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इंदरगढ़ का रोड
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- जंगल में रेल में सफर करते समय दरवाजे बंद रखिए बाकी वीडियो देखिए।1
- jee aspirants Alert|BITSAt 20261
- देवरी ओपन क्रिकेट प्रतियोगिता में भाल ढाबा टीम ने जीता फाइनल मैच और आरआर इलेवन टीम रही उप विजेता, प्रथम विजेता टीम को ₹100000 द्वितीय विजेता टीम को ₹51000 का दिया पुरस्कार शाहाबाद उपखंड के देवरी कस्बे के बीलखेड़ा डांग रोड़ पर स्थित शहीद भगत सिंह खेल मैदान पर सोमवार को देवरी प्रीमियर लीग डीपीएल सीजन _6 में सोमवार को खेले गए फाइनल मैच में हजारों की संख्या में दर्शक मैदान पर देर शाम तक डटे रहे। वहीं दर्शकों ने जमकर फाइनल मुकावले का आनंद लिया। कार्यक्रम के मुख्य भाजपा बारा झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह विशिष्ठ अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश सिंह सिकरवार आयोजक समिति के संरक्षक ब्रजपाल सिंह सिकरवार, अध्यक्ष राकेश भाल कोषाध्यक्ष आशु एवं रिंकू गुप्ता ने बताया कि सोमवार को पहला मैच अशोक नगर और भाल ढाबा के मध्य खेला गया जिसमें अशोक नगर टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 8 ओवरों में 93 रन बनाए जबकि लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भाल ढाबा टीम ने 6 ओवरों में ही जीत दर्ज कर ली। दूसरा मैच भाल ढाबा और शाहाबाद टीम के मध्य खेला गया जिसमें शाहाबाद टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 99 रन बनाए जबकि लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भाल ढाबा टीम ने महज 8 ओवरों में ही जीत दर्ज कर ली। वही फाइनल मुकाबला आरआर टीम और भाल ढाबा टीम के मध्य खेला गया। मैच से पहले दोनों टीमों के खिलाड़ियों से आज के मुख्य अतिथि सांसद दुष्यंत सिंह विशिष्ठ अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश सिंह सिकरवार ने खिलाड़ियों से परिचय लिया एवं राष्ट्र गान के साथ फाइनल मैच की शुरुआत हुई जिसमें जिसमें भाल ढाबा टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 10 ओवरों में 102 रनों का लक्ष्य रखा वहीं लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आरआर टीम 10 ओवरों में 97 रनों पर ढेर हो गई जिससे भाल ढाबा टीम फाइनल विजेता रही वहीं भाल ढाबा टीम फाइनल विजेता को एक लाख रुपए नकद राशि एवं ट्रॉफी वहीं उप विजेता रही आरआर इलेवन टीम को पचास हजार रुपए नकद एवं ट्रॉफी और वहीं टूर्नामेंट के मेन ऑफ द सीरीज पवन बघेल को स्पोर्ट्स साइकिल एवं ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। वहीं दोनों ही टीमों में अलग अलग राज्यों से जाने माने खिलाड़ी देवरी खेल मैदान पर दर्शकों को देखने मिले जिससे हजारों की संख्या में दर्शक अपनी निगाह मैदान पर टिकाए रहे।4
- #गंगापुरसिटी वजीरपुर हमारे संघर्ष की हुई जीत बड़ौदा बडोली रोड का डामरीकरण कार्य चालू और आज मौके पर पहुंच कर समस्त युवा टीम के कार्यकर्ताओं के साथ रोड का डंबर कार्य का किया निरक्षण,जो हमारे दोनों गावों की महत्वपूर्ण समस्या थी, इस रोड के लिए लगातार मेरे द्वारा रात दिन SDM कार्यालय वज़ीरपुर पर धरना दिया था ज़ब प्रसासन न 10 जनवरी तक का समय माँगा था, ज़ब जाकर हमने प्रसासन से ये बोला की 10जनवरी तक रोड नहीं बना तो मजबूरन हमें आंदोलन करना पड़ेगा ज़ब प्रसासन न जनता की ताकत को देखते हुए 10 जनवरी से पहले ही रोड का कार्य चालू कर दिया इस आंदोलन मै मेरा साथ देने बाली समस्त क्षेत्र की जनता व युवा टीम के सभी कार्यकर्ताओं का बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे द्वारा क्षेत्र की जनता की लड़ाई पहले भी लड़ी गई थी और आग1
- जिला चित्तौड़गढ़ तहसील रावतभाटा ख़बर लोकेशन रावतभाटा खबर रिपोर्टर पवन मेहर मो नं 9828442738 *जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ के आदेशानुसार नगरपालिका रावतभाटा द्बारा दुकानों से 25 चाइनीज़ मांझे के गट्टे जप्त किए गये। व चाइनीज मांझा बेचने के लिए दुकानदारो को पाबंद किया गया।* जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ के आदेशानुसार रावतभाटा नगरपालिका द्वारा टीम का गठन किया गया। क्षेत्र में बिकने वाले मान्जा का निरीक्षण किया। और चाइनीज मांझा नायलॉन,कांच पाउडर से बना धागा के बारे में समझाइश की गई। इससे होने वाले प्रमुख नुकसान के बारे में बताया कि इस माजे से मानव जीवन को होने वाले खतरे जैसे गले, हाथ, चेहरे और आंखों पर गहरे कट लग सकते हैं। बाइक स्कूटर सवारों के गले कटने से गंभीर चोट या मौत तक हो सकती है। बच्चों के छत पर पतंग उड़ाना भी कभी कभी अत्यंत जोखिमपूर्ण हो जाता है। चाइनीस माजा पक्षियों के लिए जानलेवा हो सकता है। उड़ते पक्षियों के पंख, पैर या गला कट जाता है। इसमें कई पक्षी फंसकर मर जाते हैं। या जीवनभर अपंग हो जाते हैं। कभी कभी यह मांजा से बिजली और आग का खतरा उत्पन्न हो जाता है। यह बिजली की तारों में फंसने से शॉर्ट सर्किट,आग लगना और बिजली आपूर्ति बाधित होती है। इस माजे से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। नायलॉन मांझा सड़ता नहीं, लंबे समय तक कचरा बनकर रहता है। उक्त कार्रवाई में 25 चाइनीज मांजे के गटे जप्त किए गए। रावतभाटा नगर पालिका अधिशासी अधिकारी मुकेश नागर ने आमजन से अपील की है कि चाइनीस मजे के स्थान पर साधारण मंजे का उपयोग करें ताकि आमजन एवं जीव जंतु को किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक क्षति न पहुंचे। इस दौरान निरीक्षण दल में सफाई निरीक्षक नरपत सिंह, अर्जुन कुमार,प्रवीण आदिवाल,प्रकाश सारवान आदि शामिल रहे।1
- Post by बंटी कुमार सहरिया1
- साढ़े दस माह और एक दर्जन मजदूरों की मौत: फिर भी नहीं मिला वेतन -28 साल से बकाया भुगतान का कर रहे इंतजार -315वें दिन भी जारी रहा जेके फैक्ट्री के मजदूरों का धरना कोटा। जेके सिंथेटिक्स फैक्ट्री के बंद होने के बाद 28 वर्षों से अधिक समय से बकाया वेतन की मांग को लेकर मजदूरों का अनिश्चित कालीन धरना सोमवार को 315 वें दिन भी जारी रहा। सीटू के बैनर तले 18 फरवरी से जिला कलेक्ट्रेट परिसर में चल रहे इस धरने में मजदूरों का आक्रोश चरम पर है। धरने के दौरान अब तक 12 मजदूरों की असमय मौत हो चुकी है, जिसके लिए मजदूरों ने सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। सीटू के मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि 18 फरवरी 2025 से शुरू हुए इस धरने में शामिल होने वाले मजदूरों में से 12 मजदूरों ने बकाया राशि नहीं मिलने के कारण सदमे में दम तोड़ दिया। सीटू के वरिष्ठ नेता कामरेड योगेश चंद और कामरेड हुकुम चंद सहित इन सभी की मौत की सूचना धरना स्थल पर दी गई। मजदूरों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। मजदूर नेताओं का आरोप है कि यदि सरकार ने समय पर जमीन अधिग्रहण के साथ बकाया वेतन का भुगतान कर दिया होता, तो ये मजदूर आज हमारे बीच होते। राज्य सरकार की तानाशाही नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि मजदूरों की मौत की जिम्मेदार यह सरकार है। 4200 मजदूरों का 500 करोड़ से अधिक बकाया सीटू मीडिया प्रभारी ने बताया कि जेके सिंथेटिक्स फैक्ट्री के करीब 4200 मजदूरों का 28 वर्ष पुराना बकाया वेतन 500 करोड़ रुपए से अधिक है। मजदूर नेता कामरेड उमाशंकर, कामरेड नरेंद्र सिंह, कामरेड हबीब खान और अन्य ने संयुक्त रूप से सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द बकाया वेतन नहीं चुकाया गया तो मजदूर फैक्ट्री की जमीन पर अपना हक़ कायम करेंगे। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री की जमीन अधिग्रहण के साथ बकाया वेतन का भुगतान होना चाहिए। मजदूरों की मेहनत की राशि पर हमारा हक़ बनता है। नेताओं ने स्पष्ट किया कि बकाया भुगतान होने तक धरना जारी रहेगा। धरने में 700 मजदूरों की उपस्थिति, 300 महिलाएं शामिल धरने में सोमवार को यूनियन रजिस्टर में 700 मजदूरों ने उपस्थिति दर्ज कराई, जिनमें लगभग 300 महिलाएं शामिल रहीं। मजदूरों और सीटू कार्यकर्ताओं में सरकार के प्रति गहरा रोष व्याप्त है। धरने के दौरान सैकड़ों मजदूरों और महिलाओं ने रैली निकालकर विरोध जताया। 315 वें दिन धरने को इन्होंने किया संबोधित 315 वें दिन धरने को कामरेड उमाशंकर, कामरेड नरेंद्र सिंह, कामरेड गोपाल शर्मा, कामरेड कालीचरण सोनी, कामरेड सतीश चंद त्रिवेदी, कामरेड हनुमान सिंह, शिशुपाल सिंह आदि ने संबोधित किया। धरने का संचालन कामरेड अशोक सिंह ने किया। मजदूर नेताओं ने दी चेतावनी कामरेड नरेंद्र सिंह और कामरेड उमाशंकर ने कहा कि सरकार फैक्ट्री की जमीन पर नया उद्योग लगाकर मजदूरों का बकाया चुकाए, अन्यथा मजदूर आंदोलन को और उग्र रूप देंगे। उन्होंने सरकार से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।4
- overthinking pe lagao full stop1
- जैसलमेर के मखमली रेत के धोरे न केवल राजस्थान की शान हैं, बल्कि हजारों स्थानीय परिवारों की रोजी-रोटी का आधार भी हैं। प्रशासन का स्पष्ट नियम है कि इन धोरों की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहाँ केवल रजिस्टर्ड और प्रमाणित सफारी गाड़ियाँ ही जा सकती हैं। इन गाड़ियों को चलाने वाले स्थानीय चालक रेगिस्तान की रग-रग से वाकिफ होते हैं, जो पर्यटकों को सुरक्षित रोमांच का अनुभव कराते हैं। आजकल यह देखा जा रहा है कि कई पर्यटक अपने 'रौब और रुतबे' का प्रदर्शन करने के लिए अपनी निजी गाड़ियाँ लेकर धोरों के बीच पहुँच जाते हैं। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि एक अत्यंत खतरनाक कदम भी है। पिछले दिनों हुए टोयोटा हाइलक्स जैसे भीषण हादसे इस बात का प्रमाण हैं कि रेगिस्तान की रेत को कम आंकना जानलेवा हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन अक्सर मौन रहता है। धोरों के इको-सिस्टम और स्थानीय लोगों के हक की रक्षा के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है। पर्यटकों से गुजारिस है कि जैसलमेर की खूबसूरती का आनंद लें, लेकिन यहाँ की परंपरा और नियमों का सम्मान करें। स्थानीय रजिस्टर्ड सफारी का ही उपयोग करें— यह सुरक्षित भी है और इससे यहाँ के युवाओं को संबल भी मिलता है।1