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नंदलाल

2 hrs ago
user_फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
Photographer राजसमंद, राजसमंद, राजस्थान•
2 hrs ago

नंदलाल

More news from राजस्थान and nearby areas
  • Post by प्रभुरामचौधरीबिजोवा
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    Post by प्रभुरामचौधरीबिजोवा
    user_प्रभुरामचौधरीबिजोवा
    प्रभुरामचौधरीबिजोवा
    Journalist मारवाड़ जंक्शन, पाली, राजस्थान•
    16 hrs ago
  • रील्स बनती रहीं, मासूम दम तोड़ता रहा—चित्तौड़गढ़ में अंधविश्वास की भयावह तस्वीर।
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    रील्स बनती रहीं, मासूम दम तोड़ता रहा—चित्तौड़गढ़ में अंधविश्वास की भयावह तस्वीर।
    user_Alert Nation News
    Alert Nation News
    Chittaurgarh, Chittorgarh•
    18 hrs ago
  • सिरोही जिले के रेवदर के पूर्व विधायक जगसीराम कोली के कृषि कुएं पर जुए सट्टे के खिलाफ पुलिस ने की बड़ी कार्रवाई के बाद पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने कंसे तंज
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    सिरोही जिले के रेवदर के पूर्व विधायक जगसीराम कोली के कृषि कुएं पर जुए सट्टे के खिलाफ पुलिस ने की बड़ी कार्रवाई के बाद पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने कंसे तंज
    user_SIROHI TODAY NEWS
    SIROHI TODAY NEWS
    Journalist पिंडवाड़ा, सिरोही, राजस्थान•
    5 hrs ago
  • न्यायालय का बड़ा फैसला: कृषि भूमि के दो बेचाननामा रद्द, नामांतरण प्रक्रिया पर उठे सवाल बाली ।पाली (जमाल खान)। समीपवर्ती बाली में वरिष्ठ सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने कृषि भूमि से जुड़े दो बेचाननामों को विधि विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने साथ ही निषेधाज्ञा जारी कर अप्रार्थी को भूमि में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी से पाबंद किया है। अधिवक्ता भरत जे. राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि पाली जिले के बाली उपखंड के ग्राम दादाई स्थित राजस्व खातेदारी कृषि भूमि के मामले में वरिष्ठ सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट मदनलाल बालोटिया ने संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया। प्रकरण में दीपा की मृत्यु के बाद नामांतरण संख्या 872 के तहत उनके वारिसान—ओटाराम व अन्य—के नाम भूमि दर्ज की गई थी। इसके पश्चात ओटाराम ने उक्त भूमि का बेचान करण कुमार के पक्ष में किया, और बाद में करण कुमार ने वही भूमि पुनः ओटाराम की पुत्रवधू अंशी देवी के नाम बेचान कर दी। न्यायालय ने इन दोनों बेचाननामों को विधि विरुद्ध ठहराते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही निरस्तीकरण की सूचना उप पंजीयक बाली एवं देसूरी न्यायालय के माध्यम से संबंधित उप पंजीयक कार्यालयों को भिजवाई गई है। न्यायाधीश ने आदेश में यह भी निर्देश दिए हैं कि दोनों निरस्त दस्तावेजों पर लाल स्याही से स्पष्ट टिप्पणी अंकित की जाए, जिससे यह दर्ज रहे कि उक्त दस्तावेज न्यायालय द्वारा रद्द किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने निषेधाज्ञा जारी करते हुए स्वर्गीय भूरिया के वारिसान की कृषि भूमि में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी नहीं करने का आदेश दिया है। प्रकरण में नामांतरण दर्ज करने में राजस्व विभाग की कथित जल्दबाजी और कर्मचारियों की लापरवाही पर भी सवाल उठे हैं, जिसके चलते न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। अब इस मामले में संबंधित राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध उपखंड एवं जिला स्तरीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई की जाएगी या नहीं, यह भविष्य में तय होगा।
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    न्यायालय का बड़ा फैसला: कृषि भूमि के दो बेचाननामा रद्द, नामांतरण प्रक्रिया पर उठे सवाल
बाली ।पाली (जमाल खान)।
समीपवर्ती बाली में वरिष्ठ सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने कृषि भूमि से जुड़े दो बेचाननामों को विधि विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने साथ ही निषेधाज्ञा जारी कर अप्रार्थी को भूमि में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी से पाबंद किया है।
अधिवक्ता भरत जे. राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि पाली जिले के बाली उपखंड के ग्राम दादाई स्थित राजस्व खातेदारी कृषि भूमि के मामले में वरिष्ठ सिविल न्यायिक मजिस्ट्रेट मदनलाल बालोटिया ने संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया। प्रकरण में दीपा की मृत्यु के बाद नामांतरण संख्या 872 के तहत उनके वारिसान—ओटाराम व अन्य—के नाम भूमि दर्ज की गई थी। इसके पश्चात ओटाराम ने उक्त भूमि का बेचान करण कुमार के पक्ष में किया, और बाद में करण कुमार ने वही भूमि पुनः ओटाराम की पुत्रवधू अंशी देवी के नाम बेचान कर दी।
न्यायालय ने इन दोनों बेचाननामों को विधि विरुद्ध ठहराते हुए निरस्त कर दिया। साथ ही निरस्तीकरण की सूचना उप पंजीयक बाली एवं देसूरी न्यायालय के माध्यम से संबंधित उप पंजीयक कार्यालयों को भिजवाई गई है। न्यायाधीश ने आदेश में यह भी निर्देश दिए हैं कि दोनों निरस्त दस्तावेजों पर लाल स्याही से स्पष्ट टिप्पणी अंकित की जाए, जिससे यह दर्ज रहे कि उक्त दस्तावेज न्यायालय द्वारा रद्द किए जा चुके हैं।
इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने निषेधाज्ञा जारी करते हुए स्वर्गीय भूरिया के वारिसान की कृषि भूमि में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी नहीं करने का आदेश दिया है। प्रकरण में नामांतरण दर्ज करने में राजस्व विभाग की कथित जल्दबाजी और कर्मचारियों की लापरवाही पर भी सवाल उठे हैं, जिसके चलते न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।
अब इस मामले में संबंधित राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध उपखंड एवं जिला स्तरीय प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई की जाएगी या नहीं, यह भविष्य में तय होगा।
    user_जमाल खान बाली
    जमाल खान बाली
    Journalist Pali, Rajasthan•
    18 hrs ago
  • Post by District.reporter.babulaljogawat
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    Post by District.reporter.babulaljogawat
    user_District.reporter.babulaljogawat
    District.reporter.babulaljogawat
    Journalist पाली, पाली, राजस्थान•
    20 hrs ago
  • मोबाइल कैमरे आज पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट हो चुके हैं, लेकिन प्रोफेशनल फोटोग्राफर अब भी DSLR और मिररलेस कैमरे पर भरोसा करते हैं। वजह है बड़ा सेंसर, बेहतर लो-लाइट परफॉर्मेंस, असली ज़ूम और मैनुअल कंट्रोल। मोबाइल सहूलियत देता है, लेकिन डिटेल, डेप्थ और परफेक्ट शॉट के लिए प्रोफेशनल कैमरे की जरूरत आज भी बनी हुई है। #Photography #ProfessionalCamera #DSLR #Mirrorless #MobileCamera #PhotoLovers #TechExplained #CameraVsMobile #ContentCreators
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    मोबाइल कैमरे आज पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट हो चुके हैं, लेकिन प्रोफेशनल फोटोग्राफर अब भी DSLR और मिररलेस कैमरे पर भरोसा करते हैं। वजह है बड़ा सेंसर, बेहतर लो-लाइट परफॉर्मेंस, असली ज़ूम और मैनुअल कंट्रोल। मोबाइल सहूलियत देता है, लेकिन डिटेल, डेप्थ और परफेक्ट शॉट के लिए प्रोफेशनल कैमरे की जरूरत आज भी बनी हुई है।
#Photography #ProfessionalCamera #DSLR #Mirrorless #MobileCamera #PhotoLovers #TechExplained #CameraVsMobile #ContentCreators
    user_द संक्षेप
    द संक्षेप
    Media company Begun, Chittorgarh•
    17 hrs ago
  • नंदलाल
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    नंदलाल
    user_फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
    फोटोग्राफर नंदलाल पुरबिया नांदोली राजसमंद राजस्थान
    Photographer राजसमंद, राजसमंद, राजस्थान•
    2 hrs ago
  • Post by District.reporter.babulaljogawat
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    Post by District.reporter.babulaljogawat
    user_District.reporter.babulaljogawat
    District.reporter.babulaljogawat
    Journalist पाली, पाली, राजस्थान•
    20 hrs ago
  • संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। जिला कांग्रेस पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ डूंगरपुर की ओर से अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में बढ़ते अवैध खनन, भूमि उपयोग परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण के विरोध में माननीय राज्यपाल के नाम उपखण्ड अधिकारी सागवाड़ा को ज्ञापन सौंपा गया। इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कपिल भट्ट ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय से अरावली पर्वतमाला और उससे जुड़ी स्थानीय भू-आकृतियाँ गंभीर खतरे में आ गई हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सौ मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली मानने संबंधी शपथ पत्र के आधार पर पारित निर्णय से विशेषकर दक्षिणी राजस्थान में अवैध खनन, कॉलोनीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा। भट्ट ने कहा कि एफएसआई की वैज्ञानिक रिपोर्ट और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के विपरीत इस निर्णय से ज़मीनी स्तर पर बेहद चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी प्राकृतिक संरचना की उत्पत्ति शून्य से होती है, न कि सीधे सौ मीटर से, ऐसे में यह कहना कि सौ मीटर से नीचे की पहाड़ियाँ अरावली का हिस्सा नहीं हैं, पूरी तरह अवैज्ञानिक और हास्यास्पद है। उन्होंने बताया कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान की जल सुरक्षा, भूजल पुनर्भरण, वन संपदा और पर्यावरणीय संतुलन की रीढ़ है। इसका विनाश संविधान के अनुच्छेद 48ए, 51ए(जी) तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की भावना के भी विरुद्ध है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर जल और पर्यावरण संकट का सामना करना पड़ेगा। कपिल भट्ट ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकार पुनः विशेषज्ञ समिति गठित कर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सौ मीटर के मापदंड को समाप्त करे तथा अरावली श्रृंखला से जुड़ी प्रत्येक छोटी-बड़ी पहाड़ी को अरावली का हिस्सा मानते हुए उसके खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए। साथ ही अवैध खनन में शामिल व्यक्तियों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर पर्यावरणीय क्षति की वसूली की जाए। वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष रूपशंकर त्रिवेदी ने कहा कि अरावली क्षेत्र में हो रही गतिविधियाँ सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के स्पष्ट रूप से विपरीत हैं। राज्य सरकार को तत्काल अवैध खनन और भूमि उपयोग परिवर्तन पर रोक लगाकर न्यायालय के निर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करनी चाहिए। अंत में कांग्रेस पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ ने स्पष्ट किया कि अरावली का संरक्षण केवल पर्यावरण का विषय नहीं, बल्कि जन-जीवन और राज्य के भविष्य से जुड़ा गंभीर प्रश्न है, जिस पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। इस अवसर पर कैलाश रोत, चंद्रशेखर सिंघवी, मनोहर कोटेड, कल्पेश रावल, चंद्रप्रकाश सारगिया, यूनुस पिंजारा, इस्माइल बिल्ला, फारुख लखारा, रविशंकर भट्ट, गोविन्द डांगी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता एवं पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।
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    संवाददाता - संतोष व्यास
डूंगरपुर। जिला कांग्रेस पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ डूंगरपुर की ओर से अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में बढ़ते अवैध खनन, भूमि उपयोग परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण के विरोध में माननीय राज्यपाल के नाम उपखण्ड अधिकारी सागवाड़ा को ज्ञापन सौंपा गया।
इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कपिल भट्ट ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय से अरावली पर्वतमाला और उससे जुड़ी स्थानीय भू-आकृतियाँ गंभीर खतरे में आ गई हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सौ मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली मानने संबंधी शपथ पत्र के आधार पर पारित निर्णय से विशेषकर दक्षिणी राजस्थान में अवैध खनन, कॉलोनीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।
भट्ट ने कहा कि एफएसआई की वैज्ञानिक रिपोर्ट और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के विपरीत इस निर्णय से ज़मीनी स्तर पर बेहद चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी प्राकृतिक संरचना की उत्पत्ति शून्य से होती है, न कि सीधे सौ मीटर से, ऐसे में यह कहना कि सौ मीटर से नीचे की पहाड़ियाँ अरावली का हिस्सा नहीं हैं, पूरी तरह अवैज्ञानिक और हास्यास्पद है।
उन्होंने बताया कि अरावली पर्वतमाला राजस्थान की जल सुरक्षा, भूजल पुनर्भरण, वन संपदा और पर्यावरणीय संतुलन की रीढ़ है। इसका विनाश संविधान के अनुच्छेद 48ए, 51ए(जी) तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की भावना के भी विरुद्ध है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर जल और पर्यावरण संकट का सामना करना पड़ेगा।
कपिल भट्ट ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकार पुनः विशेषज्ञ समिति गठित कर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सौ मीटर के मापदंड को समाप्त करे तथा अरावली श्रृंखला से जुड़ी प्रत्येक छोटी-बड़ी पहाड़ी को अरावली का हिस्सा मानते हुए उसके खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए। साथ ही अवैध खनन में शामिल व्यक्तियों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर पर्यावरणीय क्षति की वसूली की जाए।
वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष रूपशंकर त्रिवेदी ने कहा कि अरावली क्षेत्र में हो रही गतिविधियाँ सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के स्पष्ट रूप से विपरीत हैं। राज्य सरकार को तत्काल अवैध खनन और भूमि उपयोग परिवर्तन पर रोक लगाकर न्यायालय के निर्देशों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करनी चाहिए।
अंत में कांग्रेस पर्यावरण संरक्षण प्रकोष्ठ ने स्पष्ट किया कि अरावली का संरक्षण केवल पर्यावरण का विषय नहीं, बल्कि जन-जीवन और राज्य के भविष्य से जुड़ा गंभीर प्रश्न है, जिस पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।
इस अवसर पर कैलाश रोत, चंद्रशेखर सिंघवी, मनोहर कोटेड, कल्पेश रावल, चंद्रप्रकाश सारगिया, यूनुस पिंजारा, इस्माइल बिल्ला, फारुख लखारा, रविशंकर भट्ट, गोविन्द डांगी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता एवं पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।
    user_Santosh vyas
    Santosh vyas
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    1 hr ago
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