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MP E Uparjan: मध्य प्रदेश ई-उपार्जन पंजीयन कैसे करें? जानें पूरा प्रोसेस

updated at: Mon Jul 21 2025
कमलेश रंजन author-कमलेश रंजन's-image
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MP e‑Uparjan मध्य प्रदेश सरकार का एक डिजिटलीकृत कृषि उपार्जन प्रणाली (e‑Procurement) है जिसे खाद्य एवं रसद विभाग ने लांच किया है। यह किसानों और सरकारी उपार्जन केन्द्रों के बीच अनाज खरीद प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने हेतु शुरू की गई है। यह प्रणाली पूरे राज्य में खरीफ, रबी और जायदूँ फसलों (जैसे गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा, चना, मसूर, सरसों आदि) के लिए लागू है, और इसका उद्देश्य किसानों को MSP (Minimum Support Price) पर न्यूनतम समय में भुगतान सुनिश्चित करना है।

क्यों शुरू हुआ MP e‑Uparjan?

मध्य प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में बड़ी संख्या में किसान हर साल गेहूं, धान, चना, सरसों, मसूर जैसी फसलें उगाते हैं, जिनकी सरकारी समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद होती है। पहले यह खरीद प्रक्रिया मैनुअल और कागजी थी, जिससे कई गंभीर समस्याएं सामने आती थीं, जिसमें किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिलता, बिचौलियों की भूमिका बढ़ना, नकली पंजीकरण और भ्रष्टाचार की आशंका रहना, फसल खरीद के आंकड़े ठीक से रिकॉर्ड नहीं होना और वास्तविक किसान को लाभ नहीं मिलता तक शामिल है। 

अगर आप यूपी और एमपी की मंडियों के ताज़ा रेट जानना चाहते हैं, तो ललितपुर मंडी भाव, पिपरिया मंडी भाव, दमोही मंडी भाव, औरैया मंडी भाव और नरसिंहपुर मंडी भाव जरूर देखें।

इन सब समस्याओं को दूर करने और किसानों को पारदर्शी, तेज और भरोसेमंद प्रणाली देने के लिए MP सरकार ने MP e‑Uparjan पोर्टल शुरू किया। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं- 

  1. पारदर्शिता लाना: ई‑उपार्जन से फसल की खरीद पूरी तरह डिजिटल और ट्रैक योग्य हो गई है। किसान, व्यापारी, उपार्जन केंद्र, गोदाम और भुगतान सिस्टम सभी एक ही प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं। इससे फर्जीवाड़ा, घोटाले, और डुप्लीकेट एंट्री जैसी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो गईं।
  2. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ देना: पहले MSP की घोषणा तो होती थी, लेकिन किसान तक पैसा नहीं पहुंच पाता था या बहुत देर से पहुंचता था। ई‑उपार्जन के ज़रिए अब सरकार सुनिश्चित करती है कि पंजीकृत किसानों की फसल सरकारी दर पर खरीदी जाए और पैसा सीधे उनके खाते में जाए। इससे किसान को उसकी मेहनत का सही मूल्य समय पर मिल पाता है।ॉ
  3. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को बढ़ावा देना: e‑Uparjan पोर्टल का एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि भुगतान सीधे किसान के आधार-लिंक बैंक खाते में जाए, जिससे बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो जाए। इससे सरकार का पैसा सही व्यक्ति तक पहुंचे, यह सुनिश्चित किया जाता है।
  4. भूमि रिकॉर्ड और फसल सत्यापन को जोड़ना: MP e‑Uparjan प्रणाली को गिरदावरी डेटा, समग्र ID और आधार से जोड़ा गया है। किसान वही फसल बेच सकता है जो उसकी भूमि पर दर्ज हो, इससे गलत फसल डिक्लेरेशन, या फर्जी किसान पंजीकरण जैसे मामलों पर रोक लगती है। इससे एक डेटा आधारित और विश्वसनीय खरीद प्रणाली विकसित होती है।
  5. भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका कम करना: पहले मंडी या केंद्रों पर बिचौलिए किसानों से अनाज सस्ते में खरीदकर सरकारी दर पर बेचते थे। MP e‑Uparjan में केवल पंजीकृत किसान ही बिक्री कर सकता है, और यह रजिस्ट्रेशन आधार से लिंक होता है। इससे दलालों और फर्जी खरीदारों की भूमिका खत्म हो गई है।
  6. वक्त पर फसल खरीदी और भुगतान सुनिश्चित करना: किसान को स्लॉट बुकिंग के जरिए समय पहले से तय होता है कि उसे किस दिन केंद्र पर जाना है। खरीद पूरी होते ही सिस्टम में रसीद जनरेट होती है और भुगतान प्रक्रिया अपने आप शुरू हो जाती है। इससे भंडारण, उठाव और ट्रांसपोर्टेशन की योजना बनाना भी आसान हो गया है।
  7. डेटा संग्रह और नीति निर्धारण में मदद: MP e‑Uparjan से राज्य सरकार को यह पता चलता है कि किस जिले में कौन सी फसल कितनी हो रही है, कितने किसानों ने पंजीकरण किया, कितनी मात्रा में अनाज खरीदा गया और कितनी राशि का भुगतान हुआ है। इसके साथ ही इस डेटा से सरकार आने वाले समय की खरीदी रणनीति, भंडारण नीति और समर्थन मूल्य योजना को बेहतर बना सकती है।
  8. फिजिकल से डिजिटल की ओर बदलाव: MP e‑Uparjan, राज्य सरकार की डिजिटल इंडिया मिशन की दिशा में एक मजबूत कदम है। किसान भी अब तकनीक से जुड़ते जा रहे हैं, जिसमें मोबाइल ऐप, पोर्टल, SMS अलर्ट, बायोमेट्रिक सत्यापन जैसे जरिए शामिल है। यह किसानों को भविष्य में अन्य योजनाओं (PM Kisan, e-KYC, क्रेडिट कार्ड आदि) से जोड़ने में सहायक बनता है।

किन लोगों मिलता है लाभ?

ई‑उपार्जन का लाभ राज्य के सभी कृषक उठा सकते हैं यदि वे निम्नलिखित शर्तें पूरी करते हैं:

  1. किसान मध्य प्रदेश में रहना चाहिए और उसके पास जमीन हो, जो उसकी नाम पर गिरदावरी में हो।
  2. पंजीकरण के दौरान किसान का आधार नंबर, मोबाइल नंबर (जो आधार से लिंक हो), समग्र आईडी (Samagra ID), और बैंक अकाउंट विवरण देना अनिवार्य है।
  3. आधार और भूमि रिकॉर्ड में नाम का मिलान होना चाहिए; विवरण सही नहीं होने पर तहसील स्तर पर सत्यापन करवाना पड़ता है ।
  4. बैंक खाता पहले से सक्रिय और राष्ट्रीयकृत / जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की शाखा में होना चाहिए; जन–धन जैसे खाते स्वीकार्य नहीं हैं।

पंजीकरण और प्रक्रिया 

मध्य प्रदेश सरकार ने e‑Uparjan प्रणाली को इस तरह से डिजाइन किया है कि किसान घर बैठे मोबाइल, कंप्यूटर या लोक सेवा केंद्र (CSC) के जरिए अपनी फसल का रजिस्ट्रेशन कर सकें और सरकारी समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल बेच सकें। नीचे पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध (step-by-step) दी जा रही है:

चरण 1: पोर्टल पर जाना: सबसे पहले किसान को MP e‑Uparjan पोर्टल पर जाना होता है। यदि मोबाइल से जा रहे हैं, तो e‑Uparjan मोबाइल ऐप (खरीफ/रबी सीजन के अनुसार अलग ऐप) भी डाउनलोड कर सकते हैं।

चरण 2: किसान पंजीकरण प्रारंभ करना: पोर्टल पर जाकर “किसान पंजीकरण (Farmer Registration)” विकल्प पर क्लिक करें। यहां किसान को अपना आधार नंबर या समग्र आईडी दर्ज करनी होती है। इसके बाद, OTP के ज़रिए आधार सत्यापन (authentication) किया जाता है।

चरण 3: किसान की जानकारी भरना: OTP सत्यापन के बाद किसान को नीचे दी गई जानकारी भरनी होती है:

विवरणक्या भरना होता है
किसान का नामआधार कार्ड और समग्र ID के अनुसार नाम भरना है
पिता / पति का नामपहचान सत्यापन हेतु पिता या पति का नाम
ग्राम, तहसील, जिलाकिसान की भौगोलिक स्थिति – गांव, तहसील और जिला का नाम
मोबाइल नंबरआधार से लिंक किया हुआ मोबाइल नंबर
बैंक खाता विवरणबैंक खाता संख्या और IFSC कोड
भूमि की जानकारीखसरा नंबर, भूमि का क्षेत्रफल, और फसल का प्रकार
फसल का विवरणकौन सी फसल बोई है और उसकी अनुमानित मात्रा कितनी है

ध्यान दें: भूमि रिकॉर्ड स्वचालित रूप से गिरदावरी डेटा से लिंक होता है। यदि गिरदावरी नहीं है या गलत है, तो तहसील से सत्यापन कराना होगा।

चरण 4: दस्तावेज अपलोड करना

किसान को अपने दस्तावेज (स्कैन कॉपी या फोटो) अपलोड करने होते हैं:

  1. आधार कार्ड
  2. समग्र आईडी (Samagra ID)
  3. मोबाइल नंबर (जो आधार से लिंक हो)
  4. बैंक खाते की पासबुक की पहली पन्ना
  5. निवास प्रमाणपत्र
  6. ऋण पुस्तिका/भूमि रिकॉर्ड/गिरदावरी के कागजात
  7. वनाधिकार पट्टा/सिकमीदार किसान हेतु अनुबंध की प्रति
  8. पासपोर्ट साइज फोटो

चरण 5: पंजीकरण की पुष्टि और रसीद प्राप्त करना: सभी जानकारी भरने के बाद किसान पंजीकरण फॉर्म को “सबमिट” करता है। सफल पंजीकरण के बाद एक पंजीकरण क्रमांक (Registration ID) जनरेट होता है और उसका प्रिंट / पीडीएफ रसीद मिलती है। यह रसीद बहुत जरूरी होती है, किसान को उपार्जन केंद्र पर इसे साथ लाना होता है।

चरण 6: स्लॉट बुकिंग (फसल बेचने की तारीख तय करना): पंजीकरण के बाद किसान को उपार्जन केंद्र और समय स्लॉट चुनना होता है। इससे भीड़ और अव्यवस्था से बचा जा सकता है। कुछ वर्षों में SMS के माध्यम से स्लॉट अलॉटमेंट भी किया गया है, जिसमें किसान को उसके मोबाइल पर सूचना दी जाती है कि किस दिन और समय पर उसे केंद्र पर जाना है।

चरण 7: उपार्जन केंद्र पर फसल की बिक्री: तय दिन और समय पर किसान अपनी फसल लेकर संबंधित उपार्जन केंद्र (Procurement Center) पर पहुंचता है। वहां कृषि अधिकारी या केंद्र प्रभारी किसान की रसीद, आधार, और फसल की मात्रा को चेक करते हैं। फसल की तौल होती है और उसकी रसीद (Purchase Receipt) दी जाती है।

चरण 8: भुगतान प्रक्रिया: खरीदी के बाद भुगतान प्रक्रिया अपने आप e‑Uparjan पोर्टल के माध्यम से शुरू हो जाती है। कुछ दिन में (आमतौर पर 7 कार्यदिवस के भीतर), भुगतान सीधा किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है (DBT – Direct Benefit Transfer प्रणाली द्वारा)। पेमेंट की स्थिति किसान पोर्टल या मोबाइल ऐप के माध्यम से चेक कर सकता है।

देशभर के किसानों के लिए कटनी मंडी भाव, बीना मंडी भाव, मुरैना मंडी भाव, जबलपुर मंडी भाव और महोबा मंडी भाव जैसे मंडियों के ताज़ा रेट जानना अब बेहद आसान है।

प्रमुख सुविधाएं और लाभ

  1. पारदर्शिता और ट्रैकिंग: किसान की हर कार्रवाई SMS/POS सिस्टम व पोर्टल पर दर्ज होती है जिससे धोखाधड़ी की गुंजाइश कम होती है। प्रत्येक लेनदेन को डिजिटल रूप से ट्रैक किया जा सकता है ।
  2. समय और श्रम की बचत: सरकारी कार्यालयों की यात्रा, कागजी कार्यवाही और सूचनाओं की प्रतीक्षा का बोझ घटता है। मोबाइल/कंप्यूटर से ही पंजीकरण और स्लॉट बुकिंग से किसान का समय बचेगा ।
  3. त्वरित भुगतान: JIT पेमेंट्स द्वारा भुगतान समयबद्ध और भरोसेमंद बनता है। पहले मोबाइल या SMS के ज़रिए सूचना मिलती थी; अब बैंक ट्रांजैक्शन अगले 7 कार्यदिवस में हो जाता है ।

चुनौतियां और सुधार

  1. पोर्टल इस्तेमाल में दिक्कत: कुछ किसानों को पोर्टल का उपयोग मुश्किल लगता है; कई बार फॉर्म भरना जटिल होता है। लोक सेवा केंद्र, कियोस्क और किसान प्रशिक्षण की आवश्यकता महसूस की गई है।
  2. नाम या रिकॉर्ड में अंतर: आधार और गिरदावरी रिकॉर्ड में नाम मेल नहीं होने पर तहसील से सत्यापन करवाना जरूरी होता है।
  3. स्पॉट स्लॉट और खरीद समय: पहले SMS आधारित स्लॉट व्यवस्था होती थी; अब किसान स्वयं उपार्जन केंद्र जाकर स्लॉट चुन सकते हैं।

निष्कर्ष

MP e‑Uparjan का उद्देश्य सिर्फ अनाज की खरीद नहीं, बल्कि किसानों को सशक्त बनाना, सरकारी प्रक्रिया को पारदर्शी और ईमानदार बनाना और पूरी खरीद प्रणाली को आधुनिक तकनीक आधारित बनाना है। इस पहल ने न केवल किसानों का विश्वास जीता है, बल्कि पूरे देश में डिजिटल कृषि खरीद का आदर्श मॉडल बन कर उभरा है।

भारत के अलग-अलग राज्यों के मंडी रेट जानने के लिए उत्तर प्रदेश मंडी भाव, हरियाणा मंडी भाव और हिमाचल प्रदेश मंडी भाव की जानकारी ज़रूर देखें।

कमलेश रंजन

कमलेश रंजन

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