रहे हैं अल्फाजों से जनता सुन सकती है सैयद फैजी को बचा रहे हैं हाथ पकड़ कर बोला की आओ इधर आओ किनारे आ जाओ अगर कोई किसी से अगर बदतमीजी करता है तो डायरेक्ट मुझसे शिकायत कहें मैं उसे कर्बला से जो भी कर्मचारी होगा निकाल दूंगा पत्रकार रिंकू1
- welcome for my vidio see gais1
- हरदोई कस्तूरबा गांधी विद्यालय शाहाबाद से बड़ी खबर,कई दिन से बीमार छात्रों को समुचित इलाज नहीं,केजीबी की वार्डन बच्चियों को लेकर सीएचसी पहुंची, कैमरे के सामने आते ही वह हड़बड़ा गई, दोनों बच्चियों को बहुत तेज खांसी आ रही थी,दोनों बच्चियां बुरी तरह खांस थी थीं, सीएचसी पहुंची छात्राओं का डॉक्टर जीशान द्वारा परीक्षण किया गया,आवश्यक दवाई भी दी,खंड शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई।मीडिया के द्वारा जानकारी मिलने पर उन्होंने कस्तूरबा गांधी विद्यालय के वार्डन को फोन कर पूछा तो बताया गया कि दो छात्राएं तीन दिन से बीमार है,उनकी दवाई ली जा रही है,खंड शिक्षा अधिकारी लड़कियों के परिजनों को बुलाकर उन्हें घर भेजने के निर्देश दिए।2
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