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Plum Cultivation in Hindi: आलूबुखारे की खेती से कमाएं अधिक मुनाफा

updated at: Thu Jul 31 2025
कमलेश रंजन author-कमलेश रंजन's-image
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भारत में खेती का तरीका धीरे-धीरे बदल रहा है। किसान अब सिर्फ़ गेहूँ, धान या मक्का जैसे पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं हैं ; बल्कि अब वे फलदार पौधों की खेती की ओर भी रुख कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है- आलूबुखारे की खेती (Plum cultivation in Hindi). इस फल की बढ़ती मांग और कम देखभाल की जरूरत इसे छोटे और बड़े किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प बना रही है। तो चलिए इस ब्लॉग के ज़रिए आपको आलूबुखारा की खेती (Plum Cultivation in Hindi) के सभी पहलुओं के बारे में डिटेल में बताते हैं!

Plum क्या होता है?

Plum (प्लम) को हिंदी में आलूबुखारा और अलूचा नाम से जाना जाता है। यह एक मुलायम छिलके वाला, रसदार और खट्टा-मीठा फल है। यह फल पहाड़ी और उप-पहाड़ी इलाकों में काफ़ी लोकप्रिय है। इसका उपयोग जैम, जेली, स्क्वैश, ड्राई फ्रूट्स और मिठाइयों में होता है। यह फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ विटामिन ए, सी, के और खनिजों जैसे पोटैशियम और कैल्शियम से भरपूर होता है। आलूबुखारा स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छी कीमत पर बिकता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है। 

और पढ़ें: What is DAP fertilizer? क्या है DAP खाद? जानें फायदे, नुकसान और इस्तेमाल की पूरी जानकारी

काला अमृतसरी, सतलुज पर्पल, सांता रोजा, ग्रीनगेज, मेथले और अमेरिकन प्लम, आलूबुखारा की कुछ प्रमुख किस्में हैं। 

कहाँ होती है प्लम की खेती?

भारत में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में आलूबुखारे की खेती (Plum Cultivation in Hindi) बड़े पैमाने पर की जाती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के कर्नाटक व तमिलनाडु के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी इसे उगाया जाता है। आलूबुखारे के लिए ठंडी जलवायु और हल्की नमी ज़रूरी होती है। दिन का तापमान लगभग 20 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात में हल्की ठंड इसकी पैदावार बढ़ाती है। अधिक गरमी और बारिश होने पर इस फसल को नुकसान हो सकता है। 

भारत के अलग-अलग राज्यों के मंडी रेट जानने के लिए उत्तर प्रदेश मंडी भाव, हरियाणा मंडी भाव और हिमाचल प्रदेश मंडी भाव की जानकारी ज़रूर देखें।

आलूबुखारे की खेती के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए?

आलूबुखारा की खेती (Plum Cultivation in Hindi) में मिट्टी की क्वालिटी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी, जिसमें पीएच मान 5.5 से 7.5 हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी जड़ों को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा जल निकास ज़रूरी होता है।

प्लम की खेती कैसे होती है? (Plum Cultivation in Hindi)

  1. आलूबुखारे की खेती की सफलता खेत की तैयारी पर निर्भर करती है। इसके लिए जून-जुलाई में गड्ढे तैयार करना चाहिए। हर गड्ढा कम से कम 1 मीटर गहरा और 1 मीटर चौड़ा होना चाहिए। गड्ढों को 60-70% अच्छी मिट्टी, 20% सड़ी गोबर की खाद, नीमखली और कुछ मात्रा में फॉस्फेट खाद से भरें। यह पौधों को शुरुआती पोषण देगा। गड्ढों की दूरी पौधे से पौधे के बीच 5-6 मीटर रखें ताकि पौधों को पर्याप्त जगह और धूप मिल सके।
  2. अक्टूबर से दिसंबर का महीना प्लम के पौधे लगाने के लिए सबसे सही होता है। पौधे को गड्ढे में इस तरह लगाएँ कि उसकी जड़ें ठीक से मिट्टी में बैठ जाएं। पौधों को तेज हवा से बचाने के लिए बाँस या लकड़ी का सहारा दें। आलूबुखारे की खेती के लिए सही सिंचाई और खाद भी ज़रूरी होती हैं। पौधे लगाने के बाद शुरुआती 2-3 साल तक हर 15-20 दिन में सिंचाई करें। फूल आने और फल बनने के समय पानी की ज़्यादा ज़रूरत होती है। गर्मी के मौसम में पौधों को ड्रिप इरिगेशन से पानी देना सबसे अच्छा रहता है।
  3. खाद की बात करें तो गोबर की खाद के साथ-साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश भी दें। पौधों की उम्र के अनुसार खाद की मात्रा बढ़ाएं। जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट इसके लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है।
  4. ध्यान रहें, इस फल को सबसे ज़्यादा खतरा पत्तों में धब्बे लगने, थ्रिप्स और फल मक्खी से होता है। इसके लिए नियमित रूप से पौधों का निरीक्षण करें। खरपतवार हटाते रहें। जैविक कीटनाशक जैसे नीम तेल या लहसुन-अदरक का घोल छिड़क सकते हैं। ज़रूरत होने पर कृषि अधिकारी की सलाह से ही रसायनिक दवाइयों का उपयोग करें।
  5. प्लम की खेती के दौरान आपको छंटाई का विशेष ध्यान देना चाहिए। छंटाई से प्लम के पौधे को सही आकार मिलता है और फल अच्छी क्वालिटी के होते हैं। पौधों की छंटाई हर साल सर्दियों में करें। सूखी, कमजोर और बीमार शाखाओं को काट दें। इससे पौधे में नया विकास तेजी से होता है।
  6. प्लम की खेती में अप्रैल से जून के बीच का समय फल तोड़ने के लिए सही होता है। जब फल का रंग गहरा होने लगे और हल्का नरम महसूस हो तो तब इसे तोड़ लेना चाहिए। तुड़ाई सुबह या शाम के समय करें ताकि फल जल्दी खराब न हों। फल को सावधानी से प्लास्टिक क्रेट या बांस की टोकरी में रखें।

और पढ़ें: MP Solar Pump Yojana: जानें किसानों को क्या मिलेगा फायदा, कैसे कर सकते हैं आवेदन

प्लम की फसल को कहाँ बेचें?

आलूबुखारा (प्लम) की फसल को किसान सीधे मंडियों में फल बेच सकते हैं। आप इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, लोकल बाज़ार, सुपरमार्केट और प्रोसेसिंग यूनिट को बेच सकते हैं। एक हेक्टेयर से करीब 8-10 टन फल मिल सकता है, जिससे 2-3 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है, बशर्तें देखभाल अच्छी हो। 

आलूबुखारा की खेती (Plum Cultivation in Hindi) एक कम लागत और उच्च मुनाफे वाली फसल है। सही तकनीकों, जैसे उपयुक्त किस्म चयन, जैविक खेती, और कीट प्रबंधन, से किसान अच्छी फसल और आय प्राप्त कर सकते हैं। यह फसल न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है; बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देती है। दरअसल, इसके पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।

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कमलेश रंजन

कमलेश रंजन

भारत में खेती का तरीका धीरे-धीरे बदल रहा है। किसान अब सिर्फ़ गेहूँ, धान या मक्का जैसे पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं हैं ; बल्कि अब वे फलदार पौधों की खेती की ओर भी रुख कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है- आलूबुखारे की खेती (Plum cultivation in Hindi). इस फल की बढ़ती मांग […]

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