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भाजपा के नेता कुलदीप सिंह पालड़ी M. आए वाटेरा भिमाणा भारजा रोहीडा के तरूंगी के ग्रामीणों के समर्थन में कई दिनों से चल रही मेशर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की खनन परियोजना को निरस्त करवाने के लिए मांग के लिए sirohi today news
SIROHI TODAY NEWS
भाजपा के नेता कुलदीप सिंह पालड़ी M. आए वाटेरा भिमाणा भारजा रोहीडा के तरूंगी के ग्रामीणों के समर्थन में कई दिनों से चल रही मेशर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की खनन परियोजना को निरस्त करवाने के लिए मांग के लिए sirohi today news
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- #Jaipur : अरावली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बीजेपी पर हमला कहा -BJP झूठ फैलाना बंद करे, 2010 में सुप्रीम कोर्ट जिस '100 मीटर' फार्मूले को खारिज किया, उसे 2024 में भाजपा सरकार ने रिपोर्ट देकर सही क्यों ठहराया? भाजपा सरकार प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ कर अरावली को माफियाओं को सौंपना चाहती है, कांग्रेस ने अवैध खनन माफिया पर हमेशा कड़ी कार्रवाई की, गहलोत ने कहा अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है।1
- Post by JAGDISH KUMAR1
- चारभुजा नाथ के चरणों में संवाददाता नंदलाल पुरबिया न्यू द्वारकेश न्यूज़ चैनल नांदोली राजसमंद राजस्थान द्वारा1
- Post by District.reporter.babulaljogawat1
- संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है। अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा। ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।1
- #15 दिनो पार्किग धरना प्रदर्शन होस्पिटल डूंगरपुर राजस्थान1
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- भाजपा के नेता कुलदीप सिंह पालड़ी M. आए वाटेरा भिमाणा भारजा रोहीडा के तरूंगी के ग्रामीणों के समर्थन में कई दिनों से चल रही मेशर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की खनन परियोजना को निरस्त करवाने के लिए मांग के लिए sirohi today news1