जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में बीजेपी और बीएपी सांसद के बीच हुई मुद्दों से भटकी दिशा तो बीजेपी सांसद ने टोका और हो गया हंगामा जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में बीजेपी और बीएपी सांसद के बीच हुई तू-तू, मैं-मैं भाजपा सांसद मन्नालाल ने दिखाया सरकारी आदेश तो बीएपी सांसद ने कहा - मैं तय करूँगा बैठक का विषय संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक सोमवार सुबह जैसे ही शुरू हुई, कुछ देर बाद माहौल अचानक गरमा गया और मामला बहस से बढ़कर टकराव तक पहुंच गया। जिला कलेक्ट्रेट के ईडीपी सभागार में आयोजित इस बैठक में सांसद-विधायक के साथ कलेक्टर अंकित कुमार सिंह, जिला परिषद के सीईओ हनुमान सिंह राठौड़, एएसपी मुकेश सांखला सहित कई अधिकारी मौजूद थे। बैठक का उद्देश्य केंद्र सरकार की विकास योजनाओं की समीक्षा था, लेकिन बीएपी सांसद राजकुमार रोत एजेंडे से हटकर राज्य सरकार से जुड़े मुद्दे उठाने लगे। इसी पर भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने आपत्ति जताई और स्पष्ट कहा कि दिशा बैठक केंद्र सरकार की योजनाओं के एजेंडे के अनुसार चलती है। रावत ने सरकारी आदेश दिखाकर समझाया कि तय दायरे से बाहर जाने पर बैठक का मकसद ही बिगड़ जाता है। यहीं से माहौल गर्म होना शुरू हो गया। राजकुमार रोत ने खुद को बैठक का अध्यक्ष बताते हुए कहा कि जनता से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मन्नालाल रावत यहां सिर्फ माहौल खराब करने आए हैं और विकास कार्यों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। इस आरोप के जवाब में रावत ने संयमित लेकिन सख्त लहजे में कहा कि वे केवल नियमों और पारदर्शिता की बात कर रहे हैं क्योंकि बिना एजेंडे व प्रक्रिया के कोई भी योजना सही ढंग से लागू नहीं हो सकती। तर्क और दस्तावेज़ों के सहारे अपनी बात रखते हुए उन्होंने साफ किया कि राजनीति नहीं, बल्कि काम-काज की जवाबदेही उनका मुद्दा है। इसी दौरान स्थिति ओर तीखी हो गई जब आसपुर विधायक उमेश डामोर बीच में आ गए। बहस के बीच उन्होंने मंच से ही सांसद मन्नालाल रावत को चुनौती देते हुए कहा कि लड़ाई करनी है तो बाहर आ जाओ, मैदान में आओ। यह बयान सुनते ही सभागार में तनाव फैल गया और “तू-तू, मैं-मैं” की नौबत आ गई जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को बीचबचाव करना पड़ा। इस दौरान रावत ने खुद को धमकाए जाने का आरोप लगाया और कहा कि यह तरीका लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। करीब 15 मिनट तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा और अधिकारियों ने बड़ी मशक्कत के बाद दोनों पक्षों को शांत कराया। हंगामा थमने के बाद ही बैठक दोबारा शुरू हो सकी। बाद में मन्नालाल रावत ने स्पष्ट कहा कि दिशा बैठक विकास योजनाओं की निगरानी के लिए होती है, न कि राजनीतिक टकराव का मंच बनाने के लिए। उनका कहना था कि अगर एजेंडे और नियमों को दरकिनार किया जाएगा तो योजनाओं का मूल्यांकन प्रभावित होगा और उसका सीधा नुकसान जनता को होगा। उन्होंने यह भी कहा कि धमकी और शोर-शराबे से विकास नहीं होता, काम तभी आगे बढ़ता है जब निर्णय प्रक्रिया साफ, लिखित और जवाबदेह हो। गौरतलब है कि दिशा समिति की बैठकों की अध्यक्षता सांसद करते हैं और उनमें केंद्र की योजनाओं की प्रगति पर चर्चा होती है। डूंगरपुर जिले की चार विधानसभाओं में से तीन बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत के क्षेत्र में आती हैं, जबकि आसपुर विधानसभा उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत के संसदीय क्षेत्र में शामिल है। इस पृष्ठभूमि में हुई तीखी कहासुनी ने बैठक को विकास पर केंद्रित रखने के बजाय टकराव की दिशा में मोड़ दिया। हालांकि पूरे घटनाक्रम में मन्नालाल रावत लगातार नियम, दस्तावेज़ और प्रक्रिया का तर्क देते रहे और उनका रुख यही संदेश देता दिखा कि विकास की दिशा में बहस हो तो वह व्यवस्था के भीतर रहकर ही हो। बैठक गवर्नेंस की थी, किसी राजनीतिक दल की नहीं, इसलिए फोकस पूरी तरह जनता के कल्याण पर रहा - सांसद मन्नालाल रावत बैठक के बाद उदयपुर लोकसभा सांसद मन्नालाल रावत ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ज़रूरी है कि केंद्र सरकार की हर योजना निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार और जनता को केंद्र में रखकर ज़िलों तक सही तरीके से पहुँचे। कृषि, बुनियादी ढाँचे, डिजिटलीकरण, स्वामित्व आदि विषयों पर विस्तार से काम और चर्चा हुई। आज की बैठक में कुछ मुद्दे दिशा-निर्देशों के दायरे से बाहर चले गए, जिन्हें सीमित रखने का प्रयास किया गया। यह बैठक गवर्नेंस की थी, किसी राजनीतिक दल की नहीं, इसलिए फोकस पूरी तरह जनता-कल्याण पर रहा। आपत्तिजनक भाषा (जैसे “तू” कहकर संबोधित करना) और अहंकार-पूर्ण रवैये पर आपत्ति जताई गई। बैठक में एक विधायक द्वारा बाहर मिलने की धमकी दी गई, जिस पर मैंने जिला कलेक्टर से एफआईआर दर्ज करने को कहा है। यदि वहाँ से कार्रवाई नहीं होती है तो मुख्यमंत्री के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। भाजपा सांसद द्वारा पूर्व नियोजित तरीके से बैठक को बाधित कर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का किया प्रयास - सांसद राजकुमार रोत मीडिया को संबोधित करते हुए बांसवाड़ा- डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि केंद्र सरकार की मार्गदर्शिका के अनुसार ज़िला-स्तरीय “दिशा” बैठक का आयोजन विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए किया जाता है, जिसमें स्थानीय सांसद को अध्यक्ष नामित किया गया है। हमारे ज़िले में दो संसदीय क्षेत्र आते हैं और उदयपुर सांसद इस समिति के सह-अध्यक्ष हैं। पिछली दो बैठकों के दौरान उनकी अन उपलब्धता के कारण बैठकें स्थगित होती रही हैं। आज की बैठक में केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार की कई योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा), क्लस्टर स्तरीय भवन निर्माण, वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे, शिक्षा, दूध वितरण, कृषि आदि पर गंभीर चर्चा प्रस्तावित थी। लेकिन बैठक के दौरान उदयपुर सांसद द्वारा लगातार टोकाटाकी, निराधार आरोप और अफरा-तफरी पैदा करने की कोशिश की गई, जिससे बैठक का माहौल बार-बार बिगड़ा। मुझे लगा कि पूर्व-नियोजित तरीके से बैठक को बाधित कर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास किया गया। सांसद रोत ने कहा कि हमारे लिए यह चिंता का विषय है कि जब जनता से जुड़े अहम प्रश्न रोज़गार, शिक्षा, महिलाओं के सीएलएफ भवन, मनरेगा भुगतान, वनाधिकार पट्टे इत्यादि उठाए गए, तब उन्हें रचनात्मक संवाद के बजाय विवाद की ओर मोड़ने की कोशिश हुई। फिर भी हमने संयम बनाए रखा और तथ्यों के आधार पर जवाब दिए ताकि बैठक सुचारु रूप से पूरी हो सके। उन्होंने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाएँ ज़मीन पर प्रभावी ढंग से लागू हों। जहाँ भी भ्रष्टाचार या लापरवाही मिलेगी, हम उसे उजागर करेंगे। डूंगरपुर की जागरूक जनता लोकतांत्रिक तरीके से सही समय पर जवाब देगी। हमारा संकल्प स्पष्ट है आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के हितों से जुड़ी योजनाओं को बाधित नहीं होने देंगे और विकास कार्यों को पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाते रहेंगे।
जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में बीजेपी और बीएपी सांसद के बीच हुई मुद्दों से भटकी दिशा तो बीजेपी सांसद ने टोका और हो गया हंगामा जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक में बीजेपी और बीएपी सांसद के बीच हुई तू-तू, मैं-मैं भाजपा सांसद मन्नालाल ने दिखाया सरकारी आदेश तो बीएपी सांसद ने कहा - मैं तय करूँगा बैठक का विषय संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक सोमवार सुबह जैसे ही शुरू हुई, कुछ देर बाद माहौल अचानक गरमा गया और मामला बहस से बढ़कर टकराव तक पहुंच गया। जिला कलेक्ट्रेट के ईडीपी सभागार में आयोजित इस बैठक में सांसद-विधायक के साथ कलेक्टर अंकित कुमार सिंह, जिला परिषद के सीईओ हनुमान सिंह राठौड़, एएसपी मुकेश सांखला सहित कई अधिकारी मौजूद थे। बैठक का उद्देश्य केंद्र सरकार की विकास योजनाओं की समीक्षा था, लेकिन बीएपी सांसद राजकुमार रोत एजेंडे से हटकर राज्य सरकार से जुड़े मुद्दे उठाने लगे। इसी पर भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने आपत्ति जताई और स्पष्ट कहा कि दिशा बैठक केंद्र सरकार की योजनाओं के एजेंडे के अनुसार चलती है। रावत ने सरकारी आदेश दिखाकर समझाया कि तय दायरे से बाहर जाने पर बैठक का मकसद ही बिगड़ जाता है। यहीं से माहौल गर्म होना शुरू हो गया। राजकुमार रोत ने खुद को बैठक का अध्यक्ष बताते हुए कहा कि जनता से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि मन्नालाल रावत यहां सिर्फ माहौल खराब करने आए हैं और विकास कार्यों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते। इस आरोप के जवाब में रावत ने संयमित लेकिन सख्त लहजे में कहा कि वे केवल नियमों और पारदर्शिता की बात कर रहे हैं क्योंकि बिना एजेंडे व प्रक्रिया के कोई भी योजना सही ढंग से लागू नहीं हो सकती। तर्क और दस्तावेज़ों के सहारे अपनी बात रखते हुए उन्होंने साफ किया कि राजनीति नहीं, बल्कि काम-काज की जवाबदेही उनका मुद्दा है। इसी दौरान स्थिति ओर तीखी हो गई जब आसपुर विधायक उमेश डामोर बीच में आ गए। बहस के बीच उन्होंने मंच से ही सांसद मन्नालाल रावत को चुनौती देते हुए कहा कि लड़ाई करनी है तो बाहर आ जाओ, मैदान में आओ। यह बयान सुनते ही सभागार में तनाव फैल गया और “तू-तू, मैं-मैं” की नौबत आ गई जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को बीचबचाव करना पड़ा। इस दौरान रावत ने खुद को धमकाए जाने का आरोप लगाया और कहा कि यह तरीका लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। करीब 15 मिनट तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा और अधिकारियों ने बड़ी मशक्कत के बाद दोनों पक्षों को शांत कराया। हंगामा थमने के बाद ही बैठक दोबारा शुरू हो सकी। बाद में मन्नालाल रावत ने स्पष्ट कहा कि दिशा बैठक विकास योजनाओं की निगरानी के लिए होती है, न कि राजनीतिक टकराव का मंच बनाने के लिए। उनका कहना था कि अगर एजेंडे और नियमों को दरकिनार किया जाएगा तो योजनाओं का मूल्यांकन प्रभावित होगा और उसका सीधा नुकसान जनता को होगा। उन्होंने यह भी कहा कि धमकी और शोर-शराबे से विकास नहीं होता, काम तभी आगे बढ़ता है जब निर्णय प्रक्रिया साफ, लिखित और जवाबदेह हो। गौरतलब है कि दिशा समिति की बैठकों की अध्यक्षता सांसद करते हैं और उनमें केंद्र की योजनाओं की प्रगति पर चर्चा होती है। डूंगरपुर जिले की चार विधानसभाओं में से तीन बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत के क्षेत्र में आती हैं, जबकि आसपुर विधानसभा उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत के संसदीय क्षेत्र में शामिल है। इस पृष्ठभूमि में हुई तीखी कहासुनी ने बैठक को विकास पर केंद्रित रखने के बजाय टकराव की दिशा में मोड़ दिया। हालांकि पूरे घटनाक्रम में मन्नालाल रावत लगातार नियम, दस्तावेज़ और प्रक्रिया का तर्क देते रहे और उनका रुख यही संदेश देता दिखा कि विकास की दिशा में बहस हो तो वह व्यवस्था के भीतर रहकर ही हो। बैठक गवर्नेंस की थी, किसी राजनीतिक दल की नहीं, इसलिए फोकस पूरी तरह जनता के कल्याण पर रहा - सांसद मन्नालाल रावत बैठक के बाद उदयपुर लोकसभा सांसद मन्नालाल रावत ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ज़रूरी है कि केंद्र सरकार की हर योजना निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार और जनता को केंद्र में रखकर ज़िलों तक सही तरीके से पहुँचे। कृषि, बुनियादी ढाँचे, डिजिटलीकरण, स्वामित्व आदि विषयों पर विस्तार से काम और चर्चा हुई। आज की बैठक में कुछ मुद्दे दिशा-निर्देशों के दायरे से बाहर चले गए, जिन्हें सीमित रखने का प्रयास किया गया। यह बैठक गवर्नेंस की थी, किसी राजनीतिक दल की नहीं, इसलिए फोकस पूरी तरह जनता-कल्याण पर रहा। आपत्तिजनक भाषा (जैसे “तू” कहकर संबोधित करना) और अहंकार-पूर्ण रवैये पर आपत्ति जताई गई। बैठक में एक विधायक द्वारा बाहर मिलने की धमकी दी गई, जिस पर मैंने जिला कलेक्टर से एफआईआर दर्ज करने को कहा है। यदि वहाँ से कार्रवाई नहीं होती है तो मुख्यमंत्री के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। भाजपा सांसद द्वारा पूर्व नियोजित तरीके से बैठक को बाधित कर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का किया प्रयास - सांसद राजकुमार रोत मीडिया को संबोधित करते हुए बांसवाड़ा- डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि केंद्र सरकार की मार्गदर्शिका के अनुसार ज़िला-स्तरीय “दिशा” बैठक का आयोजन विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए किया जाता है, जिसमें स्थानीय सांसद को अध्यक्ष नामित किया गया है। हमारे ज़िले में दो संसदीय क्षेत्र आते हैं और उदयपुर सांसद इस समिति के सह-अध्यक्ष हैं। पिछली दो बैठकों के दौरान उनकी अन उपलब्धता के कारण बैठकें स्थगित होती रही हैं। आज की बैठक में केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार की कई योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा), क्लस्टर स्तरीय भवन निर्माण, वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे, शिक्षा, दूध वितरण, कृषि आदि पर गंभीर चर्चा प्रस्तावित थी। लेकिन बैठक के दौरान उदयपुर सांसद द्वारा लगातार टोकाटाकी, निराधार आरोप और अफरा-तफरी पैदा करने की कोशिश की गई, जिससे बैठक का माहौल बार-बार बिगड़ा। मुझे लगा कि पूर्व-नियोजित तरीके से बैठक को बाधित कर वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास किया गया। सांसद रोत ने कहा कि हमारे लिए यह चिंता का विषय है कि जब जनता से जुड़े अहम प्रश्न रोज़गार, शिक्षा, महिलाओं के सीएलएफ भवन, मनरेगा भुगतान, वनाधिकार पट्टे इत्यादि उठाए गए, तब उन्हें रचनात्मक संवाद के बजाय विवाद की ओर मोड़ने की कोशिश हुई। फिर भी हमने संयम बनाए रखा और तथ्यों के आधार पर जवाब दिए ताकि बैठक सुचारु रूप से पूरी हो सके। उन्होंने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाएँ ज़मीन पर प्रभावी ढंग से लागू हों। जहाँ भी भ्रष्टाचार या लापरवाही मिलेगी, हम उसे उजागर करेंगे। डूंगरपुर की जागरूक जनता लोकतांत्रिक तरीके से सही समय पर जवाब देगी। हमारा संकल्प स्पष्ट है आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के हितों से जुड़ी योजनाओं को बाधित नहीं होने देंगे और विकास कार्यों को पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाते रहेंगे।
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