बाज़ार में यूँ तो गेहूँ की कई किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन आज हम गेहूँ की एक ऐसी किस्म के बारे में बात करेंगे जो अपने अधिक उत्पादन और बीमारियों से बचाव के लिए जानती है। इस किस्म का नाम है- श्रीराम 303’। यह गेहूँ की एक ऐसी किस्म है, जो किसानों के मुनाफे को लगभग डबल कर सकती है। तो चलिए इस ब्लॉग के ज़रिए आपको गेहूँ की इस किस्म (Shriram 303 wheat variety details in Hindi) के बारे में डिटेल में आपको बताते हैं!
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श्रीराम 303 गेहूँ की किस्म को जानें
श्रीराम 303 गेहूँ की किस्म (Shriram 303 wheat variety details in Hindi) श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स द्वारा विकसित एक उन्नत किस्म है। यह किस्म विशेष रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में लोकप्रिय है। इसे श्रीराम फार्म सोल्यूशन्स ने अपने कृषि अनुसंधान केंद्रों में वर्षों के अनुसंधान के बाद तैयार किया है। इसका मकसद किसानों को ऐसी किस्म देना है जो अधिक फसल दे, रोगों के प्रति सहनशील हो और अलग-अलग जलवायु और मिट्टी में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
श्रीराम 303 गेहूँ की ख़ासियत
श्रीराम 303 गेहूँ की किस्म (Shriram 303 Wheat Variety Details in Hindi) की कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं;
- जबरदस्त पैदावार : श्रीराम 303 की औसत फसल प्रति हेक्टेयर 75 क्विंटल तक हो सकती है, जबकि अनुकूल परिस्थितियों में यह 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है। एक एकड़ में यह किस्म लगभग 27-32 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। यानी किसानों को कम मेहनत में बढ़िया कमाई मिल सकती है।
- जल्दी तैयार, हर मौसम के हिसाब से फिट: यह किस्म 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो इसे रबी मौसम के लिए आदर्श बनाती है। इसके अलावा, यह जल्दी और देर से बुआई दोनों के लिए उपयुक्त है।
- रोगों से लड़ने में दमदार : श्रीराम 303 भूरी रतुआ (ब्राउन रस्ट) और पत्तियों पर धब्बे (लीफ स्पॉट) जैसे रोगों के प्रति सहनशील है। यह किसानों को रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने में मदद करता है।
- पौधे की ऊँचाई : इस किस्म के पौधे की औसत ऊँचाई 88 से 101 सेमी होती है, जो इसे मजबूत और गिरने (लॉजिंग) के प्रति प्रतिरोधी बनाती है।
- दानों की क्वालिटी : श्रीराम 303 के दाने चमकदार, कठोर, और बोल्ड होते हैं। चपाती बनाने में इनका स्वाद और बनावट दोनों कमाल की होती है। इसलिए मंडी में भी इसकी अच्छी मांग रहती है।
- कल्लों की संख्या: इस किस्म में एक पौधे से निकलने वाले कल्ले काफ़ी ज़्यादा होते हैं, जिससे हर एक पौधा ज़्यादा अनाज देता है और कुल पैदावार बढ़ जाती है।
- बुआई का सही तरीका : इसकी बुआई रबी के मौसम में करें। ड्रिलिंग विधि अपनाएं और 20 सेमी x 10 सेमी की दूरी पर बीज बोएं। बीज को ज़मीन में 5 सेंटीमीटर गहराई तक डालना चाहिए, ताकि अंकुरण बढ़िया हो।
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श्रीराम 303 गेहूँ की बुआई और देखभाल
श्रीराम 303 गेहूँ से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें हैं जो हर किसान को ध्यान में रखनी चाहिए:
- बीज की मात्रा : हर एकड़ खेत के लिए आपको लगभग 40 किलो बीज की ज़रूरत पड़ेगी। बाज़ार में यह बीज 20 और 40 किलो के पैक में आसानी से मिल जाता है। बीज खरीदते समय पैक की सील, तारीख और ब्रांड जरूर चेक कर लें।
- बुआई का समय : नवंबर का पहला या दूसरा हफ्ता इस गेहूँ की बुआई का सबसे बढ़िया समय होता है। हालाँकि अगर आप थोड़ी देरी से बुआई कर रहे हैं, तब भी श्रीराम 303 बढ़िया परफॉर्म करता है।
- मिट्टी की तैयारी : खेत को पहले गहरी जुताई करके खुला छोड़ दें। फिर दो-तीन बार हल्की जुताई करके मिट्टी को समतल और भुरभुरी बना लें। जैविक खाद (गौमूत्र, गोबर की खाद या कम्पोस्ट) डालें ताकि मिट्टी में ताकत और अनाज में स्वाद बना रहे।
- सिंचाई : पहली सिंचाई बुआई के करीब 20–25 दिन बाद करें यानी जब पौधे अच्छी तरह निकल आएं। इसके बाद फसल की ज़रूरत के मुताबिक 4 से 5 बार पानी दें। ध्यान रखें, ज़्यादा पानी देने से फसल में गलन आ सकती है या जड़ें सड़ सकती हैं।
- खाद और उर्वरक : बुआई के समय ही मिट्टी में डीएपी (फॉस्फोरस) और थोड़ा यूरिया (नाइट्रोजन) मिलाएं। जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तब यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें। इसके साथ अगर ज़रूरत लगे तो पोटाश भी डाल सकते हैं, इससे दानों में चमक और मजबूती आएगी।
- कीट और रोग पर नज़र रखें : श्रीराम 303 वैसे तो रोगों से लड़ने में दमदार है, फिर भी भूरी रतुआ (ब्राउन रस्ट) या पत्तियों पर धब्बे जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत एक्शन लें। ऐसे में नज़दीकी कृषि अधिकारी या एक्सपर्ट से सलाह लें और सही कीटनाशक या फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
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श्रीराम 303 गेहूँ की खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र
श्रीराम 303 गेहूँ की किस्म (Shriram 303 Wheat Variety Details in Hindi) विभिन्न मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ मिट्टी की उर्वरता मध्यम से अच्छी हो। मध्य प्रदेश के किसानों ने इस किस्म की उत्पादकता पर विशेष संतुष्टि जाहिर की है। इसके अलावा, यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, और राजस्थान के लिए भी अनुकूल है। यह किस्म विभिन्न agro-climatic zones में अनुकूलनशीलता के लिए जानी जाती है।
अगर आप भी इस बार की फसल में श्रीराम 303 लगाते हैं, तो पैदावार और मुनाफा; दोनों में फ़र्क़ खुद देखेंगे। सही बीज, सही समय, और थोड़ी सी देखभाल – यही है सफल खेती का फार्मूला!
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