
उड़द भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसलों में से एक है और यह किसानों के लिए भी कम समय में अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है। दरअसल, उड़द की खेती एक अल्पकालिक फसल है, जो 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यह हर मौसम में उगाई जा सकती है, जिससे किसानों को साल में कई बार फसल लेने का मौका मिलता है। अगर आप उड़द की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। इस ब्लॉग में हम आपको उड़द की खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देंगे।
उड़द को हम ‘उड़द दाल’ या ‘माश दाल’ के नाम से जानते हैं। इस दाल में 24% प्रोटीन, 60% कार्बोहाइड्रेट और 1.3% वसा होता है, जो इसे पोषण से भरपूर बनाती है। यह दाल पेट की समस्याओं, गठिया और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है।
किसान भाई नरसिंहपुर मंडी भाव, ललितपुर मंडी भाव और कटनी मंडी भाव पर रोज़ाना अपडेट के साथ सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उड़द की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी का चयन बहुत ज़रूरी है। इसके लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। अगर तापमान 30-40 डिग्री तक भी चला जाए, तो यह फसल इसे सहन कर सकती है। लेकिन फूल आने और दाने बनने के समय ज़्यादा बारिश या जलभराव नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए 700-900 मिमी बारिश वाले क्षेत्र उड़द की खेती (Urad ki kheti) के लिए सबसे उपयुक्त हैं। वहीं, अगर मिट्टी की बात करें, तो उड़द की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। यह मिट्टी पानी को अच्छे से सोखती है और पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करती है। हालाँकि, हल्की रेतीली मिट्टी और चिकनी मिट्टी में भी उड़द की खेती की जा सकती है; बशर्ते जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो।
और पढ़ें: Vanijya Krishi: किसानों की कमाई बढ़ाने का आधुनिक तरीका
उड़द की खेती (Urad ki kheti) शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। सबसे पहले, खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी अच्छे से पलट जाए और पुराने फसलों के अवशेष निकल जाएं। इसके बाद, 2 से 3 बार हल्की जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
खेत में 8-10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद डालें। यह मिट्टी को पोषक तत्व देगी और फसल की पैदावार बढ़ाएगी। अगर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो, तो नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल करें। बुवाई से पहले मिट्टी की जाँच भी करवाएं ताकि आपको पता चल सके कि मिट्टी में किन तत्वों की कमी है।
उड़द की खेती में अच्छी पैदावार के लिए सही किस्म का चयन बहुत ज़रूरी है। भारत में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जो कम समय में अच्छी फसल देती हैं; जैसे कि- माश 338, माश 114, माश 218, आदि। आप स्थानीय कृषि अनुसंधान केंद्रों से नई और उन्नत किस्मों की जानकारी ले सकते हैं।
उड़द की खेती (Urad ki kheti) में बुवाई का समय बहुत मायने रखता है। खरीफ मौसम में बुवाई जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के पहले हफ्ते तक की जाती है। ग्रीष्मकालीन खेती के लिए मार्च से अप्रैल का पहला हफ्ता सबसे अच्छा होता है। बुवाई के लिए 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बीजों को बुवाई से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें, ताकि मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण बेहतर हो। बीजों को 30-45 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में बोएं और 4-5 सेंटीमीटर की गहराई रखें।
और पढ़ें: Jau ki Kheti: जौ की खेती कैसे करें? जानें बुवाई से लेकर कटाई तक पूरी जानकारी
उड़द की खेती में ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती, लेकिन मिट्टी में नमी बनाए रखना ज़रूरी होता है। हालाँकि, गर्मियों के मौसम में, खेती में 10-15 दिनों के अंतराल पर 2-3 सिंचाई की ज़रूरत होती है। फूल आने और फलियां बनने के समय नमी की कमी न होने दें, क्योंकि इससे पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है।
खरपतवार उड़द की खेती में सबसे बड़ी समस्या हो सकते हैं। बुवाई के 15-20 दिनों बाद खुरपी से निराई-गुड़ाई करें। अगर खरपतवार अधिक हों, तो रासायनिक विधि से फ्लुक्लोरीन (1 किलो प्रति 800 लीटर पानी) का छिड़काव करें। इसके साथ ही, उड़द की खेती (Urad ki kheti) में कीट और रोगों से बचाव भी ज़रूरी है। ऐसे में कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर सही समय पर कीटनाशकों का उपयोग करें।
और पढ़ें: Dhingri Mushroom Cultivation in Hindi : किसान कैसे शुरू करें ढींगरी मशरूम की खेती?
उड़द की खेती में जब फलियां 80-90% पक जाएं, तब कटाई करें। कटाई सुबह के समय करें, ताकि दाने न झड़ें। कटाई के बाद फलियों को अच्छे से सुखाएं और फिर दाने निकालें। दानों को 8-10% नमी स्तर पर भंडारित करें ताकि कीटों और फफूंद से बचाव हो सकें।
उड़द की खेती (Urad ki kheti) कम लागत और कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकती है। अगर उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाए, तो प्रति हेक्टेयर 8-12 क्विंटल फसल मिल सकती है। बाज़ार में उड़द की मांग पूरे साल रहती है, इसलिए अच्छी कीमत मिलने की संभावना हमेशा रहती है। ऐसे में सही जानकारी और तकनीकों के साथ, आप इस फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं। अगर आप पहली बार उड़द की खेती करने जा रहे हैं, तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र से एक बार सलाह ज़रूर लें और उन्नत किस्मों का उपयोग करें।
और पढ़ें: Dhan Dhanya Krishi Yojana: पीएम धन धान्य कृषि योजना क्या है? जानें कैसे मिलेगा इसका फायदा
उड़द भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसलों में से एक है और यह किसानों के लिए भी कम समय में अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है। दरअसल, उड़द की खेती एक अल्पकालिक फसल है, जो 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यह हर मौसम में उगाई जा सकती है, जिससे किसानों […]



