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आखिर राजस्थानी कॉमेडियन पन्या सेपट उर्फ दीपक मीणा के बेटे ने आत्महत्या की या फिर छिपा हैं कोई मौत का राज
पुरुषोत्तम तिवाड़ी
आखिर राजस्थानी कॉमेडियन पन्या सेपट उर्फ दीपक मीणा के बेटे ने आत्महत्या की या फिर छिपा हैं कोई मौत का राज
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- लालसोट. श्री संकल्प श्याम सेवा समिति के तत्वावधान आज 28 दिसंबर 2025 को खटवा रोड स्थित वार्ड नंबर 19 में स्थित निर्माण धिन खाटू श्याम मंदिर पर श्री श्याम संकल्प सेवा समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विशाल पोष बड़ा महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें आए हुए भक्तगणों को बिठाकर पंगत प्रसादी कराई गई। जिसमें 15 हजार लोगों के लिए प्रसादी तैयार की गई जिसमें बड़े, पुवे, और आलू टमाटर की सब्जी प्रसादी में वितरित की गई। इस दौरान महिला व पुरुष पंगत में बैठकर प्रसादी ग्रहण करते हुए नजर आए व भक्तगणों द्वारा पंगत प्रसादी कराई गई। जिसमें कुल 10 क्विंटल दाल, 15 कटै बैशन, 80 पीपा तेल, 60 कटटे आटा काम में लिया गया। इस दौरान श्री संकल्प श्याम सेवा समिति के सदस्य चौथमल पंडा, हरकेश चायवाला, छित्रमल, राधेश्याम डीडवाना, विश्राम पतासी वाला, पप्पू पानी वाला, हीरा लाल सैनी , जगदीश सेन, धर्मेंद्र, आदि लोग मौजूद रहे। वही मंच संचालन मुकेश अमवार व जेपी सैनी द्वारा किया गया। यह जानकारी श्याम संकल्प सेवा समिति के सदस्य विश्राम पतासी वाले द्वारा दी गई।4
- नई दिल्ली में सदन भवन में कंगना रनौत#भाषण पर सदन में बजने लगी टेबल#विपक्ष यूं चुपचाप सुनत रहें#लोकसभा में एसआईआर पर चर्चा के दौरान बोलते हुए कंगना रनौत ने कहा कि पीएम मोदी 'EVM नहीं बल्कि दिल हैक करते हैं1
- गोविंद देव जी के मंदिर में भागवत कथा में कथावाचक अमन भारती के मुखारविंद से कथा में रस बरसाया गया गोविंद जी के मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक अमन भारती के मुखारविंद से समुद्र मंथन की कथा, 52 भगवान के जन्म की कथा और गज और ग्राह की कथा एवं बालकृष्ण के जन्म की कथा व नंद उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। नंदोत्सव का महत्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद गोकुल में उनके पालक पिता नंद बाबा और माता यशोदा के घर खुशी मनाने में है, जो जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है; यह उत्सव आनंद, उल्लास और आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक है, जहाँ धन का दान, गायन और भक्ति के माध्यम से भक्तों को नंद लाला की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है आनंद और उल्लास: यह भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी और उनके पालन-पोषण के आनंद का प्रतीक है, जो भक्तों को उत्सव और सेवा में शामिल होने का अवसर देता है. नंद बाबा और यशोदा मैया का सम्मान: यह पर्व नंद बाबा और यशोदा मैया के प्रति सम्मान व्यक्त करता है, जिन्होंने कृष्ण का पालन-पोषण किया. आध्यात्मिक शुद्धिकरण: इस दिन ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को दान देने से धन और जीवन शुद्ध होता है, जैसा कि नंद बाबा ने किया था. नंद लाला की कृपा: शास्त्रों के अनुसार, नंदोत्सव मनाने से नंद के लाला (श्रीकृष्ण) की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होती. भक्ति की पूर्णता: जन्माष्टमी (स्मरण) और नंदोत्सव (उत्सव) मिलकर भक्ति की पूर्णता दर्शाते हैं, जहाँ भगवान के अवतरण का स्मरण और भक्तों का आनंदमय प्रत्युत्तर शामिल होता है. ब्रज संस्कृति का दर्शन: यह गोकुल और नंदगांव में मनाए जाने वाले उत्सव को दर्शाता है, जहाँ हर कोई नन्हे कृष्ण के दर्शन के लिए आता था.4
- मंच पर जैसे ही कलाकार ने हारमोनियम को छुआ, ऐसा लगा मानो वाद्य खुद गाने लगा हो। हर सुर में इतनी गहराई और भाव था कि श्रोता स्तब्ध रह गए और रोंगटे खड़े हो गए। संगीत की इस दुर्लभ प्रस्तुति ने साबित कर दिया कि जब साधना सच्ची हो, तो वाद्य भी जीवंत हो उठते हैं। यह पल सुनने वालों के दिलों में हमेशा गूंजता रहेगा। #Goosebumps #IndianMusic #Harmonium #ClassicalMusic #MusicLovers #ViralReels #SoulfulMusic #DidYouKnow #TrendingNow1
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