**एनएमडीसी के तुगलकी फरमान ने ली 25 वर्षीय युवक की जान** **सिस्टम की बेरहमी से उजड़ी एक माँ की कोख, इंसाफ के लिए सड़क से अदालत तक लड़ाई का ऐलान** **किरंदुल एनएमडीसी प्रबंधन के कथित तुगलकी फरमान और अमानवीय आईआर (IR) सिस्टम की क्रूरता ने एक 25 वर्षीय नौजवान की जान ले ली** इस दर्दनाक घटना ने ना सिर्फ एक होनहार युवक को मौत के मुँह में धकेल दिया, बल्कि एक माँ की कोख हमेशा के लिए सूनी कर दी,यह मामला एनएमडीसी के संवेदनहीन सिस्टम और तानाशाही रवैये का जीता-जागता उदाहरण बनकर सामने आया है, पीड़ित माँ का सीधा और गंभीर आरोप है कि जब वह अपने बेटे की जान बचाने की आखिरी उम्मीद लेकर एनएमडीसी के दफ्तर पहुँची,तो वहाँ उन्हें इंसान नहीं, बल्कि बोझ समझा गया, माँ का कहना है कि **डीजीएम नागमणि मैडम ने आईआर के नाम पर न केवल उनकी फरियाद सुनने से इनकार किया, बल्कि उन्हें अपने कार्यालय में अपमानित कर बाहर निकाल दिया** दुखी माँ के अनुसार, उनसे साफ शब्दों में कहा गया यहाँ मत आइए, लेबर कोर्ट जाइए, इतना ही नहीं, पीड़ित माँ का आरोप है कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस माँ को दोबारा ऑफिस में घुसने मत देना, एक माँ जो अपने बेटे की जान बचाने की भीख मांग रही थी, उसे अपने दफ्तर से बेइज्जत कर निकाल दिया गया जो अमानवीय घटना है बहुत, माँ का आरोप है कि उस वक्त किसी भी अधिकारी ने न संवेदना दिखाई, न जिम्मेदारी निभाई, आज वही प्रबंधन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी, पीड़ित माँ का कहना है कि यह सफाई झूठ, दिखावा और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है, पीड़ित माँ का रो-रोकर कहना है कि यदि समय रहते आईआर की खामियों को सुधारा गया होता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया होता, तो आज उनका बेटा जिंदा होता, **एनएमडीसी के सिस्टम की लापरवाही ने सीधे-सीधे उनके बेटे की जान ले ली** आज वह माँ टूट चुकी है, लेकिन हारी नहीं है, आँसू बहाते हुए उसने कहा कि वह अपने बच्चे के इंसाफ के लिए हर दरवाजा खटखटाएगी, चाहे वह सड़क हो, कोर्ट हो या दिल्ली तक की लड़ाई क्यों न हो, उसने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हुए कहा कि वह यह लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ेगी, **यह घटना एनएमडीसी प्रबंधन के चेहरे से संवेदनशीलता का नकाब उतारती है और सवाल खड़ा करती है** क्या सिस्टम इतना बेरहम हो चुका है कि एक माँ की चीख भी उसे नहीं पिघला पाती, आज एक माँ न्याय की गुहार लगा रही है और पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही है,
**एनएमडीसी के तुगलकी फरमान ने ली 25 वर्षीय युवक की जान** **सिस्टम की बेरहमी से उजड़ी एक माँ की कोख, इंसाफ के लिए सड़क से अदालत तक लड़ाई का ऐलान** **किरंदुल एनएमडीसी प्रबंधन के कथित तुगलकी फरमान और अमानवीय आईआर (IR) सिस्टम की क्रूरता ने एक 25 वर्षीय नौजवान की जान ले ली** इस दर्दनाक घटना ने ना सिर्फ एक होनहार युवक को मौत के मुँह में धकेल दिया, बल्कि एक माँ की कोख हमेशा के लिए सूनी कर दी,यह मामला एनएमडीसी के संवेदनहीन सिस्टम और तानाशाही रवैये का जीता-जागता उदाहरण बनकर सामने आया है, पीड़ित माँ का सीधा और गंभीर आरोप है कि जब वह अपने बेटे की जान बचाने की आखिरी उम्मीद लेकर एनएमडीसी के दफ्तर पहुँची,तो वहाँ उन्हें इंसान नहीं, बल्कि बोझ समझा गया, माँ का कहना है कि **डीजीएम नागमणि मैडम ने आईआर के नाम पर न केवल उनकी फरियाद सुनने से इनकार किया, बल्कि उन्हें अपने कार्यालय में अपमानित कर बाहर निकाल दिया** दुखी माँ के अनुसार, उनसे साफ शब्दों में कहा गया यहाँ मत आइए, लेबर कोर्ट जाइए, इतना ही नहीं, पीड़ित माँ का आरोप है कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस माँ को दोबारा ऑफिस में घुसने मत देना, एक माँ जो अपने बेटे की जान बचाने की भीख मांग रही थी, उसे अपने दफ्तर से बेइज्जत कर निकाल दिया गया जो अमानवीय घटना है बहुत, माँ का आरोप है कि उस वक्त किसी भी अधिकारी ने न संवेदना दिखाई, न जिम्मेदारी निभाई, आज वही प्रबंधन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी, पीड़ित माँ का कहना है कि यह सफाई झूठ, दिखावा और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है, पीड़ित माँ का रो-रोकर कहना है कि यदि समय रहते आईआर की खामियों को सुधारा गया होता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया होता, तो आज उनका बेटा जिंदा होता, **एनएमडीसी के सिस्टम की लापरवाही ने सीधे-सीधे उनके बेटे की जान ले ली** आज वह माँ टूट चुकी है, लेकिन हारी नहीं है, आँसू बहाते हुए उसने कहा कि वह अपने बच्चे के इंसाफ के लिए हर दरवाजा खटखटाएगी, चाहे वह सड़क हो, कोर्ट हो या दिल्ली तक की लड़ाई क्यों न हो, उसने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हुए कहा कि वह यह लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ेगी, **यह घटना एनएमडीसी प्रबंधन के चेहरे से संवेदनशीलता का नकाब उतारती है और सवाल खड़ा करती है** क्या सिस्टम इतना बेरहम हो चुका है कि एक माँ की चीख भी उसे नहीं पिघला पाती, आज एक माँ न्याय की गुहार लगा रही है और पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही है,
- **एनएमडीसी के तुगलकी फरमान ने ली 25 वर्षीय युवक की जान** **सिस्टम की बेरहमी से उजड़ी एक माँ की कोख, इंसाफ के लिए सड़क से अदालत तक लड़ाई का ऐलान** **किरंदुल एनएमडीसी प्रबंधन के कथित तुगलकी फरमान और अमानवीय आईआर (IR) सिस्टम की क्रूरता ने एक 25 वर्षीय नौजवान की जान ले ली** इस दर्दनाक घटना ने ना सिर्फ एक होनहार युवक को मौत के मुँह में धकेल दिया, बल्कि एक माँ की कोख हमेशा के लिए सूनी कर दी,यह मामला एनएमडीसी के संवेदनहीन सिस्टम और तानाशाही रवैये का जीता-जागता उदाहरण बनकर सामने आया है, पीड़ित माँ का सीधा और गंभीर आरोप है कि जब वह अपने बेटे की जान बचाने की आखिरी उम्मीद लेकर एनएमडीसी के दफ्तर पहुँची,तो वहाँ उन्हें इंसान नहीं, बल्कि बोझ समझा गया, माँ का कहना है कि **डीजीएम नागमणि मैडम ने आईआर के नाम पर न केवल उनकी फरियाद सुनने से इनकार किया, बल्कि उन्हें अपने कार्यालय में अपमानित कर बाहर निकाल दिया** दुखी माँ के अनुसार, उनसे साफ शब्दों में कहा गया यहाँ मत आइए, लेबर कोर्ट जाइए, इतना ही नहीं, पीड़ित माँ का आरोप है कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस माँ को दोबारा ऑफिस में घुसने मत देना, एक माँ जो अपने बेटे की जान बचाने की भीख मांग रही थी, उसे अपने दफ्तर से बेइज्जत कर निकाल दिया गया जो अमानवीय घटना है बहुत, माँ का आरोप है कि उस वक्त किसी भी अधिकारी ने न संवेदना दिखाई, न जिम्मेदारी निभाई, आज वही प्रबंधन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि उन्हें इस पूरे मामले की कोई जानकारी नहीं थी, पीड़ित माँ का कहना है कि यह सफाई झूठ, दिखावा और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है, पीड़ित माँ का रो-रोकर कहना है कि यदि समय रहते आईआर की खामियों को सुधारा गया होता और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया होता, तो आज उनका बेटा जिंदा होता, **एनएमडीसी के सिस्टम की लापरवाही ने सीधे-सीधे उनके बेटे की जान ले ली** आज वह माँ टूट चुकी है, लेकिन हारी नहीं है, आँसू बहाते हुए उसने कहा कि वह अपने बच्चे के इंसाफ के लिए हर दरवाजा खटखटाएगी, चाहे वह सड़क हो, कोर्ट हो या दिल्ली तक की लड़ाई क्यों न हो, उसने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हुए कहा कि वह यह लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ेगी, **यह घटना एनएमडीसी प्रबंधन के चेहरे से संवेदनशीलता का नकाब उतारती है और सवाल खड़ा करती है** क्या सिस्टम इतना बेरहम हो चुका है कि एक माँ की चीख भी उसे नहीं पिघला पाती, आज एक माँ न्याय की गुहार लगा रही है और पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही है,1
- नौगांव में भीम आर्मी के द्वारा IAS संतोष वर्मा के समर्थन में नौगांव में निकली विशाल रैली नौगांव1
- दुनिया का सबसे लंबा जगह का नाम किसी शहर या देश का नहीं, बल्कि न्यूज़ीलैंड की एक अकेली पहाड़ी का है। इस पहाड़ी का नाम 85 अक्षरों का है, जो माओरी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। यह नाम एक योद्धा की कहानी बताता है, जिसने अपने भाई की याद में यहां बांसुरी बजाई थी। नाम जितना लंबा है, इतिहास उतना ही गहरा। #DidYouKnow #WorldFacts #AmazingFacts #Knowledge #TrendingReels #GK #ViralFacts #IncredibleWorld1
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- संत रामपाल जी महाराज का सभी लोग धन्यवाद कर रहे हैं | Annapurna Muhim1
- खबर आज 27 दिसंबर की है जहां पर आज समाजसेवी विक्रम राय ने पलारी में मीडिया के समक्ष बताया कि धर्मांतरण करना गलत बात है साथी उन्होंने धर्मातारण करने वालों को यह भी कहा है कि उन्हें जीने का कोई भी हक नहीं है समझ में किसी भी प्रकार से मदद एवं समाज में इज्जत नहीं मिलता है।1
- इन एच सड़क पर ग्राम हरदी के पास ट्रेलर ट्रक ने कार को मारी टक्कर किसी के हताहत होने की खबर नहीं शुक्रवार की रात 9:30 बजे डायल 112 से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार के शाम करीब 6:35 पर कालर कार चालक से डायल 112 को फोन से सूचना दी गई की एक ट्रेलर ट्रक क्रमांक सीजी 10 बी आर 1740 के द्वारा उनकी कर को एक तरफ से ठोकर मार कर भाग रहा था जिसे पेंड्रीडी फ्लाईओवर ब्रिज के नीचे पकड़ता रखें सूचना मिलते ही डायल 112 की टीम घटना स्थल पहुंची जहां कार कार्यक्रम सी जी 10 बीएफ 66 69 के चालक ने बताया की वे रायपुर की तरफ से आ रहे थे तभी हरदी के पास एन एच सड़क पर ट्रेलर चालक द्वारा लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुए हमारे कर के ड्राइवर साइड को ठोकर मार कर एक्सीडेंट कर दिया है किसी को चोटे नहीं आई है लेकिन वाहन क्षतिग्रस्त हो गई है जिसके बाद ट्रेलर को चालक के साथ हिररी थाना जाकर सुपुर्द किया गया और प्रार्थी को रिपोर्ट दर्ज करने की सलाह दी गई1
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