
भारत में पान की खेती (Betelvine in Hindi) एक पारंपरिक खेती मानी जाती है। यह न केवल आर्थिक रूप से फ़ायदेमंद है; बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसका वैज्ञानिक नाम Piper betle है। शादी-ब्याह, पूजा-पाठ या फिर आमतौर पर पान खाना; हर जगह पान की जरूरत पड़ती है। इसलिए पान की खेती किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है। तो चलिए इस ब्लॉग के ज़रिए आपको पान की खेती के बारे में डिटेल में बताते हैं!
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पान की खेती (Betelvine in Hindi) भारत में एक नकदी फसल के रूप में जानी जाती है। भारत में लगभग 40 प्रकार की पान की किस्में पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध किस्में हैं- कपूरी, बंगला, सांची, मिठा, देशवारी, मगही, बनारसी, कलकतिया और दक्षिण भारत का थमुला पान। यह फसल छोटे किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि इसे छोटे क्षेत्र में भी उगाया जा सकता है। पान के पत्तों का उपयोग पूजा-पाठ, सामाजिक समारोहों, और औषधीय कार्यों में होता है। इसके अलावा, पान के पत्तों का निर्यात भी भारत की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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पान की खेती (Betelvine in Hindi) के लिए उष्ण और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। पान का पौधा 15°C से 40°C तापमान में अच्छी तरह विकसित होता है। बहुत कम तापमान (10°C से नीचे) पत्तियों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे पत्ते झड़ सकते हैं। मिट्टी की बात करें तो पान की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है। दोमट मिट्टी, जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो, इसके लिए सर्वोत्तम है। मिट्टी को तैयार करने से पहले मिट्टी की जाँच करवाना ज़रूरी है ताकि पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही इन बातों का भी ध्यान रखें;
पान की खेती (Betelvine cultivation in Hindi) शुरू करने से पहले भूमि को अच्छी तरह तैयार करना ज़रूरी है। सबसे पहले खेत को अच्छी तरह जोत लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। खेत में खरपतवार, पत्थर, और अन्य अवांछित चीजों को हटा दें। इसके बाद, खेत में 2 मीटर चौड़ी और सुविधाजनक लंबाई की क्यारियां बनाएं। क्यारियों के बीच 0.5 मीटर गहरी और चौड़ी नालियां बनाएं ताकि जल निकासी ठीक रहे। मिट्टी में गोबर की खाद, नीम की खली, और अन्य जैविक खाद डालकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं। मिट्टी को कीटाणुरहित करने के लिए 4% फॉर्मलिन सॉल्यूशन का छिड़काव करें और खेत को 24 घंटे के लिए पॉलीथिन या गीले बोरे से ढक दें। फॉर्मलिन उपचार के बाद 15-20 दिनों तक रोपण न करें। यह प्रक्रिया पान की खेती (betelvine in Hindi) को रोगों और कीटों से बचाने में मदद करती है।
पान की खेती (Betelvine in Hindi) में सही किस्म का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में कई लोकप्रिय किस्में जैसे कपूरी, बंगला, सांची, और मिठा पान उगाए जाते हैं। पान का पौधा मुख्य रूप से कटिंग (कलम) के जरिए उगाया जाता है। रोपण के लिए 30-45 सेंटीमीटर लंबी कटिंग चुनें, जिनमें 6-8 गांठें हों। कटिंग को स्वस्थ और रोगमुक्त पौधों से लें। पान की खेती के लिए नवंबर-दिसंबर और जनवरी-फरवरी का समय सबसे उपयुक्त होता है। कुछ क्षेत्रों में, जैसे असम में, मई से अगस्त तक रोपण किया जाता है। रोपण के लिए बरोज (छायादार संरचना) या खुटी विधि का उपयोग किया जाता है।
पान की खेती में नियमित और हल्की सिंचाई ज़रूरी होती है। मिट्टी को हमेशा नम रखें, लेकिन जलभराव से बचें। ड्रिप सिंचाई या छिड़काव प्रणाली का उपयोग करना सबसे अच्छा है। गर्मियों में हर 3-4 दिन में और सर्दियों में 7-10 दिन में सिंचाई करें। पौधों को सहारा देने के लिए बांस या तेजी से बढ़ने वाले पेड़ जैसे अगाथी का उपयोग करें।
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पान की खेती (Betelvine in Hindi) में सही उर्वरक जरूरी हैं। प्रति हेक्टेयर 150 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फॉस्फोरस और 30 किलो पोटाश तीन बार में दें। साथ ही 2 टन नीम या कैलोट्रोपिस की सूखी पत्तियां डालकर मिट्टी से ढकें।
पान की खेती में पत्ती और जड़ सड़न, पत्ती धब्बा, एंथ्रेक्नोज जैसे रोग और स्केल कीट नुकसान कर सकते हैं। रोकथाम के लिए बोर्डो मिश्रण (0.5–1%) का छिड़काव और ड्रेंचिंग नियमित अंतराल पर करें। पत्ती धब्बा के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन मिलाएं और स्केल कीट के लिए क्लोरपाइरीफोस (2 मिली/लीटर) छिड़कें।
पान की खेती (Betelvine in Hindi) में कटाई रोपण के 8 से 12 महीने बाद शुरू होती है। पत्तों को तब तोड़ा जाता है जब वे पूरी तरह विकसित और चमकदार हरे रंग के हों। एक हेक्टेयर से औसतन 48-65 लाख पत्ते प्रति वर्ष प्राप्त हो सकते हैं, जो किस्म और देखभाल पर निर्भर करता है।
पत्तों को सावधानी से तोड़ें और उन्हें बांस की टोकरियों में पैक करें। बाज़ार में ताजगी बनाए रखने के लिए पत्तों को नम कपड़े में लपेटकर भेजा जाता है।
अगर आप पान की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो उपरोक्त जानकारी का पालन करें और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें। सही तकनीक और मेहनत से आप पान की खेती में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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भारत में पान की खेती (Betelvine in Hindi) एक पारंपरिक खेती मानी जाती है। यह न केवल आर्थिक रूप से फ़ायदेमंद है; बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसका वैज्ञानिक नाम Piper betle है। शादी-ब्याह, पूजा-पाठ या फिर आमतौर पर पान खाना; हर जगह पान की जरूरत पड़ती है। इसलिए पान की […]




